Thursday, April 18, 2024

Diabetes मधुमेह केसरी महायोग रसायन

“स्वर्ण भस्म -भाग -10 

“मधुमेह केसरी महायोग” 
“रसायन”

मधुमेह और मधुमेह के कारण कमजोरी, मर्दाना कमजोरी के लिए स्पैशल योग 

घटक:- 
स्वर्ण भस्म, मोती पिष्टी, चांदी भस्म, मकरध्वज
5-5 ग्राम ,
स्वर्ण बंग, लौह भस्म, अभ्रक भस्म ,त्रिबंग भस्म 
10-10ग्राम, 
स्वर्ण माक्षिक भस्म, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध कारसकर,त्रिकुटा
15-15 ग्राम,
गुड़मार बूटी extract,
विजयसार extract,
मामेजवा extract, 
निबोली
20-20ग्राम 

सब को खरल में डालकर 
गोखरु, दालचीनी, छोटी इलायची क्वाथ,घृतकुमारी के रस में 3-3 दिन ( कुल 12 दिन, रोज आठ घंटे , कुल 96 घंटे ) घोंटकर गोलियां बना, सुखा कर रख लेते हैं।  

गुण और उपयोग- यह रसायन प्रमेह, मधुमेह, मूत्रकृच्छ, अश्मरी और दाह आदि को नष्ट करता है।

 शुक्रस्राव को केवल 3 दिन में ही रोक देता है। इसके सेवन से मधुमेह में शर्करा की मात्रा कम होती है। इसके द्वारा अग्न्याशय की विकृतिजन्य पाचन-- क्रिया की न्यूनता से शारीरिक धातु-उपधातुओं की विकृति दूर हो जाती है और अग्न्याशय सबल होने पर शर्करा की अधिक उत्पत्ति नहीं होती है।

मधुमेह में होने वाले अधिक पेशाब, प्यास, मुँह सूखना, भूख अधिक न लगना, आँखों के सामने अंधेरा छा जाना, भ्रम होना, कानों में आवाज होना, बेचैनी, सिर-दर्द आदि लक्षण होने पर यह बहुत फायदा करता है। 

मधुमेह में वात प्रकोप के कारण सर्वांग में दर्द, रक्तवाहिनी नाड़ियों में वात-प्रकोप होना, कलाय खंज (लंगड़ापन), चलने में पाँव काँपना, शरीर में सन्धियों की शिथिलता तथा उनमें अधिक दर्द होना, इन लक्षणों में इस दवा के उपयोग से बहुत फायदा होता है।

पुराने मुककृच्छ रोग में इसका उपयोग किया जाता है। इसमें मूत्र का वेग तो मालूम पड़ता है, किन्तु मूत्राशय से लेकर मूत्रनली के बीच किसी चीज की रुकावट हो जाने से पेशाब खुलकर न होकर कठिनता से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में होता है। कठिनता से पेशाब होने के कारण ही इस रोग का नाम "मूतकृच्छ्र" पड़ा है। 

 प्रमेह अथवा मधुमेह में  विशेष गुणकारी है, इसके सेवन से इन्शुलीन जैसा प्रभाव होता है।

यह दवा 5 मरीजों का कोर्स है। यह नुस्खा में 10महीने की मात्रा के हिसाब से बताया गया है। हम जरुरत अनुसार ज्यादा भी तैयार करते हैं। 
दो महीने का एक मरीज के लिए । 
1 महीने का 15995/- खर्च , 2 महीने का 30595/-
रुपए खर्च है। इस नुस्खे में स्वर्ण भस्म 1 लाख की 5 ग्राम है। मोती , मकरध्वज, चांदी भस्म, अभ्रक भस्म सहस्त्र भी महंगे योग हैं। इसे बनाने की labour अलग है। पाठक इस बात का विशेष ध्यान रखें।‌

जरुरतमंद हमसे देश विदेश में मंगवाकर लाभ ले सकते हैं। 

मिलता हुं अगले लेख में ... तब तक आप सभी को 🙏🏻

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“सदैव आपका अपना शुभचिंतक” 
•वैद्य अमनदीप सिंह चीमा, 
अमन आयुर्वेद, 144205, पंजाब 
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Wednesday, April 10, 2024

Asthma

“स्वर्ण भस्म” भाग-8

‘श्वास-कास चिन्तामणि रस’ ( गोली ) स्वर्ण युक्त 

यह रसायन हृदय को बल देने वाला, हितकर और शक्ति बढ़ाने वाला है। फेफड़े पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। संचित विकारों को निकालना और फेफड़े को सबल बनाना इसका प्रधान कार्य है। नये-पुराने सभी प्रकार के श्वास रोग में इससे बहुत लाभ होता है। दमे के जिन रोगियों को रात-दिन परे- शानी रहती है, उन्हें इसका सेवन अवश्य करना चाहिए ।

•घटक•
शुद्ध पारा 1तोला, शुद्ध गन्धक 2तोला, लौहभस्म 4तोला, अभ्रक भस्म 2तोला, स्वर्णमाक्षिक भस्म 1 तोला, मोती भस्म 3 माशे, सुवर्ण भस्म 1तोला, इन सबको एकत्र खरल कर, कटेरी के रस, अदरक के रस और बकरी के दूध तथा मुलेठी के क्वाथ और पान के रस से क्रमशः 7-7 भावना देकर 2-2 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें।

( -भैषज्य रत्नावली ग्रंथ में से)

मात्रा और अनुपान--1-1 गोली सुबह-शाम । 
श्वास रोग में बहेड़े की मींगी चूर्ण और मधु के साथ, कास-श्वास रोग में पीपल-चूर्ण और मधु के साथ, कास (खाँसी) में अदरक का रस और मधु के साथ, बलवृद्धि के लिये मलाई के साथ सेवन करें ।

गुण और उपयोग--यह रसायन हृदय को बल देने वाला, हितकर और शक्ति बढ़ाने वाला है। फेफड़े पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। संचित विकारों को निकालना और फेफड़े को सबल बनाना इसका प्रधान कार्य है। नये-पुराने सभी प्रकार के श्वास रोग में इससे बहुत लाभ होता है। दमे के जिन रोगियों को रात-दिन परे- शानी रहती है, उन्हें इसका सेवन अवश्य करना चाहिए । कठिन और पुराने कास (खांसी) में इसका प्रयोग होता है। यह आँत, यकृत्, मूत्राशय तथा हृदय की क्रिया को ठीक करता एवं वीर्य को पुष्ट करता है। इसका अधिक प्रयोग श्वास रोग में ही किया जाता है और इससे उचित लाभ भी होता है। इन्जेक्शन आदि से हताश रोगी भी इससे शीघ्र अच्छे हो जाते हैं। बच्चों की कुकुर खाँसी और शोथ-रोग भी इससे ठीक हो जाते हैं। क्षय, पाण्डु, कामला, हलीमक, यकृत्, प्लीहा, मन्दाग्नि आदि रोगों में भी इसके सेवन से अत्युत्तम लाभ होता है। रस-रक्तादि धातुओं की पुष्टि करके शरीर को बलवान बनाता है।

स्वर्ण भस्म के सभी भाग भी पढ़िए, जो पहले लिख चुके हैं।‌Scrool करके आसानी से मिल जाएंगे , जरूर पढ़ें। 

मिलते है स्वर्ण भस्म युक्त किसी और ख़ास नुस्खे के साथ , अगले लेख में 🙏🏻

✍🏻 सदैव आपका अपना शुभचिंतक 
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा, 
अमन आयुर्वेद, 144205 , पंजाब 
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Monday, April 8, 2024

Swarn Bhasma - Part -6

“स्वर्ण भस्म” -भाग -6

•कामिनी-विद्रावण रस स्पेशल•
( स्वर्ण भस्म, मोती , रजत युक्त )

शीघ्रपतन का काल है यह गोली~
मार्केट से आपको सिर्फ साधारण वाला कामिनी विंद्रावन रस ही मिलेगा, जो कि हमारे कामिनी विंद्रावन रस के मुकाबले न्यून गुण है।
 कामिनी विंद्रावन रस स्पेशल में हमने अपने अनुभव से मोती पिष्टी, प्रवाल पिष्टी, रजत भस्म ( चांदी भस्म) मिलाई है , जो कि पित्त को ठीक करती है। फार्मूले की तासीर को बेलेंस रखती है।
 इसे सभी तासीर वाले लें सकते हैं। हर मौसम में ले सकते हैं। इसमें चंदन भी डाला गया है जो कि बहुत ठंडी तासीर का होता है। बाकी चीजें गर्म तासीर की हैं । 
कुल मिलाकर यह नुस्खा न गर्मी करता है , न ठंड। हर कोई, गर्म ठंडी तासीर वाला बिना डर हर मौसम में इसे ले सकता है ‌। 
इसकी ताकत बढ़ाने के लिए हमने इसमें स्वर्ण भस्म भी मिलाया है। 

घटक -
अकरकरा, 
सोंठ, 
लौंग, 
केशर, 
पीपल, 
जायफल, 
जावित्री, 
प्रवाल पिष्टी,
चन्दन प्रत्येक 1-1ग्राम, 

शुद्ध सिंगरफ ¼ग्राम,
शुद्ध गन्धक ¼ग्राम,
रजत भस्म -¼ग्राम,
मोती पिष्टी -¼ग्राम,
स्वर्ण भस्म -¼ग्राम,
और शुद्ध अफीम “अकरकरा से चंदन” तक जितने घटक है , उनके बराबर मात्रा में लें।

1ग्राम = 1000mg 
¼ ग्राम = 250mg 

 प्रथम सिंगरफ, गन्धक और अफीम को एकत्र घोंट कर रखें। फिर शेष दवा को कूट, कपड़छन चूर्ण कर शीतल जल से घोंट कर मटर बराबर ( 250mg ) गोली बना, छाया में सुखा कर रख लें।

मात्रा और अनुपान-
1-1 गोली रात को सोने से एक घण्टा पूर्व दूध के साथ लें। 

गुण और उपयोग-
यह वीर्य को गाढ़ा कर स्तम्भन करता है एवं शुक्रवहा नाड़ियों को बलवान बनाता है। 

शीघ्रपतन वालों के लिये बहुत लाभदायक है, क्योंकि यह उत्तम वीर्य स्तम्भक है। 

अप्राकृतिक मैथुन अथवा हस्तमैथुन या स्वप्नदोष आदि के कारण उत्पन्न शीघ्रपतन की शिकायत तथा वीर्य के पतलेपन को मिटाने में यह रसायन बहुत श्रेष्ठ लाभदायक है ।

कामिनी विद्रावन रस शक्तिशाली जड़ी-बूटियों और खनिजों से तैयार किया गया है, जिनके बारे में पारंपरिक रूप से माना जाता है कि यह स्वस्थ शुक्राणु उत्पादन का समर्थन करते हैं और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। यह उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं।

मिलते हैं अगले लेख में.... 

✍🏻सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद - दसुआ -पंजाब 
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Sunday, April 7, 2024

स्वर्ण भस्म -5 ( बसंत कुसुमाकर रस )

“स्वर्ण भस्म” भाग -5

बसंत कुसुमाकर रस ( स्वर्ण भस्म युक्त )

★Special For Diabetes ★
मधुमेह रोगियों के लिए तोहफा 
 सिद्ध योग संग्रह ग्रंथ से ....

बहुत समय से मेरे पाठको की मांग थी कि वैद्य अमनदीप सिंह चीमा जी , शूगर के लिए भी अच्छी दवा बताएं , बहुत प्रसन्नता महसूस कर रहा हुँ , आपसे यह दवा शेयर करते हुए ......

