Thursday, June 4, 2020

Ashwgandha, अश्वगंधा

★ अश्वगंधा Withania somnifera के बारे जानकारी ★

★Common name: Ashwagandha, Indian ginseng, Poison gooseberry, Winter Cherry
• Assamese: অশ্বগন্ধা asbagandha
• Bengali: অশ্বগন্ধা asbagandha
• Gujarati: આકસંદ aksand, અશ્વગંધા asvagandha
• Hindi: असगन्ध asgandh, अश्वगंधा ashwagandha
• Kachchhi: આસુન aasun, આસુંઢ aasund
• Kannada: ಅಂಗಾರ ಬೇರು angara beru, ಅಶ್ವಗಂಧ ashwagandha, ಹಿರೇಮದ್ದಿನ ಗಿಡ hiremaddina gida, ಪನ್ನೇರು panneru, ಸೊಗದೆ ಬೇರು sogade beru
• Malayalam: അമുക്കുരം amukkuram, പേവെട്ടി pevetti • Marathi: अश्वगंधा ashwagandha, आस्कंद askanda
• Nepali: अश्वगन्धा ashwagandha
• Oriya: ଅଶ୍ବଗନ୍ଧା ashwagandha
• Punjabi: ਅਸਗੰਧ असगंध asgandh, ਅਸ਼ਵਗੰਧਾ अश्वगंधा ashwagandha ,Aksin ਅੱਕਸਿਨ अँकसिन
• Sanskrit: अश्वगन्धा ashvagandha
• Tamil: அமுக்கிரா amukkira
• Telugu: అశ్వగంధ ashwagandha
• Tibetan: a swa ga ndhi, ba-dzi-ga-ndha
• Tulu: ಅಶ್ವಗಂಧೊ ashwagandho
• Urdu: اسگندهہ asgandh
Botanical name: Withania somnifera
  Family: Solanaceae (Potato family)

अश्वगंधा, भारत के सूखे भागों में ज़्यादातर पाया जाता है।  यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है जो प्रकृति में लगभग 6 फीट तक बढ़ती है।  यह 35-75 सेमी लंबा बढ़ जाती है ।   फूल छोटे, हरे और घंटी के आकार का होता है।‌ इसकी फोटो से आप आसानी से पहचान कर सकते हैं।

•औषधीय उपयोग•
अश्वगंधा 3000-4000 वर्ष से भारत में एक बेशकीमती adaptogenic टॉनिक रहा है।  पौधों में एल्कलॉइड विथेनिन और सोमनीफेरिन होते हैं, जो तंत्रिका विकारों, आंतों के संक्रमण और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं।  सभी पौधे के भागों का उपयोग जड़ों, छाल, पत्तियों, फलों और बीज सहित किया जाता है।

★ अशवगंधा पर मेरे अनुभव ★

जो मनुष्य अशवगंधा को रोजाना एक ग्राम चूर्ण  दूध के साथ लेता है , उसे कभी हड्डियों के रोग , जोड़ों का दर्द , कमर दर्द  नही सताते, शरीर में किसी भी प्रकार की कमजोरी पास नही फटकती , दिमागी काम करने वाले अगर रोजाना की खुराक में इसे शामिल कर लें , तो उन्हें दिमागी कमजोरी महसूस नहीं होती है। अगर इसे रोजाना अपनी खुराक में शामिल कर लिया जाए तो जिंदगी भर पागलपन , डिप्रैशन आदि किसी भी प्रकार का दिमाग का रोग जीवन में पास नही फटकता।  इस से सस्ती , आसान , सर्व सुलभ औषधि अपने चिकित्सा काल, जीवन  में मैंने कभी नही देखी। जिसका जीवन भर सेवन करने से कोई नुकसान नही। पंसारी से आसानी से मिलती है।  असगंध नागौरी के नाम से लें । ध्यान रखें कीड़ा न लगा हो, पुरानी न हो। नहीं तो लाभ की आशा न रखें।

★साधारण जन जो इसके गुणों का लाभ लेना चाहते हैं। उनके लिए मैं निम्न सरल , सुलभ योग बता रहा हुं। ★
100 ग्राम अश्वगंधा की जड़ ,100 ग्राम मिश्री मिलाकर 2 ग्राम रोज पानी से या दूध से लें।  इतनी मात्रा आम इंसान के लिए बताई है।  मौस्म अनुसार अनुपान बदल सकते है । यानि गर्मी में मलाई , मक्खन या मोती पिष्टी या प्रवाल पिष्टी एक-एक रत्ती मिलाकर ।
सर्दी में मिश्री की जगह शहद , गुड़ के साथ लें सकते हैं।

विशेष सूचना:-
अगर आप नहीं चाहते कि अपने हाथों से दवा तैयार करें तो
Single Ashwgandha herb कई कंपनियां गोली , कैप्सूल में बनाकर भी बेच रही है। इसके लिए आप Himalaya company का अश्वगंधा गोली के रूप में भी प्रयोग कर सकते है।

