Tuesday, February 27, 2024

Lipoma चर्बी वाली रसोली

~Lipoma ( शरीर में चर्बी की गांठे )~
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Lipoma के बारे में कुछ जानकारी👇

लाइपोमा ऊतक का एक गोल या अंडाकार आकार का गांठ होता है जो त्वचा के ठीक नीचे बढ़ता है।  यह वसा से बना है, जब आप इसे छूते हैं तो आसानी से चलता है और आमतौर पर दर्द नहीं होता है।  लिपोमास शरीर पर कहीं भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन वे पीठ, धड़, हाथ, कंधे और गर्दन पर सबसे आम हैं।

 लिपोमा सौम्य नरम ऊतक ट्यूमर हैं।  वे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कैंसर नहीं होते हैं।  अधिकांश लिपोमा को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।  यदि लिपोमा आपको परेशान कर रहा है, तो आप इसे हमारी आयुर्वेद दवा से Permanent ठीक कर सकते है। 

 लिपोमास आमतौर पर दर्दनाक नहीं होते हैं, लेकिन अगर वे तंत्रिका के खिलाफ दबाते हैं या संयुक्त के पास विकसित होते हैं तो वे असहज हो सकते हैं।  लिपोमा वाले बहुत से लोग किसी भी लक्षण को नोटिस नहीं करते हैं।  

लिपोमास आमतौर पर कितनी प्रकार के होते हैं? 

1. एनकैप्सुलेटेड Encapsulated 
 वे अपने आसपास के ऊतकों में नहीं फैलते हैं।

2. दर्द रहित Painless 
हालांकि, कुछ लिपोमा उनके स्थान, आकार और रक्त वाहिकाओं के मौजूद होने पर दर्द और परेशानी का कारण बनते हैं।

 3.गोल या अंडाकार आकार Round or Oval-shaped
रबर जैसे ऊतक की वसायुक्त गांठ आमतौर पर सममित होती है।

4. जंगम Moveable 
वे त्वचा की सतह के ठीक नीचे बैठते हैं और जब आप उन्हें छूते हैं तो हिलते हैं।

 5. व्यास में 2 इंच से छोटा Smaller than 2 inches in diameter
 कुछ मामलों में लिपोमा 6 इंच से भी बड़ा हो सकता है।

 लिपोमास शरीर पर कहीं भी विकसित हो सकता है।  शायद ही कभी, लिपोमास मांसपेशियों, आंतरिक अंगों या मस्तिष्क पर विकसित होते हैं।  लिपोमा वाले अधिकांश लोगों में केवल एक ही होता है, हालांकि एक से अधिक लिपोमा विकसित हो सकते हैं।  अधिकांश लाइपोमा त्वचा के ठीक नीचे विकसित होते हैं। 
जैसे👇

 हाथ या पैर,
 पीछे,
 गरदन,
 कंधे,
  छाती और धड़,
 माथा

 आधुनिक विज्ञान में इसका इलाज आप्रेशन है । जो कि पक्का इलाज नही ।  आप्रेशन के बाद दूसरी जगह दुबारा हो जाती है । आधुनिक विज्ञान में इसका जड़ से इलाज नही है , सिर्फ आप्रेशन करके निकाल ही सकते है । 

लेकिन आयुर्वेद के इलाज से गांठे खत्म करने के साथ-2 , दुबारा बनने की रूची भी खत्म हो जाती है । शरीर में एक या अनेक गांठे आयुर्वेदिक दवा से निकल जाती है ।

 आपको आज मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा बताऊगा ,जिससे मैंने दर्जुनों रोगियो को इस रोग से बिना आप्रेशन मुक्त किया है । बहुत ही सफल और कारगर दवा बता रहा हुँ । 

फ्री का ज्ञान न समझें , ध्यान से पढ़े । शेयर करें । 
कोरियर द्वारा या मेरे आयुर्वेद सैंटर से आप आकर यह दवा प्राप्त कर सकते हैं। 

~परहेज~
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ज्यादा कफयुक्त पदार्थ न लें ।
 जैसे :- दूध ,घी ,मक्खन ,मलाई ,बाजार की बनी चीजें ,मेदा,बेसन, मीट,अंडा,केला ,अरबी,आलू ,शकरकंदी , चावल आदि । 

*Lipoma “चर्बी की गांठ” की मेरी अनुभूत चिकित्सा*
भाग -2
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•कचनार गुगल -90ग्राम
•कैशोर गुगल-90ग्राम 
•अरोग्यावर्धनी वटी-45 ग्राम
•वृद्धि वाधिका वटी-60ग्राम
•शिला सिंदूर -5ग्राम
•ताम्र सिंदूर -4ग्राम 
•पन्ना पिष्टी-15ग्राम 
•वज्र भस्म -2gm 
•मोती पिष्टी-15 ग्राम

*बनाने का तरीका*
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 सबसे पहले वृद्धि वाधिका वटी को बारीक पीस लें , फिर सिंदूर ताम्र आदि डालें ,उसके बाद मुक्ता,पन्ना पिष्टी,फिर वज्र भस्म ( यह बहुत ही महंगी भस्म है ( हर तरह के कैंसर ,गांठों में मेरी बहुत अनुभूत दवा है ) सावधानी से डाल दें । ) उसके बाद अरोग्यावर्धनी वटी डालकर कसकर घुटाई करलें । जब पूरी तरह बारीक एक जान हो जाएं । तो आखिर में कैशोर गुगल , कचनार गुगल को डालकर 2घंटे अच्छी तरह कसकर घुटाई करके बारीक कर लें। फिर इसको कचनार छाल के काढ़े में तीन बार घोटकर सुखा लें । यह तीन माह की दवा तैयार है । 

