•दमा नाशक नुस्खा( मेरा अनुभूत)•
दमा, फेफड़ों से उत्पन्न श्वसन अव्यवस्था की वजह से होता है । दमा सामान्य श्वास को प्रभावित करता है; दमा के रोगी के लिए नियमित शारीरिक गतिविधियाँ कठिन या असंभव हो जाती हैं। अगर सही इलाज में देरी हो जाए तो दमा जानलेवा हो सकता है।
बढ़ते प्रदूषण जैसे कारकों के कारण,दमा जैसे श्वसन रोग चिंताजनक रूप से फैलते जा रहें हैं ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में लगभग 20 मिलियन दमा रोगी हैं।
दमा का प्रहार आम तौर पर 5 से 11 साल के बीच के बच्चों में भी होता है।श्वसन के दौरान, जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह नाक, गले और फेफड़ों में जाती है। दमा तब होता है जब वायुपथ फेफड़ों तक बढ़ जाता है और आसपास की मांसपेशियों को आसपास की मांसपेशियों को कसने लगता है। इससे बलगम बनता है जिससे वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है जो आगे फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकता है। इसके फलस्वरूप दमा दौरा से खांसी आदि होती है।
★मेरा अनुभूत देशी नुस्खा:-
हल्दी 100 ग्राम लेकर तुम्बा,( तुम्मा , इन्द्रायण फल)
( जो पकी न हो रसदार हो) तुन्बे को थोडा ऊपर से काट कर उस में हल्दी की गांठे भर दें।
उसके बाद तुम्बी का काटा भाग ऊपर जोडकर धागे से लपेटकर धूप में सूखने के लिए छोड़ दे , जब सूख जाए , हिलाने पर खड़खड़ की आवाज आने लगे समझो सूख गया , उसमें सें हल्दी निकालकर कूटकर छान लें कपड़े से , फिर इस हल्दी में 10 ग्राम फिटकरी भस्म (धतूरे और आक के दूध में बनाई हुई) 10 ग्राम टंकण भस्म मिला कर काँच की शीशी में भरकर रख लें।
सेवन कैसे करें ?
1-3 ग्राम दवा सुबह - शाम
100ml गरम पानी में 25ml कनकासव मिलाकर दवा लीजिए।
( कनकासव पीने वाली दवा है। यह आयुर्वेद का शास्त्री योग है , बाजार में इसी नाम से बना बनाया मिलेगा)
चालीस दिन में दवा प्रयोग से पुराना जुकाम और 60-90 दिन में पुराना दमा ठीक हो जाता है।
कोई भी दवा लेने से पहले , बनाने से पहले कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक का मार्गदर्शन जरुरी है।
चलता हुँ ... रब्ब राखा
✍️सदैव आपका अपना
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद 144205, पंजाब
Call & WhatsApp 9915136138
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किसी भी गंभीर और लाइलाज रोग के लिए मुझसे उपरोक्त नंबर पर संपर्क कर सकते है ।
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