बहुत सी कंपनियां पाउडर में भी पैकिंग करके बेचती है।

( विदेशी जिन्सेंग की जगह अगर आप इसे सेवन करें तो जिन्सेंग को लेना भूल जाएंगे। विदेशी लोगों और मल्टीनेशनल कंपनियों वाले मोटे मुनाफे के लिए अपने विदेशी जिन्सेंग का बहुत प्रचार करते हैं। लेकिन मैंने अपने ऊपर और कुछ लोगों पर जो तजुर्बा किया है , उससे बेहतर हमारा अश्वगंधा है। )

इसके सेवनकाल में अगर कोई  मौस्मी रोग सताएं उसके अनुसार सहायक औषधि ले सकते है।

उपरोक्त योग में दो ग्राम की कम मात्रा रसायन गुण लेने के लिए दी गई है। अगर किसी रोग में प्रयोग करना है तो 3-6 ग्राम तक सुबह -शाम ले सकते है। 40 दिन से 90 दिन तक। इस से सस्ता दवा कोई नही है। यह एक आहार रूपी दवा है। अगर बच्चों को बचपन से शुरू करवा दिया जाए , उनकी हड्डियाँ फैलाद जैसी ताकतवर रहेगी । दिमाग कंप्यूटर जैसा , कद भी अच्छा निकलता है।बुजुर्ग लोगों को कभी बुढ़ापे के रोग नही सताते। जवान लोगों को ग्रहस्थ की परेशानिया जैसे कमजोरी , नामर्दी , शुक्राणु आदि कोई समस्या नही आएगी ।न कोई थकावट।
अश्वगंधा का निरंतर सेवन करने वाले को किसी डुप्लीकेट मल्टीविटामिन आदि के सेवन की जरूरत नहीं है। रोग प्रतिरोधक immunity power बहुत अच्छी रहती है। वायरल रोग सेवनकर्ता के पास कभी भी फटकते।

इसकी तासीर गर्म है। यह वात कफ नाशक है। पचने में भारी है। कमजोर पाचन वाले पहले अपने पाचन शक्ति को बढ़ाए या इसकी मात्रा का ख्याल रखें।  गर्मी के मौसम में और गर्मी वाले रोगियों को कई बार माफिक नही रहता । उपरोक्त मैंने मोती पिष्टी और प्रवाल पिष्टी का योग तो बताया ही , अब कुछ और कंबीनेसन बता देता हुं । जो तैयार करके आप बिना डर के सेवन कर सकते हैं। यह कंबीनेशन उन दोस्तों और पाठकों के लिए है जिन्हें शरीर में गर्मी या गर्मी के मौसम में गर्मी से समस्या आती हो।‌जिनके वात - पित्त - कफ ठीक हो या जिनको कोई गर्मी -सर्दी-खुश्की की कोई समस्या न हो वह भी निम्नलिखित नुस्खों में से कोई एक आजमा सकते है या मुझसे संपर्क करके अपनी तासीर अनुसार तैयार करवा सकते हैं। ताकि कोई भी सज्जन लाभ से वंचित न रह जाए । आप सब गर्मी में भी बिना डर ले सकते है। जिन्हे दूध माफक नही वह पानी से भी ले सकते है । वैसे तो अशवगंधा के अनेको प्रयोग है , उनमें से मेरे कुछ अनुभूत आपकी सेवा में हाजिर कर रहा हुँ ।

१. नुस्खा
अशवगंधा 5 तोला यानि पचास ग्राम ,
मुलहठी पांच तोला ,
आँवला पांच तोला ,
गिलोय का चूर्ण 5 तोला
सबको मिलाकर एक डिब्बे में संभाल लें .
इसके बराबर वजन मिश्री भी मिला सकते है.
अगर मिश्री मिलाना है तो 6 ग्राम पानी से जब दिल करें दिन में एक बार ले सकते है. अगर शूगर वाले मरीज है तो मिश्री के बिना बने मिश्रण को तीन ग्राम ले सकते है.

२. नुस्खा
अशवगंधा - 100 ग्राम ,
मुलहठी - 100 ग्राम,
गिलोय - 100 ग्राम
मिश्री - 300 ग्राम
मिलाकर सबको एकजान कर लें . डिब्बे में संभालकर रख लें .
एक चम्मच ताजे जल से लें .

३. अशवगंधा चूर्ण - 60 ग्राम ,
गिलोय सत - 20 ग्राम ,
प्रवाल पिष्टी - 10 ग्राम
सबको मिलाकर रख लें .
3 ग्राम की मात्रा दूध या जल से लें . दिन में एक बार .

४. दिमागी कमजोरी के लिए
अशवगंधा , बच , ब्राह्मी , शंखपुष्पी
20-20 ग्राम मिलाकर रख लें.
2-2 ग्राम सुबह-शाम मलाई,मक्खन या शहद या दूध से ले सकते है. जल से भी लिया जा सकता है.