*खाने की विधि*
••••••••••••••••••
इस उपरोक्त दवा की 90 पुड़िया बनाकर सुरक्षित रख लें। 
रोज एक पुड़िया खानी है। आधी सुबह - आधी शाम ।
थोड़ा सा शहद मिलाकर चाट लें।ऊपर से गुनगुना पानी पीएं। 

*विशेष*
••••••••••
इस तीन माह की दवा से शरीर में किसी भी जगह ,कितनी भी संख्या की गांठे होगी , बिल्कुल ठीक हो जाएगी । भविष्य में कभी दुबारा नही होगी । यह बहुत ही असरदार ,कमाल का नुस्खा है । 

    चलता हुँ,रब्ब राखा.....

```लेखक
सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
Vaid Aman Cheema
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#lipoma #Ayurveda #VaidAmanCheema #AmanAyurved

Wednesday, February 14, 2024

शिलाजीत रसायन स्वर्ण युक्त

★ शिलाजीत रसायन स्वर्ण युक्त★

आयुर्वेद शास्त्र में शिलाजित बहुत प्रसिद्ध एवं प्रशंसित है. आयुर्वेद की प्रसिद्ध पुस्तक चरक संहिता में तो यहाँ तक लिखा गया है कि "जगत में ऐसा कोई साध्य रोग नहीं है जिसे उचित समय पर व उचित योगों के साथ विधिपूर्वक किये गये शिलाजित के प्रयोग से ठीक न हो।
शिलाजित न केवल रोगों का उपचार करने में सक्षम है, बल्कि यह सम्यक प्रयोग किये जाने पर स्वस्थ मनुष्य में भी उत्तम बल प्रदान करता है.

यही कारण है कि आयुर्वेद के बल्य, पौष्टिक, ओजवर्धक, दौर्बल्यहर, धातुपौष्टिक आदि अधिकांश योगों में तो शिलाजित का प्रयोग किया ही है, वहीं विभिन्न रोगों, जैसे कि मधुमेह, बहुमूत्रता, प्रमेह, धातुक्षीणता, नपुंसकता, निर्बलता, मूत्रकृच्छ्र, क्षय, वातरोग, पाण्डु, उदर रोग, अंगघात आदि अनेक रोगों में यथायोग्य अनुपान से प्रयोग किया जाता है।

यह शिलाजित नामक पाषाण स्राव आयुर्वेदानुसार कटु, तिक्त, उष्ण, कटुपाकी, रसायन, छेदी, योगवाही गुण वाला होता है तथा कफ-मेद-अश्मरी-शर्करा, मूत्रकृच्छ, क्षय, श्वास, वातरोग, अर्श, पाण्डु, अपस्मार, उन्माद, शोथ, कुष्ठ, कृमि व उदर आदि अनेकानेक रोगों का नाश करने वाला होता है.

शिलाजित अपने उत्पत्ति क्षेत्र की प्रस्तर चट्टानों के गुणानुसार चार प्रकार का कहा गया है.

1. स्वर्ण शिलाजित:- मधुर, कषाय, शीतल, वातपित्तहर होता है.

2. रजत शिलाजित:- तिक्त, शीतल, मधुरपाकी, पित्तकफहर होता है.

3. ताम्र शिलाजित:- कटु, उष्ण, कफहर है.

4. लौह शिलाजित:- कड़वा, सौम्य, कटुपाकी, शीत होता है.
इनमें से लौह शिलाजतु सर्वश्रेष्ठ होता है.

** शुद्ध शिलाजित की पहचान कैसे करें:-

जैसाकि पूर्व में बताया गया है कि शिलाजित चट्टानों से स्रवित होता है, अत: अन्य खनिज द्रव्यों की भाँति इसकी उपलब्धता भी परिमित है. स्पष्ट है कि बाजार में उपलब्ध शिलाजित नकली व मिलावटी हो सकता है. प्राय: शिलाजित पहाड़ी क्षेत्रों में प्राप्त होता है, जहाँ वर्ष के अधिकांश समय सर्दी रहती है-सूर्य अपनी प्रखरता पर नहीं होता. अत: यह सम्भव नहीं कि टनों असली सूर्यतापी शिलाजित विक्रयार्थ प्राप्त हो सके.
अब यह आवश्यक हो जाता है कि असली शिलाजित की पहचान कर प्रयोग किया जाये, अन्यथा मनोवांछित लाभ प्राप्त न होने पर शिलाजित व्यर्थ की वस्तु समझी जाने लगती है और आयुर्वेद पर विश्वास डगमगाने लगता है.

** असली शिलाजित की परीक्षा:-

1. शिलाजित के छोटे से टुकड़े को कोयले के अंगारों पर डालने से धुँआ न उठे व सीधी लौ की भाँति खड़ा हो जाए उसे असली माने.

2. शिलाजित के टुकड़े को पानी में डालने पर तार तार होकर नीचे बैठ जाए तो वह असली है.

3. शिलाजित सूख जाने पर उससे गौमूत्र की तरह गंध आती है.

4. असली शिलाजित काले रंग का, गोंद के समान, चिकना व हल्का होता है.

उपरोक्त विधियों से परीक्षण कर तथा जानकारों से संदेह निवारण के उपरान्त प्राप्त असली शिलाजित निस्संदेह ही लाभप्रद व उपयोगी सिद्ध होगा. नकली शिलाजित से लाभ नहीं होता.

*विविध उपयोग:-
पंचकर्म विधि से शरीर का शोधन करने के पश्चात शिलाजित का प्रयोग किया जाने पर श्रेष्ठतम लाभ मिलता है.
शिलाजीत के कुछ प्रमुख प्रयोग  

यहाँ कुछ रोगों के लिए शिलाजित के सामान्य प्रयोग बताये जा रहे हैं.--

1. प्रमेह:- शिलाजित 2 रत्ती की मात्रा में एक चम्मच त्रिफला के साथ सेवन करें.
कहा गया है कि असाध्य प्रमेह में भी यदि एक तुला (लगभग 4.66 kg) शिलाजित का सेवन किया जाए तो वह रोगी पूर्ण स्वस्थ हो सकता है. हांलाकि आज के संदर्भ में यह मात्रा बहुत अधिक है.

2. मधुमेह:- शिलाजित 20 ग्राम, हल्दी 20 ग्राम, मेथी, गुड़मार व विजयसार तीनों 40-40 ग्राम मिलाकर महीन पीसकर जामुन के रस लेना लाभप्रद है.

