गलत खान-पान , बदपरहेजी , अम्ल पित्त ज्यादा , ठंडे पदार्थ , फ्रिज की चीजें , तली चीजें , घी , तैल , मेदा बेकरी आदि चीजों के अतिसेवन से पित्त गाढ़ा होकर पित्ताशय में जम जाता है। जो हरे रंग का होता है। यह कोई पत्थर नही। लेकिन बोलचाल की भाषा में पित्ताशय की पत्थरी , गालस्टोन बोला जाता है। जैसे हर चमकती चीज सोना नही होती , वैसे ही हर पत्थर कहलाने वाली चीज पत्थर जैसी सख्त नही होती । पित्त की पत्थरी जब तक शरीर में है । नर्म रहती है। जब शरीर से बाहर आकर हवा के संपर्क में आती है तो सख्त हो जाती है। आयुर्वेद में बहुत ही कारगर दवाएं है जो इस जमे हुए पित्त को पिघलाकर मल के द्वारा गुदा बाहर से निकाल देती है। ऐसी भी औषधि है जो एक ही बार खाने से पत्थरी निकाल देती है लेकिन पहले वाले जमाने की तरह इतने होंसले वाले मरीज बहुत लाखों में एक मिलते है , आजकल ज्यादातर लोग बहुत नाजुक प्रकृति के है , जो जरा सा भी कष्ट सहन नही कर सकते । क्योंकि एक ही बार में पत्थरी निकालना रिसक वाला होता है। ऐसे में हम लोग ऐसी चिकित्सा किसी मरीज को नही देते। बहुत सी ऐसी आयुर्वेद में दवाएं है जो कि धीरे-धीरे पित्त को पिघलाकर गुदा मार्ग से निकाल देती है। समय लग जाता है। अगर सबर के साथ दवा खाई जाए तो कुछ महीनों में ही पत्थरी बिना दर्द निकल जाती है। दुबारा आने वाले समय में बनती भी नही है। किसी भी प्रकार के आप्रेशन की जरूरत नही होती। लोग पित्त की पत्थरी पर बहुत गुमराह करते है। कोई डाक्टर आप्रेशन बोलता है। तो कोई नोसिखा वैद्य गुर्दों की पत्थरी की दवा ही देता रहता है , जिसके कारण पत्थरी का साइज और बढ़ जाता है। रोगी आयुर्वेद को शक की नजर से देखने लगता है और आयुर्वेद से उसका विश्वास उठ जाता है। फिर वो आप्रेशन करवाकर पित्ताशय ही निकलवा लेता है। जिसके कारण सारी जिंदगी न ज्यादा गर्म चीजें , न ठंडी चीजें खा सकता है। आगे चलकर यह कैंसर बनने का खतरा बना रहता है। अकसर रोगी की कोशिश यही रहनी चाहिए कि वो अच्छे अनुभवी आयुर्वेद जानकर से अपनी केस हिस्ट्री , रिपोर्ट और अपनी डिटेल बताकर सलाह लेकर उसके बताएं नियम और समय अनुसार पूरे पथ्य- परहेज के साथ दवा खाएं तो पूर्ण तरीके से बिना आप्रेशन ठीक होकर अपने अंग को बचाकर कुदरत की अनमोल तोहफे में दी गई शरीर को तंदरुस्त रखकर बचा हुआ जीवन अपने परिवार के साथ खुशी से व्यतीत कर सकता है। अगर आप चाहे तो हमसे बना हुआ दवा पूरी डिटेल बताकर घर बैठे मंगवा सकते है। हर मरीज अनुसार दवा की मात्रा आदि हम अपने हिसाब से सैट करते है।
आपकी सहूलियत के लिए पित्ताशय पत्थरी के कुछ नुस्खों में से यहां एक नुस्खा दे रहा हुं, बनाना तो कठिन है , लेकिन बहुत से पाठक फार्मूला की ज़िद करते है , उनकी जिज्ञासा शांति के लिए लिख रहा हुं ।
Gallstone Part :3
पित्ताशय अशमरी नाशक योग :3
•त्रिविक्रम रस 2ग्राम,
•अगसत सूतराज रस 8ग्राम
• सूतशेखर रस वृहत 15 ग्राम
•स्वर्णमाक्षिक भस्म स्पैशल
भृंगराज , वरना , वरुण में तैयार की हुई-6ग्राम
•अम्लपित्तांतक महायोग गोल्ड वाला-6ग्राम
सबको मिलाकर 72 घंटे दृढ़ हाथों से खूब रगडाई करके गोली , कैप्सूल या पुड़िया तैयार कर लें।
अनुपान :- गुनगुना पानी , पेठे का पानी , कुमारी आसव, बालम खीरा से
नोट:- एक माह में 5-15 mm तक पत्थरी पिघलकर निकल जाती है। जो multiple होती है। उनका समय नही बताया जा सकता कम होगी जल्द निकल जाएगी। अगर ज्यादा होगी तो समय लग सकता है।
आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमाँ
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🙏 Guruji humne aapke samjhane ka tariqa kamal ka hai aapko mera charan sparsh 🙏🙏
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