यूँ तो यह बसंत कुसुमाकर रस,  बना बनाया बाजार से मिल जाता है लेकिन 50% तक भी रिज्लट नही दे पाता ।‌

अगर आप आयुर्वेद जानते है या किसी आयुर्वेद वैद्य के संपर्क में है तो उनसे ही बसंत कुसुमाकर रस बनवा कर  प्रयोग करें , इसमें पड़ने वाली भस्मे उत्तम कवालिटी की होनी चाहिए ....
 बसंत कुसुमाकर रस कई सालों से मैं निर्माण खुद कर रहा 101% प्रभावी है | 

नुस्खा - 
प्रवाल भस्म ( मैं पिष्टी डालता हुं ) , 
रस सिन्दूर ( मैं सिद्ध मकरध्वज डालता हुं ) 
मोती पिष्टी या भस्म ( मैं पिष्टी डालता हुं ) , 
अभ्रक भस्म  सहस्त्र , प्रत्येक 40-40 ग्राम  , 
रोप्य ( चांदी ) भस्म , 
स्वर्ण भस्म 20-20 ग्राम,  
लौह भस्म , नाग भस्म , बंग भस्म
 30-30 ग्राम लेकर सबको पत्थर के खरल में डालकर 
अडूसे के पत्तों का रस , 
हल्दी का रस , 
गन्ने का रस , 
कमल के फूलों का रस , 
मालती के फूलों का रस , 
शतावरी का रस , 
केले के कन्द का रस , 
और चन्दन भिगोया हुआ जल या क्वाथ 
प्रत्येक की सात - सात भावना दें मतलब रस में घोट लें।

 प्रत्येक भावना में छे - सात घण्टे घोट लें ।अन्त की भावना में उसमें दो तोला अच्छी कस्तूरी और अम्बर दो तोला मिलाकर 3 घण्टा मर्दन करना चाहिए । फिर जब गोली बनाने लायक हो जाए तो 125mg की गोलियां बना लें ।‌ गोली लाल रंग में बनती है। 

{{ अंबर हमें मिल जाता है , लेकिन कस्तूरी आजकल न मिलने की वजह से हम नहीं डाल रहे।जब मिलने लगेगी तो डालेंगे । Ban होने की वजह से व्यापारी महंगी भी बेचते हैं। यह सबसे बड़ा कारण है। कस्तूरी की जगह हम अन्य घटक डाल रहे हैं। लता कस्तूरी नहीं। इसके स्थान अन्य द्रव्य भी डाले जा सकते हैं।‌ 
आयुर्वेद में बहुत ऐसी दवाएं हैं , जो किसी कारण Ban  🚫 हैं, जैसे हाथी दांत , कस्तूरी, बारहसिंगा .... }}

 गोली बनाकर छाया में सुखाकर रख लो । यही है “बसंत कुसुमाकर रस” 

अब आप खुद अंदाजा लगा लो, कि इतनी मेहनत कोन कंपनी करती है। जो वैद्य इतनी मेहनत से तैयार कर सकते हैं। रिजल्ट भी तो उन्हीं को मिलते हैं। 

मात्रा - 1-2 गोली ।‌ विशेष अनुपान से। 

अब आप लोगों को खुद ही अंदाजा हो गया होगा कि इसमें पड़ने वाली हर चीज लाजवाब और असरकारक है | गुण देखकर लगाए पैसे भूल जाते है | मैंने इसके साथ अन्य औष्धियों का मिश्रण करके बहुत से रोग जैसे बुढ़ापे की कमजोरी , बाल काले , दिमाग के रोग , हार्ट कमजोरी , नपुंसकता , जोड़ो का दर्द , पक्षाघात , बे-औलाद पन आदि रोगों में अन्य दवायों के मिश्रण करके लाभ पहुंचाया है | 

‘बसंत कुसुमाकर रस’ रसायन गुणों से भरपूर और मधूमेह की महोष्धि है । 

नीचे एक नुस्खा आपसे साझा कर रहा हुं, जो मधुमेह और मधुमेह की वजह से आई कमजोरी, मर्दाना कमजोरी के लिए बहुत लाभदायक है। 

★मधुमेह,डायबिटीज़ Diabetes★

“गागर में सागर" जैसा है  “मेरा अनुभूत नुस्खा"

4-5 महीने के प्रयोग करने से,  मधुमेह कैसी भी,कितनी भी पुरानी हो ठीक हो जाएगी । इससे इंसुलिन भी छूट जाएगा। 

*नुस्खा इस प्रकार है 

•जामुन बीज 10 ग्राम,
•एलुवा -5 ग्राम,
•त्रिकुटा 5 ग्राम,
•बूटी गुडमार 10 ग्राम,
•शु शिलाजीत 5 ग्राम,
•बसंत कुसमाकर रस 7.5 ग्राम,
•तूफानी ताकत महायोग 60 गोली 

एक गोली सुबह, एक गोली शाम को 
उस हिसाब से बसंत कुसुमाकर रस ( गोली ) 60 नुस्खे में जाएगा , जिसका वजन 125mg ×60 गोली  = 7.5gm है। 

*बनाने की विधि*
इन सबको पीसकर ग्वारपाठा रस में घोटकर 60 गोली बनाकर सुखाकर रख लें । सुबह-शाम एक गोली दूध से लें ।
साथ में तूफानी ताकत महायोग एक गोली ‌।

•विशेष •
इस दवा की जितनी तारीफ की जाए कम है । एक महीने में आपके शरीर में नई जान डाल देगी ।  जिन लोगों की शूगर के कारण मर्दाना ताकत खत्म हो चुकी है , इससे खोई हुई दुबारा वापस लौट आएगी। इस दवा में शिलाजीत, बसंत कुसमाकर रस,मकरध्वज , अंबर, स्वर्ण भस्म जैसी अति बहुमूल्य औष्धियों को मिलाकर बनाया गया है । जो कि बहुत गुणकारी है। आयुर्वेद की थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाले इनके गुणों से भलीभांति जानते है। आप इनके गुणों को जानने के लिए आयुर्वेद का अध्यन कर सकते है । शूगर जैसी नामुराद बिमारी को जड़ से उखाड़ने के लिए यह मेरा खुद का फार्मूला  है,और कई रोगियों पर सफलता से आजमाया हुआ है।यह नुस्खा आपको किसी किताब में नही मिलेगा । यह सब औष्धियों के गुणों को देखते हुए मेरी स्वयं की ही खोज है । आज तक आप जितने भी (  मेरे अनुभूत नुस्खे ) पढ़ चुके है सब मेरी अपनी ही वर्षों की खोज से निकले है । 
सिर्फ मर्दाना ताकत के लिए आप बसंत कुसुमाकर रस को तूफानी ताकत महायोग के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। 

*सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा ,
अमन आयुर्वेद, Dasuya,पंजाब
Call & WhatsApp 09915136138

मुझे पता है आप पूछेंगे, यह तूफानी ताकत महायोग गोली क्या है। यह भी स्वर्ण भस्म युक्त है। इसलिए इसका लेख अगले भाग में आपसे शेयर करुंगा। 

मिलता हुं अगले लेख में...... 

#VaidAmanCheema #AmanAyurved #diabeteskidawa_ #ayurved #ayurvedic

Thursday, April 4, 2024

स्वर्ण भस्म -भाग 4

“स्वर्ण भस्म” भाग -4

स्वर्ण भस्म का आज हम 4th भाग आपसे शेयर करने जा रहे हैं। यह रसायन स्वर्ण भस्म युक्त है। जिसका नाम है। 

“चतुर्मुख रस”

गुण और उपयोग:- 
 स्वर्ण, अभ्रक, कज्जली आदि के योग से बनने वाली यह दवा वातज रोगों के लिये बहुत फायदेमन्द है। 
मूर्च्छा, हिस्टीरिया, मृगी और उन्माद रोग पर इस दवा का अच्छा असर होता है। 
हृदय की बीमारियों को दूर करके हृदय को मजबूत करना इस रसायन का खास गुण है। 
क्षय, खाँसी, अम्लपित्त, पाण्डु और प्रसूत-ज्वर या प्रसूत के बाद होने वाली कमजोरी में इस दवा का प्रयोग करके लाभ उठाना चाहिए। 
यह पौष्टिक और रसायन भी है। इसलिये किसी बीमारी के बाद की कमजोरी या साधारणतया होने वाली कमजोरी में इस दवा से अच्छा लाभ होता है।
क्षय रोग के लिए इस दवा का सेवन आप कर सकते हैं।‌
इस रसायन का प्रमुख कार्य शारीरिक निर्बलता दूर करके सप्तधातुओं को पुष्ट करके शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाना है। 
पाचन , पेट की गड़बड़ी,भूख न लगना, पाचन हमेशा खराब रहना , ज्वर बने रहना ऐसी समस्याएं इस रसायन के सेवन से ठीक होती है। 
बिमारी रहने के कारण रोगी कांतिहीन हो जाता है। उठने बैठने बोलने की शक्ति कम हो जाती है , ऐसे रोगियों के लिए भी यह रसायन वरदान साबित होता है। 
मानसिकत रोग, दिमाग़ी कमजोरी, bipolar disorder, पागलपन आदि के लिए यह रसायन बहुत लाभदायक है। 

घटक:- 
शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, लौह भस्म और अभ्रक भस्म 4-4 तोला तथा स्वर्ण भस्म 1 तोला ( 10ग्राम) लें। प्रथम पारा-गन्धक की कज्जली बना उसमें अन्य भस्में मिला, घृतकुमारी- रस में घोंटकर गोला बना, धूप में सुखा, एरण्ड-पत्र में लपेट, सूत से बाँध कर, धान की कोठी में तीन दिन तक रहने दें। चौथे दिन उसमें से निकाल कर महीन पीस कर 1-1रत्ती ( 125mg ) की गोली बनाकर सुखाकर रख लें।

मात्रा और अनुपान-1-2  गोली सुबह-शाम त्रिफला घृत 3ग्राम के साथ सेवन करें। ऊपर से दूध पी सकते हैं। 

इस रसायन को दूध , घी, मक्खन, मलाई,अन्य दवाओं के साथ मिलाकर, रोगी और रोग की अवस्था अनुसार वैद्य की सलाह अनुसार ही सेवन करना चाहिए। 

हम यहां आपको आयुर्वेद का ज्ञान वर्धन के लिए लेख लिख रहे हैं। कोई भी दवा चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। 

इस रसायन में कज्जली योगवाही और रसायन है। 
लौह और अभ्रक शक्ति वर्धक, धातुओं को पुष्ट करने वाला, सुवर्ण राजयक्षमा, क्षय, टीबी , कमजोरी आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ है।‌स्वर्ण जिस भी दवा में नुस्खे में हो उसके ताकत को बहुत बढ़ा देता है। 

किसी भी जटिल पुराने रोग के लिए आप मुफ्त सलाह लें सकते हैं। 
हम देश विदेश में दवा✈️📦 भेजते हैं। 

✍🏻 सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
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Wednesday, April 3, 2024

स्वर्ण भस्म -भाग 3

“स्वर्ण भस्म” भाग -3

स्वर्ण भस्म से संबंधित पिछले दो भाग हम लिख चुके हैं। आज तीसरे भाग में हम बात करेंगे, स्वर्ण भस्म से तैयार होने वाले “नवरत्न राज योग” के बारे में। 
पहले जानेंगे घटक , फिर मात्रा अनुपान , फिर गुण उपयोग

इस योग में स्वर्ण भस्म, हीरा भस्म, मोती भस्म, महंगे महंगे रत्न जैसे पन्ना, पुखराज ,नीलम आदि नवरत्न का का मिश्रण है। इसलिए इसका नाम नवरत्न राज योग है । जिसे रस या रसायन भी आप कह सकते हैं। आयुर्वेद में रस का मतलब तरल तो है ही। रस पारद को भी कहा गया है। जिस औषधि में पारद हो , उसके नाम के पीछे भी रस लग जाता है। रसायन औषधियों के नाम के अंत में भी रस लग जाता है। इस रस में भी शुद्ध पारद का इस्तेमाल हुआ है , इसलिए इसके नाम के पीछे रस लिखा है। हम यह दवा बनाते समय पारद के स्थान पर रस सिंदूर का इस्तेमाल करते हैं। 
इस रस में स्वर्ण भस्म, हीरा भस्म , नवरत्न आदि होने की वजह से बहुत महंगा पड़ता है। इसके लाभ देखकर खर्च किया हुआ पैसा भूल जाता है। 