3. उच्च रक्तचाप:- शिलाजित व अनन्तमूल का समभाग चूर्ण 500 mg की मात्रा में मुलेठी के काढे से लें.

4. बहुमूत्रता:- शिलाजित, बंग भस्म, इलायची दाना, वंसलोचन सूक्ष्म पीस कर 500 mg की मात्रा में गोखरू के क्वाथ से लें.

5. स्वप्नदोष:- शिलाजित, बंगभस्म, लौहभस्म, बबूल गोंद एकमेव कर त्रिफला रस से प्रयोग करें.

6. कामला:- शिलाजित, गिलोयसत्व गौमूत्र से सेवन करें.

7. मूत्रप्रदाह:- इलायची व पीपली चूर्ण को शिलाजित के साथ, चन्दनासव से प्रयोग करें.

8. मस्तिष्क बल्य:- ताजा मक्खन से शिलाजित सेवन करना दिमाग के लिए उत्तम है.

9. धातुक्षीणता:- शिलाजित को केशर-मिश्री मिले दूध से प्रयोग करें.

10. पाण्डु:- शिलाजित को लौहभस्म व त्रिफला से सेवन करना चाहिए.

11. ज्वर:- शिलाजित को पर्पटक क्वाथ से प्रयुक्त किया जाना चाहिए.

12. स्थौल्य:- 2 रत्ती शिलाजित खाली पेट शहद व जल से प्रयोग करवायें.

13. शिरशूल:- शिलाजित 5ग्राम, मजीठ व गिलोयसत्व 20-20 ग्राम मिलाकर दो ग्राम की मात्रा में आँवला मुरब्बा से दें.

14. धातु दौर्बल्य:- शिलाजित 16 भाग, लौहभस्म 4 भाग, अभ्रक भस्म 2 भाग, बंगभस्म 1 भाग मिलाकर 250 mg गोली बनाकर सुबह शाम मिश्रीयुक्त दूध से लें।

उपरोक्त प्रयोग एक दर्शिका मात्र है. रोगी व रोग के पूर्ण निदान पश्चात उचित समायोजन करें.

** शिलाजित युक्त विशिष्ट योग:-
शिलाजित के अनेक योग बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख योग हैं-
शिलाजत्वादि वटी
वीर्यशोधन वटी
चन्द्रप्रभा वटी
प्रमेहगजकेशरी वटी
आरोग्यवर्द्धिनी वटी
ब्राह्मी वटी
आदि....

** शिलाजित सेवन में अपथ्य:-
उष्ण पदार्थ, गरिष्ठ भोजन, लाल मिर्च, तेज मसाले, शराब, अण्डे, माँस-मछली, तैल, गुड, खटाई, कुलथी, मकोय, दिन में सोना, मल-मूत्र का वेग रोकना, अति व्यायाम, अति स्त्री संग, मानसिक तनाव आदि का शिलाजित सेवन काल में परहेज करें.

** शिलाजित सेवन वर्जित :-
अत्यन्त गुणयुक्त व उपयोगी होते हुए भी कुछ स्थितियों में इसका सेवन निषेध किया गया है. जैसे- पित्त प्रकृति, अम्लपित्त, अल्सर, दाह, शारीरिक उष्णता आदि.
अन्त में हम यही कहना चाहेंगें कि यथाविधि, उचित अनुपान से चिकित्सक की सलाह के अनुसार प्रयोग किया गया असली शिलाजित निस्सन्देह उपयोगी सिद्ध होता है. शीतकाल में शुद्ध शिलाजित या शिलाजित के योग अवश्य लाभ करते हैं.

शिलाजीत सूर्यतापी से हम  #शिलाजीत_रसायन_स्वर्ण_युक्त तैयार करते हैं जो कि शिलाजीत के गुणों में वृद्धि कर देता है। 
शिलाजीत रसायन के घटक निम्नलिखित हैं। 

शिलाजीत सूर्यतापी, 
अभ्रक भस्म सहस्त्र,
 केसर ,
 हीरक भस्म , 
स्वर्ण भस्म 

बहुमूल्य घटक होने से महंगा तो बनता ही है , इसकी पहली खुराक ही शरीर में करंट भर देती है। 
 
शिलाजीत रसायन आप कोरियर द्वारा मेरे से मंगवा सकते है। 9999/-₹ 

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वैद्य डाँ अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद, 
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Monday, February 12, 2024

King Cobra Mahayog

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”

कैसा भी नामर्द होगा , चाहे कितना भी पुराना नामर्द होगा मर्द बन जाएगा।  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से ।‌

मेरे क्लीनिक का प्रसिद्ध “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”

मेरा सफल अनूभूत योग है । 

जो मैं कई वर्षों से सफलतापूर्वक प्रयोग कर रहा हुँ ।

जिसका नाम मैंने  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  रखा है ।

जो इसको खा लेगा बस याद करेगा।

 जिसने जगह-2 दवाएं खाई हो। चाहे कितनी भी निराशा मिली हो , लाखों रुपए खर्च किए , injection लगाएं , देश-विदेश में इलाज करवाया हो , कीमोथेरेपी के बाद , गंभीर चोट के कारण , ज्यादा संभोग के कारण , ज्यादा हस्तमैथुन के कारण या शूगर के कारण , या स्टीराईड के कारण, चाहे किसी भी कारण या गलती से नामर्दी आई हो , हर तरह की नामर्दी के लिए यह  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”   बहुत लाभदायक है। 

 शीघ्रपतन, नामर्दी ,शुक्राणु, बांझपन , VD, गुप्त रोग का इलाज आयुर्वेदिक दवा से किया जाता है। 

• “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” नुस्खा विधि:- 