५. दिमागी तेज करने के लिए
अशवगंधा 10 ग्राम,
बच-10 ग्राम,
मांलकंगणी-10 ग्राम,
ब्राह्मी -20 ग्राम,
रजत भस्म - 6 ग्राम ,
मोती पिष्टी नं १ - 3 ग्राम

सबको मिलाकर रख लें . 80 पुड़िया बनाकर रख लें .
सुबह-शाम एक-एक पुड़िया मलाई,मक्खन या दूध से लें.
यह मेरा पसंदीदा नुस्खा है. इसके 40 दिन सेवन करने से दिमागी कमजोरी दूर होती है. हर ग्रंथ को याद करने की ताकत देता है. आपका बच्चा अगर बार-2 पढ़ने पर भी भूल जाता है तो इसके सेवन से आपका बच्चा एकबार पढ़ कर दुबारा नही भूलेगा, हमेशा याद रहेगा. बढ़िया नंबर लेकर पास होगा. दिमागी काम करने वाले लोगों को भी यह बहुत अच्छा लाभ देता है.

पहले तीन नुस्खे मैंने यहां डाले है , यह गर्मी में जल या दूध , मलाई , मक्खन से लें।
सर्दी में गर्म जल , केसर मिले दूध, शहद , गुड़ , अदरक , पान के रस से लें सकते हैं।

कोई भी नुस्खा लेने से पहले एक बार मुझसे परामर्श जरूर लें ।

जिन योगों में मैं अश्वगंधा का प्रयोग करता हुं जैसे पुरुषों के मेरे द्वारा निर्मित “शाही तिला ख़ास” , “तूफानी ताकत महायोग”, “जीवन जौश महायोग”, “गाइनोमेस्टीया”, “दिमागी रोग”, “सोरेबर्ल पलसी”, “मसकूलर डिसट्राफी”, “घुटने बदलना, जोडों में ग्रीस खत्म हो जाना”, “गंठिया”, “बांझपन” “कद बढ़ाना” आदि जो मेरे वर्षों की मेहनत से अपने अनुभव के अनुसार तैयार किए हैं , सफलता पूर्वक अच्छे रिजल्ट दें रहे हैं।
यह योग बार-बार मैं पोस्ट कर चुका हुं। इच्छुक पाठक मेरे ब्लॉग https://drascheema.blogspot.in पर दुबारा पढ़ सकते है।

अश्वगंधा के कुछ सरल योग मैं अपने पाठकों के लिए लिखूंगा जोकि साधारण जन हर कोई घर पर बनाकर इस्तेमाल कर सकता है । मैं नहीं चाहता कि मेरे पाठकों को ऐसी महान औषधि की जानकारी के बाद वो किसी भी तरीके से किसी लाभ से वंचित रह जाएं। ऊपर जिन रोगों के योग मैंने बताएं है जिसमें अश्वगंधा का इस्तेमाल भी होता है। रोग अनुसार आप मुझसे मंगवा सकते है।

अब जो योग दूंगा सर्व सुलभ , सरल योग लिखूंगा । आप इस्तेमाल करें।
ऐसी महान औषधि के गुणों से अपने आसपास लोगों को बताएं और आयुर्वेद का प्रचार करें।

1.बांझपन के लिए एक चम्मच अश्वगंधा दूध से माहवारी खत्म होने के अगले दिन एक हफ्ता लें। उसके बाद समागम से आपकी मनोकामना पूरी होगी।

2. अश्वगंधा , विदारी कंद 100-100ग्राम , मिश्री 200 ग्राम मिलाकर रख लें। एक चम्मच सुबह-शाम दूध या पानी से लेने से सफेद प्रदर,छोटे स्तन, दूध की कमी , कमर दर्द , धांतु रोग , शुक्राणु कमी , साधारण कमजोरी में लाभ होता है।

3. अश्वगंधा 100 ग्राम , मीठी सुरंजान 50 ग्राम , सोंठ 25 ग्राम मिलाकर रख लें।‌गर्म पानी या दूध से एक चम्मच लें।
यह गंठिया,कमर दर्द, जोड़ों का दर्द में बहुत लाभकारी है।

4.अशवगंधा , ब्राह्मी 1-1 ग्राम मलाई से चाटने से दिमागी ताकत बढ़ाने के लिए लाभकारी है।

5. अश्वगंधा , सतावर , विदारी कंद, सफेद जीरा 50-50 ग्राम लेकर चूर्ण करें।‌ एक-एक चम्मच उन माताओं के लिए जिन्हें दूध कम बनता है। इससे दूध बढ़ता है , बच्चा भी मोटा ताजा होता है। बिमार कम होता है।

6.अशवगंधा , सोंठ , जायफल , लहसुन , अजवाइन ,केसर, मालकांगनी  10-10 ग्राम , लेकर दरदरा सा कूट लें।‌ 200 मिलीलीटर तिल तैल में पकाकर जला लें। छानकर रख लें। इस तैल को मांसपेशियों के दर्द, जोड़ दर्द , इंद्री पर मालिश के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

•लेखक - वैद्य•
!! सदैव आपका अपना शुभचिंतक !!
:: वैद्य अमनदीप सिंह चीमाँ , पंजाब ::
**संस्थापक कोहिनूर आयुर्वेद**
--Whatsapp 9915136138--