★नवरत्न राज योग★
घटक-
शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म, खर्पर भस्म, वैक्रान्त भस्म, कान्त लौह भस्म, बंग भस्म, नाग भस्म, हीरा भस्म, प्रवाल भस्म, विमल भस्म, माणिक्य भस्म, पन्ना भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्म, रौप्यमाक्षिक भस्म, मोती भस्म, पुखराज भस्म, शंख भस्म, वैडूर्य भस्म, ताम्र भस्म, मुक्ताशुक्ति भस्म, शुद्ध हरिताल, अभ्रक भस्म, शुद्ध हिंगुल, शुद्ध मैनशिल, गोमेदर्माण भस्म या पिष्टी, नीलम भस्म- प्रत्येक १-१ भाग या 10-10 ग्राम लेकर प्रथम पारा-गन्धक की कज्जली बनावें, पश्चात् अन्य समस्त भस्मों को मिलाकर गोखरू, पान, कटेरी, गोरखमुण्डी, पीपल, चित्रकभूल छाल, ईख की जड़, गिलोय, हुरहुर, अरणी, मुनका, शतावर, कंकोल, मिर्च, कस्तूरी, नागकेशर - इन सबके क्वाथ से पृथक् पृथक् सात-सात बार भावना देकर दृढ़ मर्दन करें। फिर एक पात्त्र में सेन्धा नमक का चूर्ण भर कर उसमें मृगांक के समान कम-से-कम एक दिन की अग्नि देकर पाक करें, फिर स्वांग- शीतल होने पर औषधि को निकाल कर पूर्वोक्त द्रव्यों के रस या क्वाथ की भावना देकर मर्दन करें। सबसे अंत में इसी के समान शीतल जल के साथ कस्तूरी की भावना देकर मर्दन करें और गोली बनने योग्य होने पर 1-1रत्ती ( 125mg ) की गोली बना, छाया में सुखा कर रख लें।

यह नुस्खा रस रत्नसमुच्य ग्रंथ में है। 

मात्रा और अनुपान:- 
आधी गोली से एक गोली ( 65mg to 125mg ) ,
दूध,मलाई,शहद से , या अन्य औषधि के साथ रोगी और रोग की अवस्था अनुसार, मौसम आदि का विचार करके यह दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

गुण और उपयोग:- 
अनेक बहुमूल्य रत्नों और उपादानों से निर्मित इस रसायन का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के शोथ,पाण्डू, बल्ड कैंसर, ल्यूकेमिया, बार बार रक्त चढ़ाने की समस्या, पुराने बुखार, वात व्याधि, मधुमेह, मधुमेह से आई नामर्दी,सभी प्रमेह ठीक होते हैं। 
मृगी, दमा ,फेफड़ों का कैंसर, दिल की कमजोरी में , मानसिक रोग , डर, तनाव , डिप्रेशन आदि , ओज बढ़ाने, शुक्राणु , शीघ्रपतन, बांझपन, सर्व कैंसर , एड्स रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर बोझिल जिंदगी से ऊर्जा भरी जिंदगी प्रदान करके नई खुशियां देती है। 

इस दवा को आप 1वर्ष में 20-30 दिन सेहत तंदरुस्त रखने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जो लोग अच्छी सेहत चाहते है‌। उनके लिए यह महंगा टानिक ताकतवर साबित तो होता ही है, सभी रोगों से बचाव भी करता है। 

हम इसे गोली नहीं बनाते । पाउडर ही बनाकर रखते हैं। क्योंकि हर मरीज के रोग अनुसार दूसरी दवाओं के साथ मिलाकर दिया जा सके। 

कीमती नवरत्नों हीरे , मोती से स्वर्ण भस्म के मिश्रण से बनी
यह दवा हर बड़ेसे बड़े रोग को ठीक करने की ताकत रखती है। 
रोग और रोगी की समस्या अनुसार, अनुपात, अनुपान हम बदलकर देते हैं। तो आशातीत लाभ मिलता है।

सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद,144205, पंजाब
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#AmanAyurved #VaidAmanCheema #vaidamancheemapunjabi #NavrattanRajYog

Saturday, March 30, 2024

सत्यानाशी Argemone Mexicana

सत्यानाशी , स्वर्णक्षीरी ARGEMONE MEXICANA 

•Satyanashi Plant / आयुर्वेद में सत्यानाशी पौंधा एक बहु-उपयोगी औषधि रूप है। 
सत्यानाशी यानि कि सभी प्रकार के रोगों का नाश करने वाली वनस्पति। 
सत्यानाशी पौधा बंजर, नदी किनारे, जगलों, खाली जगहों में पाये जाते हैं। सत्यानाशी पौधा लगभग 3 फीट तक लम्बा होता है। फूल पीले और पत्ते हरे तेज नुकीले होते हैं।  बीज सरसों दानों की तरह होते हैं। कोमल पत्ते -तने तोड़़ने पर दूध जैसा तरल निकलता है। 

सत्यनाशी पौधा भारत में लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है।

 जिसे अलग-अलग नामों 
 स्वर्णक्षीरी, कटुपर्णी, पीला धतूरा, स्याकांटा, फिरंगी धूतरा, भड़भांड़, काटे धोत्रा, मिल धात्रा, दारूड़ी, चोक, कटसी, भटकटैया पौधा, सोना खिरनी, कुश्मक, शियालकांटा, कुडियोटिट, और अंग्रेजी में Argemone mexicana, Prickly Poppy, Mexican Poppy, Satyanashi से पुकारा जाता है।

 सत्यनाशी औषधि और तेल रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

सत्यनाशी के फूल, पत्ते, दूध, जड़ें,तना, बीज औषधि के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। 

•पुराने घाव :-
चोट घाव ठीक करने में सत्यानाशी फूल, पत्तियों का रस या तैल अचूक औषधि मानी जाती है। सत्यानाशी फूल पत्तियों का रस घाव जल्दी भरने में सहायक और घाव को संक्रमित होने से बचाने में सहायक है। 

•गठिया- जोड़ों के दर्द में 
सत्यनाशी तेल में लहसुन पकाकर अच्छे से मालिश करने से गठिया जोड़ों के दर्द में फायदा होता है।

•पुरुषों महिलाओं की अंदरूनी कमजोरी दूर करे सत्यानाशी :-
पुरूर्षों महिलाओं दोनों की अन्दुरूनी गुप्त बीमारी नपुंसकता, धातुरोग, वीर्य कमजोरी, शुक्राणुओं की गड़बड़ी और निसंतान कलंक दूर करने में सत्यानाशी पौधा एक अचूक प्राचीनकालीन औषधि है। महिलाओं पुरूर्षों के गुप्त रोगों में सत्यानाशी के फूल रस, पत्तियों का रस आधा चम्मच सुबह- शाम कच्चे दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। सत्यानाशी बीज तेल से मालिश और 50 ग्राम सत्यनाशी जड़ों 1 लीटर पानी में हल्की आंच में उबाल कर काढ़ा तैयार करें और रोज सुबह शाम 2-2 चम्मच पीने से जल्दी फायदा होता है। निसंतान दंम्पतियों के लिए सत्यनाशी पौधा अचूक औषधि मानी जाती है। 

 ज्यादा लाभ के लिए आप मेरे क्लीनिक पर ‌तैयार होने वाले नुस्खे जैसे:-  तूफानी ताकत महायोग, जीवन जौश महायोग , बादशाही महायोग आदि कोई एक नुस्खा डाक/कोरियर द्वारा लें सकते है। 

•लिंग कमजोरी दूर करे सत्यानाशी तेल :- 
सत्यानाशी बीज तेल मालिश पुरूर्षों की लिंग स्थिलिता, कमजोरी दूर करने में कुछ सहायक है। सत्यानाशी तेल मालिश कमजोर नसों में रक्त संचार तीब्र और सुचारू बनाये रखने में और लिंगवर्धन में सक्षम है। 
ज्यादा लाभ हेतू मेरे क्लीनिक पर तैयार  तिला मंगवा सकते है। 

सावधानियां :-
सत्यानाशी का सेवन गर्भावस्था के दौरान मना है।
गम्भीर सर्जरी में सत्यानाशी सेवन मना है।
सत्यानाशी सेवन 2 साल से छोटे बच्चों के लिए मना है।

मेरा विशेष प्रयोग :- 
सत्यानाशी का पूरा पौधा उखाड़कर धो कर साफ़ कर लें। 
कूट कर आठ गुणा पानी में डाल दें। आठ घंटे बाद लोहे या मिट्टी के बर्तन में डालकर, लकड़ी या कंडों या कोयले की धीमी आंच पर पकाएं, जब पानी आधा रह जाए तो ठंडा होने पर पानी निचोड़ लें। निचोड़ा हुआ पानी उसी बर्तन को साफ करके उसमें डालकर धीमी आंच पर पूरे पानी को सुखा दें। पानी सूखने के बाद काले रंग की गोंद जैसी दवा आपको मिलेगी। फिर इसे धीरे-धीरे खुरपे की मदद से खुरचकर मटर बराबर गोलियां बना लें। इन गोलियों को “सत्यानाशी घन वटी” बोला जाएगा। 

यह गोलियां चर्म रोग , बवासीर, मुंह के छाले, गले सड़े ज़ख्मों में , फोड़ा, कील , मुंहासे, अलर्जी, दमा , चमड़ी का कैंसर में फायदा करती है। 
ताकत बढ़ाने के लिए सत्यानाशी जड़ के काढ़े के साथ यह गोलियां इस्तेमाल करें। मर्दाना ताकत के लिए इसे और ताकतवर बनाने के लिए बंग भस्म, लौह भस्म, अभ्रक भस्म, चांदी भस्म , सोना भस्म मिला सकते हैं। 

Skin problem के लिए सत्यानाशी के बीजों का तैल इस्तेमाल करने से बहुत फायदा होता है। 

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आपके क्षेत्र में इसे किस नाम से पुकारा जाता है। कभी आपने इसका इस्तेमाल किया है तो जरूर लिखें। 

सदैव आपका अपना शुभचिंतक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमा, 
संस्थापक अमन आयुर्वेद,
WhatsApp & Call 099151 36138 

#VaidAmanCheema #AmanAyurved

Friday, March 29, 2024

Swarn Bhasma स्वर्ण भस्म

“स्वर्ण भस्म” Part-1
परिचय,विधि,लाभ सहित

•परिचय:-
स्वर्ण भस्म तैयार करने के लिए स्वर्ण का विशिष्ट गुरुत्व 19.4 तथा द्रवणांक 1064° शतांश तापमान है। 100 टंच का सोना स्वर्ण भस्म निर्माण के लिए अति उत्तम है। 

•शोधन:-
स्वर्ण को भस्म या वर्क बनाने से पहले उसका शोधन बहुत जरूरी है। ताकि उसकी अशुद्धियां दूर करके मनुष्य को स्वास्थ्य लाभ दिया जा सके। 
सुनार के पास जाकर स्वर्ण के पत्र बनवाकर , फिर इसे आग में तपाया जाता है‌। तपा हुआ स्वर्ण पत्र तैल , तक्र,कांजी,कुल्थी आदि के क्वाथ में 3-3 बार बुझाने से स्वर्ण शुद्ध हो जाता है। 
अब इसे भस्म बनाने या वर्क बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 
शुद्धि करण की विधियां और भी बहुत सारी है लेकिन यह विधि बहुत सरल और मेरी पसंदीदा है। 

•स्वर्ण भस्म बनाने की विधि:- 1
स्वर्ण भस्म एक बार में यानि एक बर्तन में एक तोला से 5 तोला तक ही बनाएं, ऐसा करने से भस्म उत्तम बनती है। 

10ग्राम स्वर्ण पत्र को बारीक कैंची की मदद से कतर लें या रेती की मदद से रगड़ कर बारीक कर लें। 
फिर इसे तुलसी के पत्तों के रस में खूब खरल करें। 
सूखने के बाद बराबर मात्रा में सुमलफार बराबर मात्रा में मिलाकर तुलसी के रस में एक हफ्ता 8 घंटे तक रोज खरल करें। 
फिर छोटी-छोटी टिकिया बनाकर सुखाकर, दीवाली वाले मिट्टी के 2 दीयों या सकोरे के बीच रखकर , सन्धि स्थान पर कपड़मिट्टी करके 1किलो कण्डों की आग दें।  आग खुले स्थान पर ही दें, धुएं से खुद को और दूसरों को बचाएं। 
फिट सम्पुट से टिकिया निकाल कर पुनः आधा भाग सुमलफार मिला कर प्रथम पुट की तरह पुट दें। 
तीसरी बार चोथाई भाग सुमलफार मिला कर पुट दें। लगभग 11 पुट देने से आप सकोरे से भस्म निकाल कर तुलसी पत्र रस में 7 दिन खरल करें। 
फिर गुलाब फूल के रस में 7 दिन खरल करके स्वर्ण भस्म को संभाल कर रख लें। 