हमारे दवाखाने पर जिस अनुपात से तैयार होता है। उसी अनुपात में लिख रहा हुं। 

सफेद प्याज , लहसुन का रस , आर्दक रस 15-15 किलो लेकर उसका रस निकाल लें ,अब इसका अर्क तैयार लें , जो अर्क बनाने का काम करते है वही तैयार कर सकते है । तीन बार अर्क खींचने पर 2-3 बोतल ही निकल पाएगी , यह है ★अर्क जौशीला★ ।

सिंगरफ रूमी चार तोले  मतलब 10-10 ग्राम की 4 डलियां लेकर बछनाग,कुचला,भिलावा,मांलकंगनी,जायफल , गुंजा लाल , लौंग के बीच रखकर तैैयार कर लें । 

इस तैयार सिंगरफ को साफ करके खरल में डालकर जौशीला अर्क में बूंद बूंद डालकर खरल करके,  सभी बोतलों का अर्क जोशीला सुखा दें। अर्क उतना ही डालें  जितने से सिंगरफ गींली हो बस इतना ही अर्क डालना है। 

हम सैकड़ों तरीके से सिंगरफ तैयार करते है ।  उपरोक्त विधि से सिंगरफ तैयार करने से भी रिज्लट बहुत बढ़ गए, जगह जगह दवा खा कर हार चुके रोगियों को इसका सेवन करवाया तो वह इसके रिज्लट देखकर हैरान हो गए, ऐसे जब रोगी ठीक होकर शुक्रिया अदा करता है तो उस ब्राहमंड के मालिक निरंकार के आगे बारंबार सिर झुकता है। 

सिंगरफ तैयार करने की एक विधी मैंने अपने YouTube channel पर भी डाली है।

अर्क जौशीला में सिंगरफ खर्ल करने के बाद 
 अशवगंधा की ताजी जड़ के रस में , 
सेमल की जड़, 
पलास की जड़ के रस में 5-5 बार घोटकर सुखाएं।  

फिर इस तैयार कुश्ते में  स्वर्ण भस्म,वज्र भस्म , मोती पिष्टी  20 ग्राम ,केसर 10 ग्राम मिलाकर रख लें | 
 आपका “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  तैयार है। 
हम  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  कैप्सूल, गोली में तैयार करके रखते है। आपको  गोली , कैप्सूल जो भी पसंद है , मंगवा सकते हैं। 

पाठक नोट करें यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” बहुत महंगा है।
मोती नं 1 , हीरा , सोना, केसर  भी बहुत महंगी है। मेहनत इनसे भी ज्यादा लगती है। जिन्हे जरुरत हो या खर्च कर सकते है वो ही संपर्क करें।

यह दवा हमारे पास उपल्बध रहती है । अपनी इच्छानुसार आप एक माह ,दो माह  की मंगवा सकते है। 

  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”   महाौष्धि को आपने सुबह-शाम दूध के साथ लेना है ।

 “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  2 महीना खाकर फिर शरीर में आई जवानी को देख आप दंग रह जाएगे । जिंदगी का लुत्फ लें, न कि ताकत को हासिल कर अयाशी में उडा दे।

 कमजोर औरत वाले  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”    का प्रयोग सोच समझकर ही करें।

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  बहुत ताकतवर है । “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  उत्तेजक बहुत है ।

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”के सेवन से कुछ ही दिन में रंग लाल सुर्ख हो जाता है । 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से लिंग में संभोग समय बहुत ज्यादा जौश बना रहता है।

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से लिंग लठ जैसा , सटील की राड जैसी मजबूती बनी रहती है। यह नुस्खा  दूध घी मांगता है यानि कि दूध घी का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए।

  सर्दीयो गर्मीयों दोनों में “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” का प्रयोग लाभकारी है ।

 गर्मीयों में  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन करने वाले को हम आँवला मुरब्बा , गुलकंद , गिलोय का सत , प्रवाल पिष्टी मिलाकर सेवन करवाते है ताकि गर्मी न करें , आपको पूरा पूरा लाभ मिले। 

सर्दी में “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन से  प्रयोग नवंबर से फरबरी , मार्च तक करना बहुत ही लाभकारी है , रिज्लट भी बहुत मिलता है । 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” महँगा तो है लेकिन रिज्लट देख पैसे भूल जाते है । कई लोग नामर्दी के कारण आत्महत्या की सोच बैठे थे नामर्दी से तंग आकर । 
“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन से पुर्ण मर्द बन गए है ओर अपनी जिंदगी खुशी से जी रहे है ,इसकी एक और खूबी है कि इसका सेवन करने वाला बार-बार संभोग करने पर भी थकता नही , रात में कई कई बार संभोग कर सकता है ,मेरे क्लीनिक पर यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”तैयार रहता है , आप कोरियर द्वारा देश-विदेश में घर बैठे आसानी से मंगवा सकते है । messaga box or Whatsaap पर बात कर सकते है, इस योग के गुणों के बारे जितना लिखा जाए  उतना कम है , इसको बनाने में काफी समय लगता है और बिना तजुर्बा के बनाना भी कठिन है। 

