Saturday, March 30, 2024

सत्यानाशी Argemone Mexicana

सत्यानाशी , स्वर्णक्षीरी ARGEMONE MEXICANA 

•Satyanashi Plant / आयुर्वेद में सत्यानाशी पौंधा एक बहु-उपयोगी औषधि रूप है। 
सत्यानाशी यानि कि सभी प्रकार के रोगों का नाश करने वाली वनस्पति। 
सत्यानाशी पौधा बंजर, नदी किनारे, जगलों, खाली जगहों में पाये जाते हैं। सत्यानाशी पौधा लगभग 3 फीट तक लम्बा होता है। फूल पीले और पत्ते हरे तेज नुकीले होते हैं।  बीज सरसों दानों की तरह होते हैं। कोमल पत्ते -तने तोड़़ने पर दूध जैसा तरल निकलता है। 

सत्यनाशी पौधा भारत में लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है।

 जिसे अलग-अलग नामों 
 स्वर्णक्षीरी, कटुपर्णी, पीला धतूरा, स्याकांटा, फिरंगी धूतरा, भड़भांड़, काटे धोत्रा, मिल धात्रा, दारूड़ी, चोक, कटसी, भटकटैया पौधा, सोना खिरनी, कुश्मक, शियालकांटा, कुडियोटिट, और अंग्रेजी में Argemone mexicana, Prickly Poppy, Mexican Poppy, Satyanashi से पुकारा जाता है।

 सत्यनाशी औषधि और तेल रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

सत्यनाशी के फूल, पत्ते, दूध, जड़ें,तना, बीज औषधि के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। 

•पुराने घाव :-
चोट घाव ठीक करने में सत्यानाशी फूल, पत्तियों का रस या तैल अचूक औषधि मानी जाती है। सत्यानाशी फूल पत्तियों का रस घाव जल्दी भरने में सहायक और घाव को संक्रमित होने से बचाने में सहायक है। 

•गठिया- जोड़ों के दर्द में 
सत्यनाशी तेल में लहसुन पकाकर अच्छे से मालिश करने से गठिया जोड़ों के दर्द में फायदा होता है।

•पुरुषों महिलाओं की अंदरूनी कमजोरी दूर करे सत्यानाशी :-
पुरूर्षों महिलाओं दोनों की अन्दुरूनी गुप्त बीमारी नपुंसकता, धातुरोग, वीर्य कमजोरी, शुक्राणुओं की गड़बड़ी और निसंतान कलंक दूर करने में सत्यानाशी पौधा एक अचूक प्राचीनकालीन औषधि है। महिलाओं पुरूर्षों के गुप्त रोगों में सत्यानाशी के फूल रस, पत्तियों का रस आधा चम्मच सुबह- शाम कच्चे दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। सत्यानाशी बीज तेल से मालिश और 50 ग्राम सत्यनाशी जड़ों 1 लीटर पानी में हल्की आंच में उबाल कर काढ़ा तैयार करें और रोज सुबह शाम 2-2 चम्मच पीने से जल्दी फायदा होता है। निसंतान दंम्पतियों के लिए सत्यनाशी पौधा अचूक औषधि मानी जाती है। 

 ज्यादा लाभ के लिए आप मेरे क्लीनिक पर ‌तैयार होने वाले नुस्खे जैसे:-  तूफानी ताकत महायोग, जीवन जौश महायोग , बादशाही महायोग आदि कोई एक नुस्खा डाक/कोरियर द्वारा लें सकते है। 

•लिंग कमजोरी दूर करे सत्यानाशी तेल :- 
सत्यानाशी बीज तेल मालिश पुरूर्षों की लिंग स्थिलिता, कमजोरी दूर करने में कुछ सहायक है। सत्यानाशी तेल मालिश कमजोर नसों में रक्त संचार तीब्र और सुचारू बनाये रखने में और लिंगवर्धन में सक्षम है। 
ज्यादा लाभ हेतू मेरे क्लीनिक पर तैयार  तिला मंगवा सकते है। 

सावधानियां :-
सत्यानाशी का सेवन गर्भावस्था के दौरान मना है।
गम्भीर सर्जरी में सत्यानाशी सेवन मना है।
सत्यानाशी सेवन 2 साल से छोटे बच्चों के लिए मना है।