स्वर्ण भस्म तैयार है। 

•विधि नंबर :-2 
शुद्ध करके बारीक किए गए 10ग्राम स्वर्ण पत्रों में 20ग्राम शुद्ध पारद मिलाकर दोनों को खरल में घोलकर पिट्ठी बना लें। इस पिट्ठी को तुलसी पत्र रस में 3 दिन खरल करने के बाद टिकिया बनाकर, धूप में सुखा लें, सराब समपुट में रखकर आधा किलो कंडो की आंच में फूंक दें। इस तरह 10बार करने से काले रंग की स्वर्ण भस्म तैयार मिलेगी, अगर एक दो पुट खुले में दी जाएगी तो लाल रंग की स्वर्ण भस्म तैयार हो जाएगी। 

•विधि नंबर :-3
शुद्ध करके बारीक किए हुए 10ग्राम स्वर्ण पत्रों में 10ग्राम शुद्ध पारद , 5ग्राम दुग्ध पाषाण मिलाकर जम्बीरी नींबू के रस में ( गलगल ) तीन दिन तक मर्दन करके जब पूरा मिश्रण सूख जाएं तो इसमें 10 ग्राम शुद्ध गंधक मिलाकर सम्पुट में बंद करके लघुपुट में फूंक दें। इस तरह तब तक पुट देते रहे जब तक चंद्रिका -रहित भस्म न हो जाए । निश्चन्द्र भस्म होने पर इसको कचनार की छाल के स्वरस की भावना देकर तीन पुट दें। इस तरह से बनी हुई भस्म जामुनी रंग की होती है। 

स्वर्ण भस्म निर्माण की अनेक विधियां हैं। यह उपरोक्त विधियां रस तंत्रसार,सिद्ध योग संग्रह ग्रंथ से ली गई है।  हम अपनी विशेष स्वर्ण निर्माण विधियां भी आपसे शेयर करेंगे। 

यह स्वर्ण भस्म निर्माण अनजान व्यक्ति न करें, गुरु की छत्रछाया में ही भस्म निर्माण का कार्य करें। 

सोना,चांदी,शीशा धातुओं की भस्म बनाते समय आंच अधिक होने पर तीनों धातुएं गलकर एक गाढ़ा पिण्ड बन जाती है। इसलिए बिना अनुभव के भस्म निर्माण न करें। योग्य गुरु से जरूर सीख लेना चाहिए। 

अपने हाथों से तैयार की गई यह स्वर्ण भस्म, कंपनी की स्वर्ण भस्म से 100गुणा अच्छी है। ज्यादा लाभकारी होती है। 

कंपनी की स्वर्ण भस्म 15000₹ से 22000₹ तक 1 ग्राम बिकती है। 1ग्राम (1000mg )

मात्रा:- चोथाई रत्ती से आधी रत्ती तक दूध,घी,मधु, मक्खन, मलाई आदि के साथ अथवा रोग अनुसार अनुपान के साथ ।

आठ रत्ती ( 1000mg मतलब 1ग्राम) 
एक रत्ती ( 125mg )
आधी रत्ती ( 65mg ) 
चोथाई रत्ती ( 32.5 mg ) 

एक महीने में आप रोग अनुसार साधारण मनुष्य के लिए आधा ग्राम से 2-3 ग्राम तक स्वर्ण भस्म का सेवन कर सकते हैं। ग्रंथ अनुसार।‌

विशेष नोट:- 
जो खिलाड़ी हैं , Zym lovers, रोज संभोग चाहते हैं या शौकीन हैं , उनके लिए हम विशेष मात्रा में रोग अनुसार विशेष दवाओं के साथ स्वर्ण भस्म मिलाकर दवा तैयार करके देते हैं। क्योंकि ऐसे व्यक्तियों को ज्यादा पावर चाहिए होती है , इन्हें साधारण मनुष्य से खुराक की भी ज्यादा जरुरत होती है। इसलिए स्वर्ण भस्म मिश्रित दवाएं ऐसे मनुष्यों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होती है। स्वर्ण भस्म की मात्रा हम सैट करते हैं , उम्र, वजन,body की जरूरत अनुसार। स्वर्ण भस्म की मात्रा हर किसी के लिए अलग-अलग हो सकती है। 

गुण और उपयोग:-
स्वर्ण भस्म स्निग्ध, मधुर, किंचित तिक्त,शीत वीर्य और रसायन गुण वाली है। 
मधुर,वृंहण,हृद्य,स्वर-शुद्धिकारक, प्रज्ञा, वीर्य, स्मृति,कांति,ओज बढ़ाने वाली है। 

एड्स में भी स्वर्ण भस्म का उपयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है। 

स्वर्ण भस्म को मस्तिष्क विकार , वात रोग , हृदय विकार, मसल डिस्ट्राफी, सोरेबर्ल पल्सी, कैंसर, दृष्टि क्षीणता, पागलपन, डिप्रेशन, रसोली, ब्लड कैंसर, रोग प्रतिरोधक क्षमता, मधुमेह,दमा,राजयक्ष्मा,खिलाड़ी,Zym lovers, हार्ट ब्लाकेज, पक्षाघात, सैक्स कमजोरी, बांझपन, नामर्दी, शुक्राणु, शीघ्रपतन, लाइलाज रोग , पुराने जटिल रोगों में  रोगानुसार अनुपान के साथ हम इस्तेमाल करते हैं।‌

बहुत कम मात्रा में ही (चोथाई रत्ती से आधी रत्ती) स्वर्ण भस्म का सेवन करने से बहुत तेजी से अधिक लाभ मिलता है। 

कई वर्षों तक सैकड़ों दवा खाने के बाद भी जो रोग ठीक न हुआ हो , स्वर्ण घटित औषधियों से अच्छे होते हैं। 
अतिअंत कष्टदायक अवस्था में स्वर्ण भस्म घटित योग लाभकारी सिद्ध होते हैं। 
हार्ट अटैक वाले रोगी को मकरध्वज के साथ स्वर्ण भस्म का 
सेवन करवा देने से रोगी एक दो खुराक में शरीर में आई चुस्ती फुर्ती देखकर हैरान रह जाता है। 
मरते हुए रोगी की जीभ पर स्वर्ण भस्म शहद में मिलाकर चटा दी जाए तो रोगी कुछ घंटे तो बातें कर ही जाता है। 

कई कई वर्षों से दुखी सोरेबरल पल्सी, मस्क्यूलर डिस्ट्राफी, कैंसर , मधुमेह, नामर्दी, डिप्रेशन आदि रोगी स्वर्ण भस्म मिश्रित नुस्खों से ठीक होते हैं। 

स्वर्ण निर्मित योगों का इस्तेमाल करने के लिए आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं। 

स्वर्ण भस्म के
मेरे अगले लेख का इंतजार करें। 

लेख पढ़ने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद

अगर आपने हमें follow नहीं किया तो कर लें। 
लेख अच्छा लगा तो शेयर जरूर कर दें। 

आपका अपना शुभचिंतक
✍🏻 वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद, दसुआ 144205 पंजाब
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#VaidAmanCheema #AmanAyurved #Swaran_Bhasma_part_1

Wednesday, March 27, 2024

Anand Vardhak Pills

आनंद वर्धक गोलियां
Anand Vardhak Pills 

शुद्ध अफीम 2ग्राम, 
स्वर्ण भस्म 200mg,
मकरध्वज 1 ग्राम,
सिंगरफ शुद्ध 1ग्राम,
काली मिर्च 1ग्राम,
लौंग,जायफल , जावित्री, दालचीनी, अकरकरा,केसर 
½-½ ग्राम, 

भांग के पत्तों के रस , पान के पत्तों के रस में खरल करके 
गोलियां बना लें। 

असमर्थ पुरुष:- 
जरुरत के समय तंदरुस्त आदमी एक गोली संभोग से दो घंटे पहले मलाई मिले हुए गर्म दूध से लें। इसके सेवन करने से संभोग में आनंद आता है। लंबे समय तक वीर्य रुकता है। पत्नी पति से पूर्ण रूप से संतुष्ट होती है। 

असमर्थ औरत:-
अगर इस गोली का औरत को भी सेवन करवा दिया जाएं तो संभोग में पूरा साथ देती है। पति को संतुष्ट भी करती है। खुद भी चर्म सुख प्राप्त करती है। आनंद प्राप्त करती है। 

लाभ:-
इन गोलियों को 40 दिन सेवन करने से बल , वीर्य , पाचन शक्ति बढ़ती है। इन गोलियों के सेवन से पुरुष मदमस्त स्त्रियों के साथ इच्छानुसार संभोग रचाकर उन्हें संतुष्टि दें सकता है। 

विशेषता:-
शीघ्रपतन रोगी वीर्य स्तंभन बढ़ाने के लिए,बल वीर्य बढ़ाने के लिए आनंद वर्धक गोलियां का इस्तेमाल करके अपने समस्या से पीछा छुड़ा सकते हैं।

मंगवाने के लिए संपर्क करें
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा, 
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099151 36138 

#Anand_Vardhak_Pills #VaidAmanCheema #AmanAyurved

Tuesday, March 19, 2024

मदमस्त महायोग गोलियां

•मदमस्त महायोग•

 // बनाने की विधि //

50ग्राम मघ पीपल
आधा किलो देसी गाय के  दूध में डालकर मंद आँच पर उबालें। दूध थोड़ा सा रह जाने पर पीपल को निकाल कर धोकर छाया में सुखा दे। अच्छी तरह सूखने के बाद पीस कर महीन चूर्ण बना लें। 

उपरोक्त मघपीपल चूर्ण में
सिद्ध मकरध्वज 5 ग्राम
स्वर्ण भस्म 300mg
हीरक भस्म 150mg 
अभ्रक भस्म सहस्र पुटी 2.5 ग्राम,
मुक्ता पिष्टी 5 ग्राम
रजत भस्म 2.5 ग्राम

सबको खरल में डालकर पान के रस में तीन दिन खरल करके  मिलीग्राम गोलियां बना लें। यह एक माह का नुस्खा लिखा है। हम इसकी गोलियां और कैप्सूल बनाते है। 

यह योग अतिअंत बल , वीर्य वर्धक , कफ -पित्त-वात रोगियों के लिए अनुपान अनुसार लेने से बहुत लाभकारी है। 

इसके सेवन करने से शरीर में नया रक्त पैदा होता है । भूख बढ़ती है। शरीर में नयी जान आती है। संभोग शक्ति पैदा होती है।

 स्तंभन शक्ति आती है। यह दवा उन लोगों के लिए अमृत है जिन्हे कफ , बलगम , शर्दी खांसी की समस्याएं रहती है।

 जिन मरीजों के वात रोग है , जोड़ों में दर्द रहता है वह भी इसका इस्तेमाल कर सकते है। अपनी संभोग शक्ति बढ़ा सकते है। 

इसके सेवन से चेहरे का तेज बढ़ता है। पेट विकार खत्म हो जाते है। 

जो महिलाएं सफेद पानी की समस्याओं से परेशान है और संभोग में रुचि नही है , इसका सेवन करने से रुचि उत्पन्न होती है और अपने पार्टनर को रतिक्रिया में पूर्ण सहयोग करती है। 

जो बजुर्ग जोड़े है शरीर में दर्द , जोड़ों में दर्द , पक्षाघात , लकवा , या हार्ट के मरीज है , जिन्हे डिप्रेशन के कारण या अन्य किसी वजह से शरीरक कमजोरी , या संभोग शक्ति खत्म हो गई है वह भी इसका इस्तेमाल करके जीवन में नया जौश , ताकत, जवानी प्राप्त कर सकते है। 

मैं अपने इस योग के बारे में जितना लिंखू उतना कम है। आप इसका इस्तेमाल करें और लाभ लें। 

कफ और वात रोगी इसे शहद से ले सकते हैं। ऊपर से गुनगुना दूध पी सकते है। 

पित्त रोगी इसे मलाई, मख्खन, दूध से इस्तेमाल कर सकते हैं। 

इसका कोई नुक्सान नहीं है ।‌

ज्यादा जानकारी के लिए आप हमारे Whatsapp पर संपर्क करें। 

आपका अपना
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
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Sunday, March 10, 2024