यह दवा शीघ्रपतन,नामर्दी ,कमजोरी, शुक्र की कमी , वीर्य का पतलापन , शादी से घबराहट ,शूगर के कारण आई कमजोरी में बहुत ही लाभकारी है ।

पूरे लाभ के लिए यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” 2 महीने जरूर प्रयोग करना चाहिए। 

जिनकी शादी हो चुकी है या जो भरपूर संभोग आनंद के इच्छुक लोग है । उन्के लिए यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” बहुत ही लाभकारी दवा है ।

शौकीन और पूरे तंदरूसत लोग भी “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” का सेवन बेफिक्री से कर सकते हैं। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से किसी भी तरह का कोई भी नुक्सान नहीं होता है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
लकवा फालिज वाले भी कर सकते है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
का सेवन शादी से पहले भी कर सकते हैं। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन से  ज्यादा औरतों के शौकीन लोग बहुत फायदा उठा सकते है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से संभोग के शौकीन लोग फायदा उठा सकते है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से भविष्य में भी नामर्दी नही होती । 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से  शीघ्रपतन खत्म होकर संभोग का समय बहुत लंबे समय तक बना रहता है। 

 “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से संभोग करने वाला जिस स्त्री से संभोग कर लेगा वो सारी उम्र उसकी दासी बन कर रहेगी । संभोग में की गई एक-एक चोट  दोनों को गहरे आनंद में ले जाती है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” 6 -8 months 
के सेवन से 80 साल के बजुर्ग को भी संभोग के काबिल बना देता है , हिजड़ा भी इसके सेवन से संभोग के काबिल बन जाता है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से 
बूरे काम या बचपन की गलतियों के कारण जिसने अपनी जिंदगी खराब कर ली हो उन लोगों के लिए यह अमृत समान गुणकारी है ।

इस “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
में जो औष्धिया प्रयोग की जाती है वह  कितनी गुणकारी है। इसका अंदाजा सेवन करके ही लगाया जा सकता है।‌

अत: कहना चाहुंगा कि यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” हर वर्ग के पुरूषों के लिए सेवनीय है और कल्यानकारी है । अनजान लोग बनाने की कोशिश न करें । 

आप लोग हमारा यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” पोस्ट से या  कोरियर से हमसे अपने पते पर  मंगवा सकते है। 

इसका नाम हमने इसको गुणों को देखते हुए “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” रखा  है | यह तूफान जैसी ताकत देने वाली औष्धि है । इस रेट में इससे बढ़िया और कोई दवा मेरी नजर में कोई नही है ।  

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”और मेरे द्वारा निर्मित और भी बहुत सारे महायोग , शाही - बादशाही योगों को सेवन करने वाले मर्द अच्छी तरह जानते है । कि आयुर्वेद दवाएं कितनी कारगर है और रामबाण है ।

 मेरे पास अच्छे पैसे वाले शौकीन लोग बहुत महंगे राजा-महाराजाओं वाले नुस्खे तैयार करवाकर सेवन करते है। आपने सुना होगा बुजुर्ग लोगों से कि राजा-महाराजाओं के दर्जुनों , सैकडों औरतों से संबंध होते थे, इस बात सच है। उनके पास पर्सनली वैद्य हुआ करते थे जो उनको बादशाही योग बनाकर खिलाते थे। उनकी भरपूर ताकत का राज शाही-बादशाही  नुस्खे ही था । यह जौशीली ताकत महायोग भी उनमें से एक है । तभी तो राजा लोग कई औरतों से संबंध बनाते थे,कई कई बार संभोग करने पर भी बिल्कुल भी थकते नही थे। ऐसा आदमी जिस औरत की तृप्ति कर देता है वो दुबारा किसी मर्द के बारे सोचती भी नही। 

मैं एक बहुत पुरानी किताब पढ़ रहा था जिसमें लिखा था कि जंगल में एक संत थे वह आयुर्वेद दवा भी बनाते थे तो उनके पास एक बुजुर्ग आए  , उन्होंने अपनी बुढ़ापे की कमजोरी की समस्या बताई तो संत महाराज नया नुस्खा बनाकर फ्री हुए थे तो उन्होंने कुछ दवा पुड़िया में डालकर दे दी , मक्खन से रोज थोड़ी मात्रा में खाने की सलाह दी। बुजुर्ग ने घर जाकर दवा पुड़िया में देखी , मात्रा थोड़ा समझकर एकसाथ ज्यादा मात्रा में खानी शुरू कर दी। कुछ ही दिन में उस बुजुर्ग की काम उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि उस बुजुर्ग को दुबारा शादी करनी पड़ी। 