मेरा विशेष प्रयोग :- 
सत्यानाशी का पूरा पौधा उखाड़कर धो कर साफ़ कर लें। 
कूट कर आठ गुणा पानी में डाल दें। आठ घंटे बाद लोहे या मिट्टी के बर्तन में डालकर, लकड़ी या कंडों या कोयले की धीमी आंच पर पकाएं, जब पानी आधा रह जाए तो ठंडा होने पर पानी निचोड़ लें। निचोड़ा हुआ पानी उसी बर्तन को साफ करके उसमें डालकर धीमी आंच पर पूरे पानी को सुखा दें। पानी सूखने के बाद काले रंग की गोंद जैसी दवा आपको मिलेगी। फिर इसे धीरे-धीरे खुरपे की मदद से खुरचकर मटर बराबर गोलियां बना लें। इन गोलियों को “सत्यानाशी घन वटी” बोला जाएगा। 

यह गोलियां चर्म रोग , बवासीर, मुंह के छाले, गले सड़े ज़ख्मों में , फोड़ा, कील , मुंहासे, अलर्जी, दमा , चमड़ी का कैंसर में फायदा करती है। 
ताकत बढ़ाने के लिए सत्यानाशी जड़ के काढ़े के साथ यह गोलियां इस्तेमाल करें। मर्दाना ताकत के लिए इसे और ताकतवर बनाने के लिए बंग भस्म, लौह भस्म, अभ्रक भस्म, चांदी भस्म , सोना भस्म मिला सकते हैं। 

Skin problem के लिए सत्यानाशी के बीजों का तैल इस्तेमाल करने से बहुत फायदा होता है। 

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आपके क्षेत्र में इसे किस नाम से पुकारा जाता है। कभी आपने इसका इस्तेमाल किया है तो जरूर लिखें। 

सदैव आपका अपना शुभचिंतक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमा, 
संस्थापक अमन आयुर्वेद,
WhatsApp & Call 099151 36138 

#VaidAmanCheema #AmanAyurved

Friday, March 29, 2024

Swarn Bhasma स्वर्ण भस्म

“स्वर्ण भस्म” Part-1
परिचय,विधि,लाभ सहित

•परिचय:-
स्वर्ण भस्म तैयार करने के लिए स्वर्ण का विशिष्ट गुरुत्व 19.4 तथा द्रवणांक 1064° शतांश तापमान है। 100 टंच का सोना स्वर्ण भस्म निर्माण के लिए अति उत्तम है। 

•शोधन:-
स्वर्ण को भस्म या वर्क बनाने से पहले उसका शोधन बहुत जरूरी है। ताकि उसकी अशुद्धियां दूर करके मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ दिया जा सके। 
सुनार के पास जाकर स्वर्ण के पत्र बनवाकर , फिर इसे आग में तपाया जाता है‌। तपा हुआ स्वर्ण पत्र तैल , तक्र,कांजी,कुल्थी आदि के क्वाथ में 3-3 बार बुझाने से स्वर्ण शुद्ध हो जाता है। 
अब इसे भस्म बनाने या वर्क बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 
शुद्धि करण की विधियां और भी बहुत सारी है लेकिन यह विधि बहुत सरल और मेरी पसंदीदा है। 

•स्वर्ण भस्म बनाने की विधि:- 1
स्वर्ण भस्म एक बार में यानि एक बर्तन में एक तोला से 5 तोला तक ही बनाएं, ऐसा करने से भस्म उत्तम बनती है। 

10ग्राम स्वर्ण पत्र को बारीक कैंची की मदद से कतर लें या रेती की मदद से रगड़ कर बारीक कर लें। 
फिर इसे तुलसी के पत्तों के रस में खूब खरल करें। 
सूखने के बाद बराबर मात्रा में सुमलफार बराबर मात्रा में मिलाकर तुलसी के रस में एक हफ्ता 8 घंटे तक रोज खरल करें। 
फिर छोटी-छोटी टिकिया बनाकर सुखाकर, दीवाली वाले मिट्टी के 2 दीयों या सकोरे के बीच रखकर , सन्धि स्थान पर कपड़मिट्टी करके 1किलो कण्डों की आग दें।  आग खुले स्थान पर ही दें, धुएं से खुद को और दूसरों को बचाएं। 
फिट सम्पुट से टिकिया निकाल कर पुनः आधा भाग सुमलफार मिला कर प्रथम पुट की तरह पुट दें। 
तीसरी बार चोथाई भाग सुमलफार मिला कर पुट दें। लगभग 11 पुट देने से आप सकोरे से भस्म निकाल कर तुलसी पत्र रस में 7 दिन खरल करें। 
फिर गुलाब फूल के रस में 7 दिन खरल करके स्वर्ण भस्म को संभाल कर रख लें। 