Power Vati

•कमजोरी दूर करके शक्ति बढ़ाने वाली गोलियां•

“पावर वटी” (  पावर गोली )

यह दवा नया रक्त पैदा करती है। किसी भी बिमारी के ठीक होने के बाद आने वाली कमजोरी को  बहुत जल्द दूर करती है। आलस दूर करती है। संभोग में मन न लगना, उत्तेजना की कमी , शादी से घबराहट , ठंडापन आदि में इतने कम दाम में और  इससे बढ़िया दवा मेरी नजर में कोई नही है। जवान लड़के/लड़कियां,औरत, मर्द, बुजुर्ग सबके सेवन योग्य है। कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

 यह दवा खुद बनानी पढ़ती है। कोई कंपनी नही बनाती है। इसके द्रव बताई हुई कंपनियों के आपको मिल जाएंगे ।

 आयुर्वेद के ग्रंथों में इस नुस्खे में पढ़ने वाली दवाओ के गुणों को जानते हुए मैंने यह फार्मूला तैयार किया है। कई वर्षों से इसे बनाकर दे रहे हैं हम। 

इसके सेवन करने से शरीर में ताकत का उछाल आता है। इस दवा के इसी गुण के कारण मैंने इसका यह नाम “पावर वटी” रखा है। पावर वटी के नाम से मुझसे मंगवा सकते है।

 नुस्खा निम्नलिखित है। 

•गिलोय का घनसत्व 5ग्राम,
•छोटी पीपल 5ग्राम,
•लौह भस्म शतपुटी 5ग्राम,
•रजत भस्म 2ग्राम,
•स्वर्ण भस्म 200mg ,
•शुद्ध कुचला 3ग्राम,
•स्वर्णमाक्षिक भस्म 3ग्राम,
•अभ्रक भस्म शतपुटी 2ग्राम 

अगर आप खुद बनाना चाहते हैं तो छोटी पीपल कूटकर पीसकर पांच ग्राम का वजन करके डाल दें।

सभी द्रव डालकर इसको अश्वगंधा के ताज़ा जड़ रस में अच्छी तरह घुटाई करें। 
फिर सतावर , सेमल मूसली के रस में घुटाई करें। 
 सात- सात दिन घोंटकर जब गोली बनने वाली हो जाए तो मटर के आकार की गोलियां बना लें। 

सुबह-शाम 1-1गोली दूध के साथ लेनी है।

 दूध को अच्छी तरह पकाकर जब गाढ़ा होने लग जाए तो उसमें मीठा मिलाकर दवा लें । अगर आप दवा न बना सके तो मेरे से बनी बनाई भी मंगवा सकते है। 
गोली उपलब्ध है । 
30गोली 4500/-₹  दवा कोरियर द्वारा बैंक खाता में पैसे जमा करवाकर आप अपना पता वटसऐप पर भेजकर मंगवा सकते है ।

 परहेज :- गुड़,तैल,खटाई,मिठाई,संभोग,लाल मिर्च , मीट,अंडा,शराब । दूध,फल और पोष्टिक भोजन लें। 
हाई बीपी वाले इसे नहीं ले सकते। 

लेखक 
सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा ,
( वैद्य अमन चीमा )
अमन आयुर्वेद,पंजाब
WhatsApp 9915136138

अगर आप चाहते हैं कि लोगों का भला हो तो Post को Share कर सकते है। 

#AmanAyurved #VaidAmanCheema #power_vati_taqat_ke_liye

Monday, March 4, 2024

low sperm Nil sperm

शुक्र और शुक्राणु बढ़ाने के लिए अनमोल नुस्खा 

“शुक्र शक्ति महायोग”
पुरूष शुक्राणु बढ़ाने के लिए , औरतों का अंडा बनाने के लिए

हर किसी को मां-बाप बनने की चाहत होती है । लेकिन जब किसी बिमारी की वजह से चाहत को पूरा करने के लिए रोग बाधा डालता है। तो मनुष्य निराश हो जाता है ‌। इसके लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हो सकते हैं । उनमें से एक रोग है शुक्राणु न बनने की समस्या या शुक्राणु का कम बनना आदि , औरतों में अंडे का सही विकास न हो पाना । उक्त दोनों रोगों के लिए यह “शुक्र शक्ति महायोग” बहुत अच्छा काम करता है। 2 महीने इसका सेवन करने से पुरुषों के तंदरुस्त शुक्राणु बनते है और औरतों के अंडा बनने लग जाता है। पति-पत्नि संतान सुख प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं।
 जिन लोगों को बहुत दवा खाने के बाद भी लाभ न हुआ हो , उन्हे हमारे इस “शुक्र शक्ति महायोग”  का एक बार जरूर सेवन करना चाहिए । 

“शुक्र शक्ति महायोग”
बंग भस्म 5ग्राम,
अभ्रक भस्म सहस्त्र 5ग्राम,
स्वर्ण भस्म 500 मिलीग्राम
हीरक भस्म 200 मिलीग्राम
रजत भस्म 3ग्राम 
मोती पिष्टी 5 ग्राम
प्रवाल पिष्टी 10 ग्राम,
शुद्ध कौच बीज काला 50ग्राम,
शुक्राणु वर्धक योग -100ग्राम ।

सबको मिलाकर सुबह-शाम दूध से सेवन करवाते है। 

नोट:- स्वर्ण मोती रजत हीरा अभ्रक युक्त होने से शुक शक्ति महायोग की कीमत 15000रु है। जगह जगह से दवा खाकर निराश रोगियों के लिए यह मेरा बहुत ही सफल नुस्खा है। 

आपका अपना शुभचिंतक
डाँ० अमनदीप सिंह चीमा नाड़ी वैद्य 
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#शुक्रशक्तिमहायोग #shukarshaktimahayog #VaidAmanCheema #AmanAyurved

Tuesday, February 27, 2024

Lipoma चर्बी वाली रसोली

~Lipoma ( शरीर में चर्बी की गांठे )~
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Lipoma के बारे में कुछ जानकारी👇

लाइपोमा ऊतक का एक गोल या अंडाकार आकार का गांठ होता है जो त्वचा के ठीक नीचे बढ़ता है।  यह वसा से बना है, जब आप इसे छूते हैं तो आसानी से चलता है और आमतौर पर दर्द नहीं होता है।  लिपोमास शरीर पर कहीं भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन वे पीठ, धड़, हाथ, कंधे और गर्दन पर सबसे आम हैं।

 लिपोमा सौम्य नरम ऊतक ट्यूमर हैं।  वे धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कैंसर नहीं होते हैं।  अधिकांश लिपोमा को उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।  यदि लिपोमा आपको परेशान कर रहा है, तो आप इसे हमारी आयुर्वेद दवा से Permanent ठीक कर सकते है। 

 लिपोमास आमतौर पर दर्दनाक नहीं होते हैं, लेकिन अगर वे तंत्रिका के खिलाफ दबाते हैं या संयुक्त के पास विकसित होते हैं तो वे असहज हो सकते हैं।  लिपोमा वाले बहुत से लोग किसी भी लक्षण को नोटिस नहीं करते हैं।  

लिपोमास आमतौर पर कितनी प्रकार के होते हैं? 

1. एनकैप्सुलेटेड Encapsulated 
 वे अपने आसपास के ऊतकों में नहीं फैलते हैं।

2. दर्द रहित Painless 
हालांकि, कुछ लिपोमा उनके स्थान, आकार और रक्त वाहिकाओं के मौजूद होने पर दर्द और परेशानी का कारण बनते हैं।

 3.गोल या अंडाकार आकार Round or Oval-shaped
रबर जैसे ऊतक की वसायुक्त गांठ आमतौर पर सममित होती है।

4. जंगम Moveable 
वे त्वचा की सतह के ठीक नीचे बैठते हैं और जब आप उन्हें छूते हैं तो हिलते हैं।

 5. व्यास में 2 इंच से छोटा Smaller than 2 inches in diameter
 कुछ मामलों में लिपोमा 6 इंच से भी बड़ा हो सकता है।

 लिपोमास शरीर पर कहीं भी विकसित हो सकता है।  शायद ही कभी, लिपोमास मांसपेशियों, आंतरिक अंगों या मस्तिष्क पर विकसित होते हैं।  लिपोमा वाले अधिकांश लोगों में केवल एक ही होता है, हालांकि एक से अधिक लिपोमा विकसित हो सकते हैं।  अधिकांश लाइपोमा त्वचा के ठीक नीचे विकसित होते हैं। 
जैसे👇

 हाथ या पैर,
 पीछे,
 गरदन,
 कंधे,
  छाती और धड़,
 माथा

 आधुनिक विज्ञान में इसका इलाज आप्रेशन है । जो कि पक्का इलाज नही ।  आप्रेशन के बाद दूसरी जगह दुबारा हो जाती है । आधुनिक विज्ञान में इसका जड़ से इलाज नही है , सिर्फ आप्रेशन करके निकाल ही सकते है । 

लेकिन आयुर्वेद के इलाज से गांठे खत्म करने के साथ-2 , दुबारा बनने की रूची भी खत्म हो जाती है । शरीर में एक या अनेक गांठे आयुर्वेदिक दवा से निकल जाती है ।

 आपको आज मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा बताऊगा ,जिससे मैंने दर्जुनों रोगियो को इस रोग से बिना आप्रेशन मुक्त किया है । बहुत ही सफल और कारगर दवा बता रहा हुँ । 

फ्री का ज्ञान न समझें , ध्यान से पढ़े । शेयर करें । 
कोरियर द्वारा या मेरे आयुर्वेद सैंटर से आप आकर यह दवा प्राप्त कर सकते हैं। 

~परहेज~
°°°°°°°°°
ज्यादा कफयुक्त पदार्थ न लें ।
 जैसे :- दूध ,घी ,मक्खन ,मलाई ,बाजार की बनी चीजें ,मेदा,बेसन, मीट,अंडा,केला ,अरबी,आलू ,शकरकंदी , चावल आदि । 

*Lipoma “चर्बी की गांठ” की मेरी अनुभूत चिकित्सा*
भाग -2
•••••••••••••••••••••••••••••••••••••••••
•कचनार गुगल -90ग्राम
•कैशोर गुगल-90ग्राम 
•अरोग्यावर्धनी वटी-45 ग्राम
•वृद्धि वाधिका वटी-60ग्राम
•शिला सिंदूर -5ग्राम
•ताम्र सिंदूर -4ग्राम 
•पन्ना पिष्टी-15ग्राम 
•वज्र भस्म -2gm 
•मोती पिष्टी-15 ग्राम

*बनाने का तरीका*
•••••••••••••••••••
 सबसे पहले वृद्धि वाधिका वटी को बारीक पीस लें , फिर सिंदूर ताम्र आदि डालें ,उसके बाद मुक्ता,पन्ना पिष्टी,फिर वज्र भस्म ( यह बहुत ही महंगी भस्म है ( हर तरह के कैंसर ,गांठों में मेरी बहुत अनुभूत दवा है ) सावधानी से डाल दें । ) उसके बाद अरोग्यावर्धनी वटी डालकर कसकर घुटाई करलें । जब पूरी तरह बारीक एक जान हो जाएं । तो आखिर में कैशोर गुगल , कचनार गुगल को डालकर 2घंटे अच्छी तरह कसकर घुटाई करके बारीक कर लें। फिर इसको कचनार छाल के काढ़े में तीन बार घोटकर सुखा लें । यह तीन माह की दवा तैयार है । 

*खाने की विधि*
••••••••••••••••••
इस उपरोक्त दवा की 90 पुड़िया बनाकर सुरक्षित रख लें। 
रोज एक पुड़िया खानी है। आधी सुबह - आधी शाम ।
थोड़ा सा शहद मिलाकर चाट लें।ऊपर से गुनगुना पानी पीएं। 

*विशेष*
••••••••••
इस तीन माह की दवा से शरीर में किसी भी जगह ,कितनी भी संख्या की गांठे होगी , बिल्कुल ठीक हो जाएगी । भविष्य में कभी दुबारा नही होगी । यह बहुत ही असरदार ,कमाल का नुस्खा है । 

    चलता हुँ,रब्ब राखा.....