एक बार राजा का आयुर्वेदिक नुस्खे द्वारा बना हुआ पान उसके नौकर ने खा लिया ,घर जाकर उसने अपनी पत्नी से ऐसा संभोग रचाया कि वह उसकी बीवी को उनकी ताकत को संभालना बहुत मुश्किल हो गया। दोस्तों यह है आयुर्वेद की ताकत। 

लेख बहुत लंबा हो चुका है । शाही - बादशाही नुस्खे गरीब आदमी की पहुंच से बाहर है , अमीर लोगों को शाही नुस्खे राजा-महाराजाओं के नुस्खे लेना कोई मुश्किल नहीं है।  पुरानी कहावत अनुसार  “जितना गुड़ डालोगे उतना मीठा होगा " फिर भी गरीब आदमी को जैसे तैसे करके कुछ दिन ऐसे नुस्खों का इस्तेमाल कर ही लेना चाहिए। 

जो सस्ते नुस्खे या घरेलू नुस्खों की खोज में है वो मेरे YouTube channel , Facebook पर सैकड़ों नुस्खे देख सकते हैं। अपनी सुविधानुसार बना सकते हैं। 

आपका अपना 
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Saturday, February 10, 2024

महा बल शाली महायोग

★महा बल शाली महायोग ★ 
( 30 पुड़िया वाला कोर्स )

यह दवा मर्दाना कमजोरी, पट्ठों की कमजोरी, weak immunity Power , body Builder, Zym lovers के लिए बेहतर कार्य करती है।‌

★महा बल शाली महायोग ★ 
( 30 पुड़िया वाला कोर्स )

अभ्रक भस्म 1000पुट्टी 5ग्राम , 
मल्ल सिंदूर 2.5 ग्राम , 
मोती पिष्टी 5 ग्राम , 
रौप्य भस्म 5 ग्राम
सिद्ध मकरध्वज 5ग्राम ,
स्वर्ण भस्म आधा ग्राम ( 500mg ) ,
हीरक ( वज्र ) भस्म आधा ग्राम ( 500mg ) 
महा बल वर्धक योग -10ग्राम 
गिलोय का सत् 10ग्राम 

यह योग किसी अच्छे चिकित्सक द्वारा ही तैयार किया जा सकता है,इसमें कूपीपक्व रसायन है , जो कि बहुत सावधानी से तैयार किए जाते है‌। फिर इस्तेमाल किए जाते हैं।

 अतः साधारण जन इसको बनाने की कोशिश न करें। 

सबसे पहले मल्ल सिंदूर और सिद्ध मकरध्वज को इतना खरल करें कि यह चमक रहित हो जाएं, फिर बाकी की दवाएं मिलाकर 30 पुड़िया बना लें।

 सुबह शाम एक एक पुड़िया शहद ,  मलाई या शहद + अदरक रस के साथ लें।
उपर से दूध पी लें।‌

तीन दिन में इतनी ताकत पैदा होगी कि संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसमें दूध घी जरुर इस्तेमाल करें। शादीशुदा जोड़े अगर दोनों इसका इस्तेमाल करें तो एक भी रात संभोग किए बगैर नहीं गुज़रेगी। संभोग में दोनों का आनंद बहुत गहरा होगा। दमे का मरीज इस दवा को खाएगा तो जो थोड़ा सा चलने से ही असमर्थ था , ओलंपिक में जाने के सपने देखेगा। जिनकी immunity Power बहुत कमजोर है। उनके लिए बहुत कारगर है। Zym में जो ज्यादा समय बिताना चाहते हैं या body builder बनना चाहते हैं , वह इस नुस्खे का जरुर इस्तेमाल करें। 

इसमें स्वर्ण भस्म और हीरा भस्म अतिअंत महंगे हैं, जो समर्था रखते हैं वो इसका जरूर इस्तेमाल करें।‌

Price 15000₹ #महा_बल_शाली_महायोग

आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद, 144205, पंजाब
Call & WhatsApp 099151-36138

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Thursday, February 8, 2024

immunity Power

आयुर्वेद से Immunity Power कैसे बढ़ाएं? 

हर साल कोई न कोई वायरस , फ्लू देश - विदेश मैं फैलता है ।  कोई भी वायरस तब तक आदमी को नुक्सान नहीं पहुंचा सकता जबतक immunity power बिल्कुल ठीक हो । यह दवाएं शरीर को बिमारियों से लड़ने की ताकत बहुत बढ़ा देती है । 

अगर कोई फ्लू हो भी जाए तब भी आयुर्वेद उसे ठीक करने में सक्षम है। यह बात पूरा विश्व जान चुका है। आयुर्वेद को अब हर कोई अपना रहा है। 

आप उपरोक्त नुस्खे सेवन‌ करने से पहले योग्य चिकित्सक की देख-रेख और सलाह अवश्य लें। अच्छी कंपनी की दवा ही प्रयोग करें।  

1.च्यवनप्राश एक चम्मच साथ में गिलोय घनवटी दो-दो गोली दिन में एक बार ताजा जल से लें । 
~कफ/बुखार/immunity power

2.आमलकी रसायन 100 ग्राम , 
गिलोय का चूर्ण -50ग्राम , 
मुलेठी -25 ग्राम , 
दालचीनी -25 ग्राम 
मिश्री -200ग्राम 

सबको मिलाकर रख लें । 
2-2 ग्राम ताजे जल से सुबह शाम सेवन करें। 
~गर्मी/बुखार/कफ जमा होना/immunity Power 

3. तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच ,
अदरक का रस एक चम्मच 
शहद एक चम्मच दिन में एक बार ले सकते है। 