स्वर्ण भस्म तैयार है। 

•विधि नंबर :-2 
शुद्ध करके बारीक किए गए 10ग्राम स्वर्ण पत्रों में 20ग्राम शुद्ध पारद मिलाकर दोनों को खरल में घोलकर पिट्ठी बना लें। इस पिट्ठी को तुलसी पत्र रस में 3 दिन खरल करने के बाद टिकिया बनाकर, धूप में सुखा लें, सराब समपुट में रखकर आधा किलो कंडो की आंच में फूंक दें। इस तरह 10बार करने से काले रंग की स्वर्ण भस्म तैयार मिलेगी, अगर एक दो पुट खुले में दी जाएगी तो लाल रंग की स्वर्ण भस्म तैयार हो जाएगी। 

•विधि नंबर :-3
शुद्ध करके बारीक किए हुए 10ग्राम स्वर्ण पत्रों में 10ग्राम शुद्ध पारद , 5ग्राम दुग्ध पाषाण मिलाकर जम्बीरी नींबू के रस में ( गलगल ) तीन दिन तक मर्दन करके जब पूरा मिश्रण सूख जाएं तो इसमें 10 ग्राम शुद्ध गंधक मिलाकर सम्पुट में बंद करके लघुपुट में फूंक दें। इस तरह तब तक पुट देते रहे जब तक चंद्रिका -रहित भस्म न हो जाए । निश्चन्द्र भस्म होने पर इसको कचनार की छाल के स्वरस की भावना देकर तीन पुट दें। इस तरह से बनी हुई भस्म जामुनी रंग की होती है। 

स्वर्ण भस्म निर्माण की अनेक विधियां हैं। यह उपरोक्त विधियां रस तंत्रसार,सिद्ध योग संग्रह ग्रंथ से ली गई है।  हम अपनी विशेष स्वर्ण निर्माण विधियां भी आपसे शेयर करेंगे। 

यह स्वर्ण भस्म निर्माण अनजान व्यक्ति न करें, गुरु की छत्रछाया में ही भस्म निर्माण का कार्य करें। 

सोना,चांदी,शीशा धातुओं की भस्म बनाते समय आंच अधिक होने पर तीनों धातुएं गलकर एक गाढ़ा पिण्ड बन जाती है। इसलिए बिना अनुभव के भस्म निर्माण न करें। योग्य गुरु से जरूर सीख लेना चाहिए। 

अपने हाथों से तैयार की गई यह स्वर्ण भस्म, कंपनी की स्वर्ण भस्म से 100गुणा अच्छी है। ज्यादा लाभकारी होती है। 

कंपनी की स्वर्ण भस्म 15000₹ से 22000₹ तक 1 ग्राम बिकती है। 1ग्राम (1000mg )

मात्रा:- चोथाई रत्ती से आधी रत्ती तक दूध,घी,मधु, मक्खन, मलाई आदि के साथ अथवा रोग अनुसार अनुपान के साथ ।

आठ रत्ती ( 1000mg मतलब 1ग्राम) 
एक रत्ती ( 125mg )
आधी रत्ती ( 65mg ) 
चोथाई रत्ती ( 32.5 mg ) 

एक महीने में आप रोग अनुसार साधारण मनुष्य के लिए आधा ग्राम से 2-3 ग्राम तक स्वर्ण भस्म का सेवन कर सकते हैं। ग्रंथ अनुसार।‌

विशेष नोट:- 
जो खिलाड़ी हैं , Zym lovers, रोज संभोग चाहते हैं या शौकीन हैं , उनके लिए हम विशेष मात्रा में रोग अनुसार विशेष दवाओं के साथ स्वर्ण भस्म मिलाकर दवा तैयार करके देते हैं। क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को ज्यादा पावर चाहिए होती है , इन्हें साधारण मनुष्य से खुराक की भी ज्यादा जरुरत होती है। इसलिए स्वर्ण भस्म मिश्रित दवाएं ऐसे मनुष्यों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होती है। स्वर्ण भस्म की मात्रा हम सैट करते हैं , उम्र, वजन,body की जरूरत अनुसार। स्वर्ण भस्म की मात्रा हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है। 

गुण और उपयोग:-
स्वर्ण भस्म स्निग्ध, मधुर, किंचित तिक्त,शीत वीर्य और रसायन गुण वाली है। 
मधुर,वृंहण,हृद्य,स्वर-शुद्धिकारक, प्रज्ञा, वीर्य, स्मृति,कांति,ओज बढ़ाने वाली है। 