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Wednesday, February 14, 2024

शिलाजीत रसायन स्वर्ण युक्त

★ शिलाजीत रसायन स्वर्ण युक्त★

आयुर्वेद शास्त्र में शिलाजित बहुत प्रसिद्ध एवं प्रशंसित है. आयुर्वेद की प्रसिद्ध पुस्तक चरक संहिता में तो यहाँ तक लिखा गया है कि "जगत में ऐसा कोई साध्य रोग नहीं है जिसे उचित समय पर व उचित योगों के साथ विधिपूर्वक किये गये शिलाजित के प्रयोग से ठीक न हो।
शिलाजित न केवल रोगों का उपचार करने में सक्षम है, बल्कि यह सम्यक प्रयोग किये जाने पर स्वस्थ मनुष्य में भी उत्तम बल प्रदान करता है.

यही कारण है कि आयुर्वेद के बल्य, पौष्टिक, ओजवर्धक, दौर्बल्यहर, धातुपौष्टिक आदि अधिकांश योगों में तो शिलाजित का प्रयोग किया ही है, वहीं विभिन्न रोगों, जैसे कि मधुमेह, बहुमूत्रता, प्रमेह, धातुक्षीणता, नपुंसकता, निर्बलता, मूत्रकृच्छ्र, क्षय, वातरोग, पाण्डु, उदर रोग, अंगघात आदि अनेक रोगों में यथायोग्य अनुपान से प्रयोग किया जाता है।

यह शिलाजित नामक पाषाण स्राव आयुर्वेदानुसार कटु, तिक्त, उष्ण, कटुपाकी, रसायन, छेदी, योगवाही गुण वाला होता है तथा कफ-मेद-अश्मरी-शर्करा, मूत्रकृच्छ, क्षय, श्वास, वातरोग, अर्श, पाण्डु, अपस्मार, उन्माद, शोथ, कुष्ठ, कृमि व उदर आदि अनेकानेक रोगों का नाश करने वाला होता है.

शिलाजित अपने उत्पत्ति क्षेत्र की प्रस्तर चट्टानों के गुणानुसार चार प्रकार का कहा गया है.

1. स्वर्ण शिलाजित:- मधुर, कषाय, शीतल, वातपित्तहर होता है.

2. रजत शिलाजित:- तिक्त, शीतल, मधुरपाकी, पित्तकफहर होता है.

3. ताम्र शिलाजित:- कटु, उष्ण, कफहर है.

4. लौह शिलाजित:- कड़वा, सौम्य, कटुपाकी, शीत होता है.
इनमें से लौह शिलाजतु सर्वश्रेष्ठ होता है.

** शुद्ध शिलाजित की पहचान कैसे करें:-

जैसाकि पूर्व में बताया गया है कि शिलाजित चट्टानों से स्रवित होता है, अत: अन्य खनिज द्रव्यों की भाँति इसकी उपलब्धता भी परिमित है. स्पष्ट है कि बाजार में उपलब्ध शिलाजित नकली व मिलावटी हो सकता है. प्राय: शिलाजित पहाड़ी क्षेत्रों में प्राप्त होता है, जहाँ वर्ष के अधिकांश समय सर्दी रहती है-सूर्य अपनी प्रखरता पर नहीं होता. अत: यह सम्भव नहीं कि टनों असली सूर्यतापी शिलाजित विक्रयार्थ प्राप्त हो सके.
अब यह आवश्यक हो जाता है कि असली शिलाजित की पहचान कर प्रयोग किया जाये, अन्यथा मनोवांछित लाभ प्राप्त न होने पर शिलाजित व्यर्थ की वस्तु समझी जाने लगती है और आयुर्वेद पर विश्वास डगमगाने लगता है.

** असली शिलाजित की परीक्षा:-

1. शिलाजित के छोटे से टुकड़े को कोयले के अंगारों पर डालने से धुँआ न उठे व सीधी लौ की भाँति खड़ा हो जाए उसे असली माने.

2. शिलाजित के टुकड़े को पानी में डालने पर तार तार होकर नीचे बैठ जाए तो वह असली है.

3. शिलाजित सूख जाने पर उससे गौमूत्र की तरह गंध आती है.

4. असली शिलाजित काले रंग का, गोंद के समान, चिकना व हल्का होता है.

उपरोक्त विधियों से परीक्षण कर तथा जानकारों से संदेह निवारण के उपरान्त प्राप्त असली शिलाजित निस्संदेह ही लाभप्रद व उपयोगी सिद्ध होगा. नकली शिलाजित से लाभ नहीं होता.

*विविध उपयोग:-
पंचकर्म विधि से शरीर का शोधन करने के पश्चात शिलाजित का प्रयोग किया जाने पर श्रेष्ठतम लाभ मिलता है.
शिलाजीत के कुछ प्रमुख प्रयोग  

यहाँ कुछ रोगों के लिए शिलाजित के सामान्य प्रयोग बताये जा रहे हैं.--

1. प्रमेह:- शिलाजित 2 रत्ती की मात्रा में एक चम्मच त्रिफला के साथ सेवन करें.
कहा गया है कि असाध्य प्रमेह में भी यदि एक तुला (लगभग 4.66 kg) शिलाजित का सेवन किया जाए तो वह रोगी पूर्ण स्वस्थ हो सकता है. हांलाकि आज के संदर्भ में यह मात्रा बहुत अधिक है.

2. मधुमेह:- शिलाजित 20 ग्राम, हल्दी 20 ग्राम, मेथी, गुड़मार व विजयसार तीनों 40-40 ग्राम मिलाकर महीन पीसकर जामुन के रस लेना लाभप्रद है.

3. उच्च रक्तचाप:- शिलाजित व अनन्तमूल का समभाग चूर्ण 500 mg की मात्रा में मुलेठी के काढे से लें.

4. बहुमूत्रता:- शिलाजित, बंग भस्म, इलायची दाना, वंसलोचन सूक्ष्म पीस कर 500 mg की मात्रा में गोखरू के क्वाथ से लें.

5. स्वप्नदोष:- शिलाजित, बंगभस्म, लौहभस्म, बबूल गोंद एकमेव कर त्रिफला रस से प्रयोग करें.

6. कामला:- शिलाजित, गिलोयसत्व गौमूत्र से सेवन करें.

7. मूत्रप्रदाह:- इलायची व पीपली चूर्ण को शिलाजित के साथ, चन्दनासव से प्रयोग करें.

8. मस्तिष्क बल्य:- ताजा मक्खन से शिलाजित सेवन करना दिमाग के लिए उत्तम है.

9. धातुक्षीणता:- शिलाजित को केशर-मिश्री मिले दूध से प्रयोग करें.

10. पाण्डु:- शिलाजित को लौहभस्म व त्रिफला से सेवन करना चाहिए.

11. ज्वर:- शिलाजित को पर्पटक क्वाथ से प्रयुक्त किया जाना चाहिए.

12. स्थौल्य:- 2 रत्ती शिलाजित खाली पेट शहद व जल से प्रयोग करवायें.

13. शिरशूल:- शिलाजित 5ग्राम, मजीठ व गिलोयसत्व 20-20 ग्राम मिलाकर दो ग्राम की मात्रा में आँवला मुरब्बा से दें.

14. धातु दौर्बल्य:- शिलाजित 16 भाग, लौहभस्म 4 भाग, अभ्रक भस्म 2 भाग, बंगभस्म 1 भाग मिलाकर 250 mg गोली बनाकर सुबह शाम मिश्रीयुक्त दूध से लें।

उपरोक्त प्रयोग एक दर्शिका मात्र है. रोगी व रोग के पूर्ण निदान पश्चात उचित समायोजन करें.

** शिलाजित युक्त विशिष्ट योग:-
शिलाजित के अनेक योग बाजार में उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख योग हैं-
शिलाजत्वादि वटी
वीर्यशोधन वटी
चन्द्रप्रभा वटी
प्रमेहगजकेशरी वटी
आरोग्यवर्द्धिनी वटी
ब्राह्मी वटी
आदि....

** शिलाजित सेवन में अपथ्य:-
उष्ण पदार्थ, गरिष्ठ भोजन, लाल मिर्च, तेज मसाले, शराब, अण्डे, माँस-मछली, तैल, गुड, खटाई, कुलथी, मकोय, दिन में सोना, मल-मूत्र का वेग रोकना, अति व्यायाम, अति स्त्री संग, मानसिक तनाव आदि का शिलाजित सेवन काल में परहेज करें.

** शिलाजित सेवन वर्जित :-
अत्यन्त गुणयुक्त व उपयोगी होते हुए भी कुछ स्थितियों में इसका सेवन निषेध किया गया है. जैसे- पित्त प्रकृति, अम्लपित्त, अल्सर, दाह, शारीरिक उष्णता आदि.
अन्त में हम यही कहना चाहेंगें कि यथाविधि, उचित अनुपान से चिकित्सक की सलाह के अनुसार प्रयोग किया गया असली शिलाजित निस्सन्देह उपयोगी सिद्ध होता है. शीतकाल में शुद्ध शिलाजित या शिलाजित के योग अवश्य लाभ करते हैं.

शिलाजीत सूर्यतापी से हम  #शिलाजीत_रसायन_स्वर्ण_युक्त तैयार करते हैं जो कि शिलाजीत के गुणों में वृद्धि कर देता है। 
शिलाजीत रसायन के घटक निम्नलिखित हैं। 

शिलाजीत सूर्यतापी, 
अभ्रक भस्म सहस्त्र,
 केसर ,
 हीरक भस्म , 
स्वर्ण भस्म 

बहुमूल्य घटक होने से महंगा तो बनता ही है , इसकी पहली खुराक ही शरीर में करंट भर देती है। 
 
शिलाजीत रसायन आप कोरियर द्वारा मेरे से मंगवा सकते है। 9999/-₹ 

Order Now- limited Stock 

सदैव आपका अपना
वैद्य डाँ अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद, 
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Monday, February 12, 2024

King Cobra Mahayog

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”

कैसा भी नामर्द होगा , चाहे कितना भी पुराना नामर्द होगा मर्द बन जाएगा।  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से ।‌

मेरे क्लीनिक का प्रसिद्ध “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”

मेरा सफल अनूभूत योग है । 

जो मैं कई वर्षों से सफलतापूर्वक प्रयोग कर रहा हुँ ।

जिसका नाम मैंने  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  रखा है ।

जो इसको खा लेगा बस याद करेगा।

 जिसने जगह-2 दवाएं खाई हो। चाहे कितनी भी निराशा मिली हो , लाखों रुपए खर्च किए , injection लगाएं , देश-विदेश में इलाज करवाया हो , कीमोथेरेपी के बाद , गंभीर चोट के कारण , ज्यादा संभोग के कारण , ज्यादा हस्तमैथुन के कारण या शूगर के कारण , या स्टीराईड के कारण, चाहे किसी भी कारण या गलती से नामर्दी आई हो , हर तरह की नामर्दी के लिए यह  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”   बहुत लाभदायक है। 

 शीघ्रपतन, नामर्दी ,शुक्राणु, बांझपन , VD, गुप्त रोग का इलाज आयुर्वेदिक दवा से किया जाता है। 

• “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” नुस्खा विधि:- 

हमारे दवाखाने पर जिस अनुपात से तैयार होता है। उसी अनुपात में लिख रहा हुं। 

सफेद प्याज , लहसुन का रस , आर्दक रस 15-15 किलो लेकर उसका रस निकाल लें ,अब इसका अर्क तैयार लें , जो अर्क बनाने का काम करते है वही तैयार कर सकते है । तीन बार अर्क खींचने पर 2-3 बोतल ही निकल पाएगी , यह है ★अर्क जौशीला★ ।

सिंगरफ रूमी चार तोले  मतलब 10-10 ग्राम की 4 डलियां लेकर बछनाग,कुचला,भिलावा,मांलकंगनी,जायफल , गुंजा लाल , लौंग के बीच रखकर तैैयार कर लें । 

इस तैयार सिंगरफ को साफ करके खरल में डालकर जौशीला अर्क में बूंद बूंद डालकर खरल करके,  सभी बोतलों का अर्क जोशीला सुखा दें। अर्क उतना ही डालें  जितने से सिंगरफ गींली हो बस इतना ही अर्क डालना है। 