~कफ/बुखार/खांसी/ठंड/immunity Power 

4. महासुदर्शन घनवटी दो गोली 
त्रिभुवन कीर्ति रस आधी गोली गुनगुने पानी से लें। 
~कफ/बुखार/immunity Power 

5. गिलोय घन वटी दो गोली ,
संजीवनी वटी एक गोली ताजा जल के साथ लें ।  
~कफ/बुखार/उल्टी/बदहजमी/immunity Power 

6.महालक्ष्मी विलास रस 1 गोली,
 महामृत्युंजय रस 1 गोली ,
सितोपलादि चूर्ण 2ग्राम + अश्वगंधा चूर्ण 1ग्राम मिलाकर दूध के साथ लें। ज्यादा कमजोरी की हालत में इस दवा का प्रयोग कर सकते है। 
~कफ/दमा/कमजोरी/बुखार/immunity Power 

उपरोक्त सभी 6  नुस्खों में से जो लक्षण रोगी में मिलें, सिर्फ वहीं एक नुस्खा इस्तेमाल करें। 

सदैव आपका अपना
वैद्य अमन चीमा,
Aman Ayurved 
144205, पंजाब
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Sunday, February 4, 2024

Varicose Veins

Vericose veins - जांघों और पिडलियों पर उबरी हुई लाल/नीली नसें 

इसमें रोगी के जांघों और पिडलियों की नशें में उबार आ जाता है । जो कि अधिक दबाव पढ़ने के कारण नसों के वाल्व खराब हो जाते है । जिसकी वजह से यह समस्या उत्पन्न होती है । पैरों में सूजन, खून का जमना, त्वचा का रंग बदलना जैसी गंभीर समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसके साथ ही त्वचा का सूखना, खुजली होना और त्वचा का फटना जैसी परेशानियाँ भी हो सकती हैं। रोग पुरूषों के मुकाबले महिलायों को ज्यादा होता है ।

अमेरिका में 50 की उम्र के बाद 50% लोगों को यह समस्या है । जब वाल्व्स (valves) ठीक से कार्य नहीं करते तो रक्त धमनियों में ही रहता है, जिसकी वजह से इसमें सूजन आ जाती है और वेरिकोज़ नसों की समस्या उत्पन्न हो जाती है। त्वचा की सतह पर दिखने वाली छोटी नसों को स्पाइडर नसें (spider veins) कहा जाता है।

उम्र का कारक भी वेरिकोज़ नसों की बढ़त में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उम्र के साथ नसें अपनी लचक खोती रहती हैं। इन नसों के वाल्व्स कमज़ोर हो जाते हैं और दिल में रक्त जाने में समस्या उत्पन्न हो जाती है। ये धमनियां नीली इसलिए दिखती हैं, क्योंकि इनमें ऑक्सीजन (oxygen) से रहित खून होता है जो फेफड़ों से सारे शरीर में जाने की प्रक्रिया में होता है।

जवानी के फूटने, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति (menopause) की अवस्था में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिसकी वजह से वेरिकोज़ नसें दिखने लगती हैं। कई बार हार्मोनल पूरक उत्पाद और गर्भनिरोधक गोलियों की वजह से भी ये धमनियां वेरिकोज़ नसों में बदल जाती हैं। डाँ तो इसके लिए आप्रेशन या लेजर चिकित्सा बोल देते है , आपको घबराने की कोई जरूरत नही , बताई हुई दवा से आप बि ठीक हो जाएगें, अगर दवा नही बना सकते तो हमसे बनी बनाई भी मंगवा सकते है । 

इस रोग में निम्नाणुसार कारण शामिल है:- 
ख़राब दिनचर्या,
व्यायाम न करना ,
अच्छे खानपान की कमी ,
घंटो तक बैठे रहना, 
शारीरिक गतिविधि की कमी, 
अधिक जंक फ़ूड खाना, 
गर्भावस्था, 
लम्बे समय तक कब्ज,
विटामिन-सी की कमी,
ग्रदों का रोग
लिवर खराब रहना,
Tumour,
गठिया,ह्रदय रोग
भारी वजन उठाने या कठिन अभ्यास करने से भी ये समस्या हो सकती है। 

★मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा ★
अरोग्यावर्धनी वटी 6 gm gm
पुनर्नवादि मंडूर 6gm
कचनार गुगल 12 gm ,
शिलाजीत 5gm , 
स्वर्ण समीर पन्नग रस 2ग्राम , 
शिला सिंदूर -2ग्राम 
वृहत वात चिंतामणि रस 6ग्राम 

सबको कसकर घुटाई करके एकजान करलें, फिर 60पुड़िया बना लें । 

सुबह-शाम 1-1पुड़िया शहद से चाटकर , ऊपर से महारास्नादि काढा+ कचनार कषाय 2-2चम्मच गर्म पानी में मिलाकर पीएं । या गर्म पानी से लें। 

महानारायण तैल की मालिश करें । फिर सिकाई करें । आशातीत लाभ होगा । चलता हुँ ......

दवा घर पर मंगवाने हेतु संपर्क करे। 

लेखक
सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
वैद्य अमन चीमा,
अमन आयुर्वेद, 144205,पंजाब
Call & WhatsApp 9915136168

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Thursday, February 1, 2024

Vrihit Vat Chintamani Ras Gold

वात चिंतामणि रस ( स्वर्ण भस्म युक्त ) 

छोटी सी गोली , काम बहुत बड़े

आओ जान लो 

वात कुपित होने से शरीर में कई प्रकार के रोग और कष्ट पैदा होते हैं। वात कुपित होने के कई कारण होते हैं। कुछ कारण आगंतुक होते हैं और कुछ कारण निजी होते हैं।