एड्स में भी स्वर्ण भस्म का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। 

स्वर्ण भस्म को मस्तिष्क विकार , वात रोग , हृदय विकार, मसल डिस्ट्राफी, सोरेबर्ल पल्सी, कैंसर, दृष्टि क्षीणता, पागलपन, डिप्रेशन, रसोली, ब्लड कैंसर, रोग प्रतिरोधक क्षमता, मधुमेह,दमा,राजयक्ष्मा,खिलाड़ी,Zym lovers, हार्ट ब्लाकेज, पक्षाघात, सैक्स कमजोरी, बांझपन, नामर्दी, शुक्राणु, शीघ्रपतन, लाइलाज रोग , पुराने जटिल रोगों में  रोगानुसार अनुपान के साथ हम इस्तेमाल करते हैं।‌

बहुत कम मात्रा में ही (चोथाई रत्ती से आधी रत्ती) स्वर्ण भस्म का सेवन करने से बहुत तेजी से अधिक लाभ मिलता है। 

कई वर्षों तक सैकड़ों दवा खाने के बाद भी जो रोग ठीक न हुआ हो , स्वर्ण घटित औषधियों से अच्छे होते हैं। 
अतिअंत कष्टदायक अवस्था में स्वर्ण भस्म घटित योग लाभकारी सिद्ध होते हैं। 
हार्ट अटैक वाले रोगी को मकरध्वज के साथ स्वर्ण भस्म का 
सेवन करवा देने से रोगी एक दो खुराक में शरीर में आई चुस्ती फुर्ती देखकर हैरान रह जाता है। 
मरते हुए रोगी की जीभ पर स्वर्ण भस्म शहद में मिलाकर चटा दी जाए तो रोगी कुछ घंटे तो बातें कर ही जाता है। 

कई कई वर्षों से दुखी सोरेबरल पल्सी, मस्क्यूलर डिस्ट्राफी, कैंसर , मधुमेह, नामर्दी, डिप्रेशन आदि रोगी स्वर्ण भस्म मिश्रित नुस्खों से ठीक होते हैं। 

स्वर्ण निर्मित योगों का इस्तेमाल करने के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं। 

स्वर्ण भस्म के
मेरे अगले लेख का इंतजार करें। 

लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद

अगर आपने हमें follow नहीं किया तो कर लें। 
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आपका अपना शुभचिंतक
✍🏻 वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद, दसुआ 144205 पंजाब
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#VaidAmanCheema #AmanAyurved #Swaran_Bhasma_part_1

Wednesday, March 27, 2024

Anand Vardhak Pills

आनंद वर्धक गोलियां
Anand Vardhak Pills 

शुद्ध अफीम 2ग्राम, 
स्वर्ण भस्म 200mg,
मकरध्वज 1 ग्राम,
सिंगरफ शुद्ध 1ग्राम,
काली मिर्च 1ग्राम,
लौंग,जायफल , जावित्री, दालचीनी, अकरकरा,केसर 
½-½ ग्राम, 

भांग के पत्तों के रस , पान के पत्तों के रस में खरल करके 
गोलियां बना लें। 

असमर्थ पुरुष:- 
जरुरत के समय तंदरुस्त आदमी एक गोली संभोग से दो घंटे पहले मलाई मिले हुए गर्म दूध से लें। इसके सेवन करने से संभोग में आनंद आता है। लंबे समय तक वीर्य रुकता है। पत्नी पति से पूर्ण रूप से संतुष्ट होती है। 

असमर्थ औरत:-
अगर इस गोली का औरत को भी सेवन करवा दिया जाएं तो संभोग में पूरा साथ देती है। पति को संतुष्ट भी करती है। खुद भी चर्म सुख प्राप्त करती है। आनंद प्राप्त करती है। 

लाभ:-
इन गोलियों को 40 दिन सेवन करने से बल , वीर्य , पाचन शक्ति बढ़ती है। इन गोलियों के सेवन से पुरुष मदमस्त स्त्रियों के साथ इच्छानुसार संभोग रचाकर उन्हें संतुष्टि दें सकता है। 

विशेषता:-
शीघ्रपतन रोगी वीर्य स्तंभन बढ़ाने के लिए,बल वीर्य बढ़ाने के लिए आनंद वर्धक गोलियां का इस्तेमाल करके अपने समस्या से पीछा छुड़ा सकते हैं।

मंगवाने के लिए संपर्क करें
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा, 
Call & WhatsApp No. 
099151 36138 