हम सैकड़ों तरीके से सिंगरफ तैयार करते है ।  उपरोक्त विधि से सिंगरफ तैयार करने से भी रिज्लट बहुत बढ़ गए, जगह जगह दवा खा कर हार चुके रोगियों को इसका सेवन करवाया तो वह इसके रिज्लट देखकर हैरान हो गए, ऐसे जब रोगी ठीक होकर शुक्रिया अदा करता है तो उस ब्राहमंड के मालिक निरंकार के आगे बारंबार सिर झुकता है। 

सिंगरफ तैयार करने की एक विधी मैंने अपने YouTube channel पर भी डाली है।

अर्क जौशीला में सिंगरफ खर्ल करने के बाद 
 अशवगंधा की ताजी जड़ के रस में , 
सेमल की जड़, 
पलास की जड़ के रस में 5-5 बार घोटकर सुखाएं।  

फिर इस तैयार कुश्ते में  स्वर्ण भस्म,वज्र भस्म , मोती पिष्टी  20 ग्राम ,केसर 10 ग्राम मिलाकर रख लें | 
 आपका “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  तैयार है। 
हम  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  कैप्सूल, गोली में तैयार करके रखते है। आपको  गोली , कैप्सूल जो भी पसंद है , मंगवा सकते हैं। 

पाठक नोट करें यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” बहुत महंगा है।
मोती नं 1 , हीरा , सोना, केसर  भी बहुत महंगी है। मेहनत इनसे भी ज्यादा लगती है। जिन्हे जरुरत हो या खर्च कर सकते है वो ही संपर्क करें।

यह दवा हमारे पास उपल्बध रहती है । अपनी इच्छानुसार आप एक माह ,दो माह  की मंगवा सकते है। 

  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”   महाौष्धि को आपने सुबह-शाम दूध के साथ लेना है ।

 “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  2 महीना खाकर फिर शरीर में आई जवानी को देख आप दंग रह जाएगे । जिंदगी का लुत्फ लें, न कि ताकत को हासिल कर अयाशी में उडा दे।

 कमजोर औरत वाले  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”    का प्रयोग सोच समझकर ही करें।

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  बहुत ताकतवर है । “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”  उत्तेजक बहुत है ।

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”के सेवन से कुछ ही दिन में रंग लाल सुर्ख हो जाता है । 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से लिंग में संभोग समय बहुत ज्यादा जौश बना रहता है।

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से लिंग लठ जैसा , सटील की राड जैसी मजबूती बनी रहती है। यह नुस्खा  दूध घी मांगता है यानि कि दूध घी का इस्तेमाल ज्यादा करना चाहिए।

  सर्दीयो गर्मीयों दोनों में “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” का प्रयोग लाभकारी है ।

 गर्मीयों में  “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन करने वाले को हम आँवला मुरब्बा , गुलकंद , गिलोय का सत , प्रवाल पिष्टी मिलाकर सेवन करवाते है ताकि गर्मी न करें , आपको पूरा पूरा लाभ मिले। 

सर्दी में “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन से  प्रयोग नवंबर से फरबरी , मार्च तक करना बहुत ही लाभकारी है , रिज्लट भी बहुत मिलता है । 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” महँगा तो है लेकिन रिज्लट देख पैसे भूल जाते है । कई लोग नामर्दी के कारण आत्महत्या की सोच बैठे थे नामर्दी से तंग आकर । 
“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन से पुर्ण मर्द बन गए है ओर अपनी जिंदगी खुशी से जी रहे है ,इसकी एक और खूबी है कि इसका सेवन करने वाला बार-बार संभोग करने पर भी थकता नही , रात में कई कई बार संभोग कर सकता है ,मेरे क्लीनिक पर यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”तैयार रहता है , आप कोरियर द्वारा देश-विदेश में घर बैठे आसानी से मंगवा सकते है । messaga box or Whatsaap पर बात कर सकते है, इस योग के गुणों के बारे जितना लिखा जाए  उतना कम है , इसको बनाने में काफी समय लगता है और बिना तजुर्बा के बनाना भी कठिन है। 

यह दवा शीघ्रपतन,नामर्दी ,कमजोरी, शुक्र की कमी , वीर्य का पतलापन , शादी से घबराहट ,शूगर के कारण आई कमजोरी में बहुत ही लाभकारी है ।

पूरे लाभ के लिए यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” 2 महीने जरूर प्रयोग करना चाहिए। 

जिनकी शादी हो चुकी है या जो भरपूर संभोग आनंद के इच्छुक लोग है । उन्के लिए यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” बहुत ही लाभकारी दवा है ।

शौकीन और पूरे तंदरूसत लोग भी “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” का सेवन बेफिक्री से कर सकते हैं। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से किसी भी तरह का कोई भी नुक्सान नहीं होता है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
लकवा फालिज वाले भी कर सकते है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
का सेवन शादी से पहले भी कर सकते हैं। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
 के सेवन से  ज्यादा औरतों के शौकीन लोग बहुत फायदा उठा सकते है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से संभोग के शौकीन लोग फायदा उठा सकते है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से भविष्य में भी नामर्दी नही होती । 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से  शीघ्रपतन खत्म होकर संभोग का समय बहुत लंबे समय तक बना रहता है। 

 “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
के सेवन से संभोग करने वाला जिस स्त्री से संभोग कर लेगा वो सारी उम्र उसकी दासी बन कर रहेगी । संभोग में की गई एक-एक चोट  दोनों को गहरे आनंद में ले जाती है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” 6 -8 months 
के सेवन से 80 साल के बजुर्ग को भी संभोग के काबिल बना देता है , हिजड़ा भी इसके सेवन से संभोग के काबिल बन जाता है। 

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” के सेवन से 
बूरे काम या बचपन की गलतियों के कारण जिसने अपनी जिंदगी खराब कर ली हो उन लोगों के लिए यह अमृत समान गुणकारी है ।

इस “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”
में जो औष्धिया प्रयोग की जाती है वह  कितनी गुणकारी है। इसका अंदाजा सेवन करके ही लगाया जा सकता है।‌

अत: कहना चाहुंगा कि यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” हर वर्ग के पुरूषों के लिए सेवनीय है और कल्यानकारी है । अनजान लोग बनाने की कोशिश न करें । 

आप लोग हमारा यह “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” पोस्ट से या  कोरियर से हमसे अपने पते पर  मंगवा सकते है। 

इसका नाम हमने इसको गुणों को देखते हुए “किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog” रखा  है | यह तूफान जैसी ताकत देने वाली औष्धि है । इस रेट में इससे बढ़िया और कोई दवा मेरी नजर में कोई नही है ।  

“किंग कोबरा महायोग” “King Cobra Mahayog”और मेरे द्वारा निर्मित और भी बहुत सारे महायोग , शाही - बादशाही योगों को सेवन करने वाले मर्द अच्छी तरह जानते है । कि आयुर्वेद दवाएं कितनी कारगर है और रामबाण है ।

 मेरे पास अच्छे पैसे वाले शौकीन लोग बहुत महंगे राजा-महाराजाओं वाले नुस्खे तैयार करवाकर सेवन करते है। आपने सुना होगा बुजुर्ग लोगों से कि राजा-महाराजाओं के दर्जुनों , सैकडों औरतों से संबंध होते थे, इस बात सच है। उनके पास पर्सनली वैद्य हुआ करते थे जो उनको बादशाही योग बनाकर खिलाते थे। उनकी भरपूर ताकत का राज शाही-बादशाही  नुस्खे ही था । यह जौशीली ताकत महायोग भी उनमें से एक है । तभी तो राजा लोग कई औरतों से संबंध बनाते थे,कई कई बार संभोग करने पर भी बिल्कुल भी थकते नही थे। ऐसा आदमी जिस औरत की तृप्ति कर देता है वो दुबारा किसी मर्द के बारे सोचती भी नही। 

मैं एक बहुत पुरानी किताब पढ़ रहा था जिसमें लिखा था कि जंगल में एक संत थे वह आयुर्वेद दवा भी बनाते थे तो उनके पास एक बुजुर्ग आए  , उन्होंने अपनी बुढ़ापे की कमजोरी की समस्या बताई तो संत महाराज नया नुस्खा बनाकर फ्री हुए थे तो उन्होंने कुछ दवा पुड़िया में डालकर दे दी , मक्खन से रोज थोड़ी मात्रा में खाने की सलाह दी। बुजुर्ग ने घर जाकर दवा पुड़िया में देखी , मात्रा थोड़ा समझकर एकसाथ ज्यादा मात्रा में खानी शुरू कर दी। कुछ ही दिन में उस बुजुर्ग की काम उत्तेजना इतनी बढ़ गई कि उस बुजुर्ग को दुबारा शादी करनी पड़ी। 

एक बार राजा का आयुर्वेदिक नुस्खे द्वारा बना हुआ पान उसके नौकर ने खा लिया ,घर जाकर उसने अपनी पत्नी से ऐसा संभोग रचाया कि वह उसकी बीवी को उनकी ताकत को संभालना बहुत मुश्किल हो गया। दोस्तों यह है आयुर्वेद की ताकत। 

लेख बहुत लंबा हो चुका है । शाही - बादशाही नुस्खे गरीब आदमी की पहुंच से बाहर है , अमीर लोगों को शाही नुस्खे राजा-महाराजाओं के नुस्खे लेना कोई मुश्किल नहीं है।  पुरानी कहावत अनुसार  “जितना गुड़ डालोगे उतना मीठा होगा " फिर भी गरीब आदमी को जैसे तैसे करके कुछ दिन ऐसे नुस्खों का इस्तेमाल कर ही लेना चाहिए। 

जो सस्ते नुस्खे या घरेलू नुस्खों की खोज में है वो मेरे YouTube channel , Facebook पर सैकड़ों नुस्खे देख सकते हैं। अपनी सुविधानुसार बना सकते हैं। 

आपका अपना 
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Saturday, February 10, 2024

महा बल शाली महायोग

★महा बल शाली महायोग ★ 
( 30 पुड़िया वाला कोर्स )

यह दवा मर्दाना कमजोरी, पट्ठों की कमजोरी, weak immunity Power , body Builder, Zym lovers के लिए बेहतर कार्य करती है।‌

★महा बल शाली महायोग ★ 
( 30 पुड़िया वाला कोर्स )

अभ्रक भस्म 1000पुट्टी 5ग्राम , 
मल्ल सिंदूर 2.5 ग्राम , 
मोती पिष्टी 5 ग्राम , 
रौप्य भस्म 5 ग्राम
सिद्ध मकरध्वज 5ग्राम ,
स्वर्ण भस्म आधा ग्राम ( 500mg ) ,
हीरक ( वज्र ) भस्म आधा ग्राम ( 500mg ) 
महा बल वर्धक योग -10ग्राम 
गिलोय का सत् 10ग्राम 

यह योग किसी अच्छे चिकित्सक द्वारा ही तैयार किया जा सकता है,इसमें कूपीपक्व रसायन है , जो कि बहुत सावधानी से तैयार किए जाते है‌। फिर इस्तेमाल किए जाते हैं।

 अतः साधारण जन इसको बनाने की कोशिश न करें। 

सबसे पहले मल्ल सिंदूर और सिद्ध मकरध्वज को इतना खरल करें कि यह चमक रहित हो जाएं, फिर बाकी की दवाएं मिलाकर 30 पुड़िया बना लें।

 सुबह शाम एक एक पुड़िया शहद ,  मलाई या शहद + अदरक रस के साथ लें।
उपर से दूध पी लें।‌

तीन दिन में इतनी ताकत पैदा होगी कि संभालना मुश्किल हो जाएगा। इसमें दूध घी जरुर इस्तेमाल करें। शादीशुदा जोड़े अगर दोनों इसका इस्तेमाल करें तो एक भी रात संभोग किए बगैर नहीं गुज़रेगी। संभोग में दोनों का आनंद बहुत गहरा होगा। दमे का मरीज इस दवा को खाएगा तो जो थोड़ा सा चलने से ही असमर्थ था , ओलंपिक में जाने के सपने देखेगा। जिनकी immunity Power बहुत कमजोर है। उनके लिए बहुत कारगर है। Zym में जो ज्यादा समय बिताना चाहते हैं या body builder बनना चाहते हैं , वह इस नुस्खे का जरुर इस्तेमाल करें। 

इसमें स्वर्ण भस्म और हीरा भस्म अतिअंत महंगे हैं, जो समर्था रखते हैं वो इसका जरूर इस्तेमाल करें।‌

Price 15000₹ #महा_बल_शाली_महायोग

आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद, 144205, पंजाब
Call & WhatsApp 099151-36138

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Thursday, February 8, 2024

immunity Power

आयुर्वेद से Immunity Power कैसे बढ़ाएं? 