आयुर्वेद शास्त्र ने वात प्रकोप का शमन करने वाले एक से बढ़कर एक उत्तम योग प्रस्तुत किए हैं। उन्हीं योगों में से एक उत्तम योग है वृहत् वात चिंतामणि रस

घटक द्रव्य :
स्वर्ण भस्म 1 ग्राम, 
चाँदी भस्म 2 ग्राम, 
अभ्रक भस्म 2 ग्राम, 
मोती भस्म 3 ग्राम, 
प्रवाल भस्म 3 ग्राम, 
लोह भस्म 5 ग्राम, 
रस सिंदूर 7 ग्राम।

निर्माण विधि :
पहले रस सिंदूर को खूब अच्छी तरह महीन पीस लें, फिर सभी द्रव्य मिलाकर ग्वारपाठे के रस में घुटाई करके, 
1-1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर, सुखा लें और शीशी में भर लें।

एक रत्ती = 125mg 

मात्रा और सेवन विधि :
 1-1 गोली दिन में 3 या 4 बार । 
आवश्यकता के अनुसार शहद, मलाई, मुरब्बा,दूध, जूस । 

आपके रोग संबंधी दूसरी सहायक दवा के साथ भी वृहत वात चिंतामणि रस ले सकते हैं।‌ 

लाभ :
यह योग वातप्रकोप का शमन कर वातजन्य कष्टों और व्याधियों को दूर करने के अलावा और भी लाभ करता है।

 यह पित्त प्रधान वात विकार की उत्तम औषधि है, जो तत्काल असर दिखाती है।

★यह योग नए और पुराने, दोनों प्रकार के रोगों पर विशेष रूप से बराबर लाभ करता है। 
वात प्रकोप को शांत करने के अलावा यह शरीर में चुस्ती-फुर्ती और शक्ति पैदा करता है। वात रोगों को नष्ट करने की क्षमता होने के कारण आयुर्वेद ने इस योग की बहुत प्रशंसा की है।

★नींद न आना, 
हिस्टीरिया और 
मस्तिष्क की ज्ञानवाहिनी नाड़ियों के दोष से उत्पन्न होने वाली बीमारी में इसके सेवन से बड़ा लाभ होता है।

 जब वात प्रकोप के कारण हृदय में घबराहट, बचैनी, मस्तिष्क में गर्मी और मुंह में छाले हों, तब पित्तवर्द्धक ताम्र भस्म, मल्ल या कुचला प्रदान औषधि के सेवन से लाभ नहीं होता। ऐसी स्थिति में इस योग के सेवन से लाभ होता है।

★प्रसव के बाद आई कमजोरी को दूर करने और सूतिका रोग नष्ट करने में यह योग शीघ्र लाभ करता है। वृद्धावस्था में वात प्रकोप होने और शरीर के कमजोर होने पर इस योग के सेवन से स्त्री-पुरुषों को जादू की तरह लाभ होता है और शक्ति प्राप्त होती है।

★वात जन्य व्याधियों के अलावा यह योग अन्य व्याधियों को भी दूर करता है। हृदय रोग में अर्जुन छाल का चूर्ण एक चम्मच और इस योग का सेवन करने से उत्तम लाभ होता है। कठिन वात रोग जैसे पक्षाघात (लकवा), अर्दित, धनुर्वात, आदि में भी इस योग का सेवन, रसोन सिद्ध घृत के साथ करने से विशेष लाभ होता है।

★रक्त की कमी (एनीमिया) होने तथा वात नाड़ी संस्थान में कमजोरी होने पर बार-बार चक्कर आना, मानसिक स्थिति बिगड़ना, स्मरणशक्ति कमजोर होना, प्रलाप करना, भूल जाने की आदत पड़ना आदि लक्षणों के पैदा होने पर इस योग का सेवन करने से थोड़े ही दिनों में लाभ हो जाता है।

★ शराब पीने के आदी लोगों के जीर्णवात रोग और जीर्ण पक्षाघात (पुराना लकवा) की स्थिति में अन्य औषधियों की अपेक्षा यह गोली और योगेन्द्र रस ( गोली )  विशेष लाभप्रद सिद्ध होते हैं।

वृहत वात चिंतामणि रस योग में चांदी की भस्म होने से यह योग वृक्क स्थान और मस्तिष्क पर विशेष रूप से शामक कार्य करता है, क्योंकि योगेन्द्र रस रक्त को शुद्ध करने तथा हृदय को बल देने की कार्रवाई करने का विशेष गुण रखता है।

★ मानसिक श्रम के बल पर आजीविका अर्जित करने वाले स्त्री-पुरुषों के लिए यह योग अमृत के समान है, क्योंकि इससे याददाश्त अच्छी हो जाती है। इस योग का सेवन 2 चम्मच सारस्वतारिष्ट के साथ लाभ न होने तक सुबह-शाम करना चाहिए।

इस प्रकार, इतने विवरण से यह सिद्ध हो जाता है कि वृहत् वात चिंतामणि रस एक उत्तम और शरीर को कई प्रकार से शक्ति देने वाला और वात प्रकोप को शांत कर समस्त वातजन्य विकारों को नष्ट कर शरीर और स्वास्थ्य की रक्षा व वृद्धि करने वाला श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग है। यह योग इसी नाम से बना-बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता की दुकान पर मिलता है। 

नोट:- उपरोक्त बताएं गए लाभ के लिए आप वैद्य द्वारा तैयार वृहत वात चिंतामणि रस ही इस्तेमाल करें। 
कोई भी आयुर्वेद दवा लेने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह जरूरी है। हमने यहां आपकी जानकारी के लिए लेख ( article ) लिखा है। 

मिलते हैं ऐसे ही किसी अगले लेख में...... 

आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमन चीमा,
अमन आयुर्वेद,144205,PB. 
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