#Anand_Vardhak_Pills #VaidAmanCheema #AmanAyurved

Tuesday, March 19, 2024

मदमस्त महायोग गोलियां

•मदमस्त महायोग•

 // बनाने की विधि //

50ग्राम मघ पीपल
आधा किलो देसी गाय के  दूध में डालकर मंद आँच पर उबालें। दूध थोड़ा सा रह जाने पर पीपल को निकाल कर धोकर छाया में सुखा दे। अच्छी तरह सूखने के बाद पीस कर महीन चूर्ण बना लें। 

उपरोक्त मघपीपल चूर्ण में
सिद्ध मकरध्वज 5 ग्राम
स्वर्ण भस्म 300mg
हीरक भस्म 150mg 
अभ्रक भस्म सहस्र पुटी 2.5 ग्राम,
मुक्ता पिष्टी 5 ग्राम
रजत भस्म 2.5 ग्राम

सबको खरल में डालकर पान के रस में तीन दिन खरल करके  मिलीग्राम गोलियां बना लें। यह एक माह का नुस्खा लिखा है। हम इसकी गोलियां और कैप्सूल बनाते है। 

यह योग अतिअंत बल , वीर्य वर्धक , कफ -पित्त-वात रोगियों के लिए अनुपान अनुसार लेने से बहुत लाभकारी है। 

इसके सेवन करने से शरीर में नया रक्त पैदा होता है । भूख बढ़ती है। शरीर में नयी जान आती है। संभोग शक्ति पैदा होती है।

 स्तंभन शक्ति आती है। यह दवा उन लोगों के लिए अमृत है जिन्हे कफ , बलगम , शर्दी खांसी की समस्याएं रहती है।

 जिन मरीजों के वात रोग है , जोड़ों में दर्द रहता है वह भी इसका इस्तेमाल कर सकते है। अपनी संभोग शक्ति बढ़ा सकते है। 

इसके सेवन से चेहरे का तेज बढ़ता है। पेट विकार खत्म हो जाते है। 

जो महिलाएं सफेद पानी की समस्याओं से परेशान है और संभोग में रुचि नही है , इसका सेवन करने से रुचि उत्पन्न होती है और अपने पार्टनर को रतिक्रिया में पूर्ण सहयोग करती है। 

जो बजुर्ग जोड़े है शरीर में दर्द , जोड़ों में दर्द , पक्षाघात , लकवा , या हार्ट के मरीज है , जिन्हे डिप्रेशन के कारण या अन्य किसी वजह से शरीरक कमजोरी , या संभोग शक्ति खत्म हो गई है वह भी इसका इस्तेमाल करके जीवन में नया जौश , ताकत, जवानी प्राप्त कर सकते है। 

मैं अपने इस योग के बारे में जितना लिंखू उतना कम है। आप इसका इस्तेमाल करें और लाभ लें। 

कफ और वात रोगी इसे शहद से ले सकते हैं। ऊपर से गुनगुना दूध पी सकते है। 

पित्त रोगी इसे मलाई, मख्खन, दूध से इस्तेमाल कर सकते हैं। 

इसका कोई नुक्सान नहीं है ।‌

ज्यादा जानकारी के लिए आप हमारे Whatsapp पर संपर्क करें। 

आपका अपना
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
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Sunday, March 10, 2024

Power Vati

•कमजोरी दूर करके शक्ति बढ़ाने वाली गोलियां•

“पावर वटी” (  पावर गोली )

यह दवा नया रक्त पैदा करती है। किसी भी बिमारी के ठीक होने के बाद आने वाली कमजोरी को  बहुत जल्द दूर करती है। आलस दूर करती है। संभोग में मन न लगना, उत्तेजना की कमी , शादी से घबराहट , ठंडापन आदि में इतने कम दाम में और  इससे बढ़िया दवा मेरी नजर में कोई नही है। जवान लड़के/लड़कियां,औरत, मर्द, बुजुर्ग सबके सेवन योग्य है। कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

 यह दवा खुद बनानी पढ़ती है। कोई कंपनी नही बनाती है। इसके द्रव बताई हुई कंपनियों के आपको मिल जाएंगे ।

 आयुर्वेद के ग्रंथों में इस नुस्खे में पढ़ने वाली दवाओ के गुणों को जानते हुए मैंने यह फार्मूला तैयार किया है। कई वर्षों से इसे बनाकर दे रहे हैं हम। 

इसके सेवन करने से शरीर में ताकत का उछाल आता है। इस दवा के इसी गुण के कारण मैंने इसका यह नाम “पावर वटी” रखा है। पावर वटी के नाम से मुझसे मंगवा सकते है।

 नुस्खा निम्नलिखित है। 

•गिलोय का घनसत्व 5ग्राम,
•छोटी पीपल 5ग्राम,
•लौह भस्म शतपुटी 5ग्राम,
•रजत भस्म 2ग्राम,
•स्वर्ण भस्म 200mg ,
•शुद्ध कुचला 3ग्राम,
•स्वर्णमाक्षिक भस्म 3ग्राम,
•अभ्रक भस्म शतपुटी 2ग्राम 

अगर आप खुद बनाना चाहते हैं तो छोटी पीपल कूटकर पीसकर पांच ग्राम का वजन करके डाल दें।

सभी द्रव डालकर इसको अश्वगंधा के ताज़ा जड़ रस में अच्छी तरह घुटाई करें। 
फिर सतावर , सेमल मूसली के रस में घुटाई करें। 
 सात- सात दिन घोंटकर जब गोली बनने वाली हो जाए तो मटर के आकार की गोलियां बना लें। 

सुबह-शाम 1-1गोली दूध के साथ लेनी है।

 दूध को अच्छी तरह पकाकर जब गाढ़ा होने लग जाए तो उसमें मीठा मिलाकर दवा लें । अगर आप दवा न बना सके तो मेरे से बनी बनाई भी मंगवा सकते है। 
गोली उपलब्ध है । 
30गोली 4500/-₹  दवा कोरियर द्वारा बैंक खाता में पैसे जमा करवाकर आप अपना पता वटसऐप पर भेजकर मंगवा सकते है ।

 परहेज :- गुड़,तैल,खटाई,मिठाई,संभोग,लाल मिर्च , मीट,अंडा,शराब । दूध,फल और पोष्टिक भोजन लें। 
हाई बीपी वाले इसे नहीं ले सकते। 

लेखक 
सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा ,
( वैद्य अमन चीमा )
अमन आयुर्वेद,पंजाब
WhatsApp 9915136138

अगर आप चाहते हैं कि लोगों का भला हो तो Post को Share कर सकते है। 

#AmanAyurved #VaidAmanCheema #power_vati_taqat_ke_liye

Monday, March 4, 2024

low sperm Nil sperm

शुक्र और शुक्राणु बढ़ाने के लिए अनमोल नुस्खा 

“शुक्र शक्ति महायोग”
पुरूष शुक्राणु बढ़ाने के लिए , औरतों का अंडा बनाने के लिए

हर किसी को मां-बाप बनने की चाहत होती है । लेकिन जब किसी बिमारी की वजह से चाहत को पूरा करने के लिए रोग बाधा डालता है। तो मनुष्य निराश हो जाता है ‌। इसके लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं । उनमें से एक रोग है शुक्राणु न बनने की समस्या या शुक्राणु का कम बनना आदि , औरतों में अंडे का सही विकास न हो पाना । उक्त दोनों रोगों के लिए यह “शुक्र शक्ति महायोग” बहुत अच्छा काम करता है। 2 महीने इसका सेवन करने से पुरुषों के तंदरुस्त शुक्राणु बनते है और औरतों के अंडा बनने लग जाता है। पति-पत्नि संतान सुख प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं।
 जिन लोगों को बहुत दवा खाने के बाद भी लाभ न हुआ हो , उन्हे हमारे इस “शुक्र शक्ति महायोग”  का एक बार जरूर सेवन करना चाहिए । 

“शुक्र शक्ति महायोग”
बंग भस्म 5ग्राम,
अभ्रक भस्म सहस्त्र 5ग्राम,
स्वर्ण भस्म 500 मिलीग्राम
हीरक भस्म 200 मिलीग्राम
रजत भस्म 3ग्राम 
मोती पिष्टी 5 ग्राम
प्रवाल पिष्टी 10 ग्राम,
शुद्ध कौच बीज काला 50ग्राम,
शुक्राणु वर्धक योग -100ग्राम ।

सबको मिलाकर सुबह-शाम दूध से सेवन करवाते है। 

नोट:- स्वर्ण मोती रजत हीरा अभ्रक युक्त होने से शुक शक्ति महायोग की कीमत 15000रु है। जगह जगह से दवा खाकर निराश रोगियों के लिए यह मेरा बहुत ही सफल नुस्खा है। 

आपका अपना शुभचिंतक
डाँ० अमनदीप सिंह चीमा नाड़ी वैद्य 
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