हर साल कोई न कोई वायरस , फ्लू देश - विदेश मैं फैलता है ।  कोई भी वायरस तब तक आदमी को नुक्सान नहीं पहुंचा सकता जबतक immunity power बिल्कुल ठीक हो । यह दवाएं शरीर को बिमारियों से लड़ने की ताकत बहुत बढ़ा देती है । 

अगर कोई फ्लू हो भी जाए तब भी आयुर्वेद उसे ठीक करने में सक्षम है। यह बात पूरा विश्व जान चुका है। आयुर्वेद को अब हर कोई अपना रहा है। 

आप उपरोक्त नुस्खे सेवन‌ करने से पहले योग्य चिकित्सक की देख-रेख और सलाह अवश्य लें। अच्छी कंपनी की दवा ही प्रयोग करें।  

1.च्यवनप्राश एक चम्मच साथ में गिलोय घनवटी दो-दो गोली दिन में एक बार ताजा जल से लें । 
~कफ/बुखार/immunity power

2.आमलकी रसायन 100 ग्राम , 
गिलोय का चूर्ण -50ग्राम , 
मुलेठी -25 ग्राम , 
दालचीनी -25 ग्राम 
मिश्री -200ग्राम 

सबको मिलाकर रख लें । 
2-2 ग्राम ताजे जल से सुबह शाम सेवन करें। 
~गर्मी/बुखार/कफ जमा होना/immunity Power 

3. तुलसी के पत्तों का रस एक चम्मच ,
अदरक का रस एक चम्मच 
शहद एक चम्मच दिन में एक बार ले सकते है। 
~कफ/बुखार/खांसी/ठंड/immunity Power 

4. महासुदर्शन घनवटी दो गोली 
त्रिभुवन कीर्ति रस आधी गोली गुनगुने पानी से लें। 
~कफ/बुखार/immunity Power 

5. गिलोय घन वटी दो गोली ,
संजीवनी वटी एक गोली ताजा जल के साथ लें ।  
~कफ/बुखार/उल्टी/बदहजमी/immunity Power 

6.महालक्ष्मी विलास रस 1 गोली,
 महामृत्युंजय रस 1 गोली ,
सितोपलादि चूर्ण 2ग्राम + अश्वगंधा चूर्ण 1ग्राम मिलाकर दूध के साथ लें। ज्यादा कमजोरी की हालत में इस दवा का प्रयोग कर सकते है। 
~कफ/दमा/कमजोरी/बुखार/immunity Power 

उपरोक्त सभी 6  नुस्खों में से जो लक्षण रोगी में मिलें, सिर्फ वहीं एक नुस्खा इस्तेमाल करें। 

सदैव आपका अपना
वैद्य अमन चीमा,
Aman Ayurved 
144205, पंजाब
Whatsapp & Call  9915136138

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Sunday, February 4, 2024

Varicose Veins

Vericose veins - जांघों और पिडलियों पर उबरी हुई लाल/नीली नसें 

इसमें रोगी के जांघों और पिडलियों की नशें में उबार आ जाता है । जो कि अधिक दबाव पढ़ने के कारण नसों के वाल्व खराब हो जाते है । जिसकी वजह से यह समस्या उत्पन्न होती है । पैरों में सूजन, खून का जमना, त्वचा का रंग बदलना जैसी गंभीर समस्याएं देखने को मिलती हैं। इसके साथ ही त्वचा का सूखना, खुजली होना और त्वचा का फटना जैसी परेशानियाँ भी हो सकती हैं। रोग पुरूषों के मुकाबले महिलायों को ज्यादा होता है ।

अमेरिका में 50 की उम्र के बाद 50% लोगों को यह समस्या है । जब वाल्व्स (valves) ठीक से कार्य नहीं करते तो रक्त धमनियों में ही रहता है, जिसकी वजह से इसमें सूजन आ जाती है और वेरिकोज़ नसों की समस्या उत्पन्न हो जाती है। त्वचा की सतह पर दिखने वाली छोटी नसों को स्पाइडर नसें (spider veins) कहा जाता है।

उम्र का कारक भी वेरिकोज़ नसों की बढ़त में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उम्र के साथ नसें अपनी लचक खोती रहती हैं। इन नसों के वाल्व्स कमज़ोर हो जाते हैं और दिल में रक्त जाने में समस्या उत्पन्न हो जाती है। ये धमनियां नीली इसलिए दिखती हैं, क्योंकि इनमें ऑक्सीजन (oxygen) से रहित खून होता है जो फेफड़ों से सारे शरीर में जाने की प्रक्रिया में होता है।

जवानी के फूटने, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति (menopause) की अवस्था में महिलाओं के शरीर में हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, जिसकी वजह से वेरिकोज़ नसें दिखने लगती हैं। कई बार हार्मोनल पूरक उत्पाद और गर्भनिरोधक गोलियों की वजह से भी ये धमनियां वेरिकोज़ नसों में बदल जाती हैं। डाँ तो इसके लिए आप्रेशन या लेजर चिकित्सा बोल देते है , आपको घबराने की कोई जरूरत नही , बताई हुई दवा से आप बि ठीक हो जाएगें, अगर दवा नही बना सकते तो हमसे बनी बनाई भी मंगवा सकते है । 

इस रोग में निम्नाणुसार कारण शामिल है:- 
ख़राब दिनचर्या,
व्यायाम न करना ,
अच्छे खानपान की कमी ,
घंटो तक बैठे रहना, 
शारीरिक गतिविधि की कमी, 
अधिक जंक फ़ूड खाना, 
गर्भावस्था, 
लम्बे समय तक कब्ज,
विटामिन-सी की कमी,
ग्रदों का रोग
लिवर खराब रहना,
Tumour,
गठिया,ह्रदय रोग
भारी वजन उठाने या कठिन अभ्यास करने से भी ये समस्या हो सकती है। 

★मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा ★
अरोग्यावर्धनी वटी 6 gm gm
पुनर्नवादि मंडूर 6gm
कचनार गुगल 12 gm ,
शिलाजीत 5gm , 
स्वर्ण समीर पन्नग रस 2ग्राम , 
शिला सिंदूर -2ग्राम 
वृहत वात चिंतामणि रस 6ग्राम 

सबको कसकर घुटाई करके एकजान करलें, फिर 60पुड़िया बना लें । 

सुबह-शाम 1-1पुड़िया शहद से चाटकर , ऊपर से महारास्नादि काढा+ कचनार कषाय 2-2चम्मच गर्म पानी में मिलाकर पीएं । या गर्म पानी से लें। 

महानारायण तैल की मालिश करें । फिर सिकाई करें । आशातीत लाभ होगा । चलता हुँ ......

दवा घर पर मंगवाने हेतु संपर्क करे। 

लेखक
सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
वैद्य अमन चीमा,
अमन आयुर्वेद, 144205,पंजाब
Call & WhatsApp 9915136168

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Thursday, February 1, 2024

Vrihit Vat Chintamani Ras Gold

वात चिंतामणि रस ( स्वर्ण भस्म युक्त ) 

छोटी सी गोली , काम बहुत बड़े

आओ जान लो 

वात कुपित होने से शरीर में कई प्रकार के रोग और कष्ट पैदा होते हैं। वात कुपित होने के कई कारण होते हैं। कुछ कारण आगंतुक होते हैं और कुछ कारण निजी होते हैं।

आयुर्वेद शास्त्र ने वात प्रकोप का शमन करने वाले एक से बढ़कर एक उत्तम योग प्रस्तुत किए हैं। उन्हीं योगों में से एक उत्तम योग है वृहत् वात चिंतामणि रस

घटक द्रव्य :
स्वर्ण भस्म 1 ग्राम, 
चाँदी भस्म 2 ग्राम, 
अभ्रक भस्म 2 ग्राम, 
मोती भस्म 3 ग्राम, 
प्रवाल भस्म 3 ग्राम, 
लोह भस्म 5 ग्राम, 
रस सिंदूर 7 ग्राम।

निर्माण विधि :
पहले रस सिंदूर को खूब अच्छी तरह महीन पीस लें, फिर सभी द्रव्य मिलाकर ग्वारपाठे के रस में घुटाई करके, 
1-1 रत्ती की गोलियाँ बनाकर, सुखा लें और शीशी में भर लें।

एक रत्ती = 125mg 

मात्रा और सेवन विधि :
 1-1 गोली दिन में 3 या 4 बार । 
आवश्यकता के अनुसार शहद, मलाई, मुरब्बा,दूध, जूस । 

आपके रोग संबंधी दूसरी सहायक दवा के साथ भी वृहत वात चिंतामणि रस ले सकते हैं।‌ 

लाभ :
यह योग वातप्रकोप का शमन कर वातजन्य कष्टों और व्याधियों को दूर करने के अलावा और भी लाभ करता है।

 यह पित्त प्रधान वात विकार की उत्तम औषधि है, जो तत्काल असर दिखाती है।

★यह योग नए और पुराने, दोनों प्रकार के रोगों पर विशेष रूप से बराबर लाभ करता है। 
वात प्रकोप को शांत करने के अलावा यह शरीर में चुस्ती-फुर्ती और शक्ति पैदा करता है। वात रोगों को नष्ट करने की क्षमता होने के कारण आयुर्वेद ने इस योग की बहुत प्रशंसा की है।

★नींद न आना, 
हिस्टीरिया और 
मस्तिष्क की ज्ञानवाहिनी नाड़ियों के दोष से उत्पन्न होने वाली बीमारी में इसके सेवन से बड़ा लाभ होता है।

 जब वात प्रकोप के कारण हृदय में घबराहट, बचैनी, मस्तिष्क में गर्मी और मुंह में छाले हों, तब पित्तवर्द्धक ताम्र भस्म, मल्ल या कुचला प्रदान औषधि के सेवन से लाभ नहीं होता। ऐसी स्थिति में इस योग के सेवन से लाभ होता है।

★प्रसव के बाद आई कमजोरी को दूर करने और सूतिका रोग नष्ट करने में यह योग शीघ्र लाभ करता है। वृद्धावस्था में वात प्रकोप होने और शरीर के कमजोर होने पर इस योग के सेवन से स्त्री-पुरुषों को जादू की तरह लाभ होता है और शक्ति प्राप्त होती है।

★वात जन्य व्याधियों के अलावा यह योग अन्य व्याधियों को भी दूर करता है। हृदय रोग में अर्जुन छाल का चूर्ण एक चम्मच और इस योग का सेवन करने से उत्तम लाभ होता है। कठिन वात रोग जैसे पक्षाघात (लकवा), अर्दित, धनुर्वात, आदि में भी इस योग का सेवन, रसोन सिद्ध घृत के साथ करने से विशेष लाभ होता है।

★रक्त की कमी (एनीमिया) होने तथा वात नाड़ी संस्थान में कमजोरी होने पर बार-बार चक्कर आना, मानसिक स्थिति बिगड़ना, स्मरणशक्ति कमजोर होना, प्रलाप करना, भूल जाने की आदत पड़ना आदि लक्षणों के पैदा होने पर इस योग का सेवन करने से थोड़े ही दिनों में लाभ हो जाता है।

★ शराब पीने के आदी लोगों के जीर्णवात रोग और जीर्ण पक्षाघात (पुराना लकवा) की स्थिति में अन्य औषधियों की अपेक्षा यह गोली और योगेन्द्र रस ( गोली )  विशेष लाभप्रद सिद्ध होते हैं।

वृहत वात चिंतामणि रस योग में चांदी की भस्म होने से यह योग वृक्क स्थान और मस्तिष्क पर विशेष रूप से शामक कार्य करता है, क्योंकि योगेन्द्र रस रक्त को शुद्ध करने तथा हृदय को बल देने की कार्रवाई करने का विशेष गुण रखता है।

★ मानसिक श्रम के बल पर आजीविका अर्जित करने वाले स्त्री-पुरुषों के लिए यह योग अमृत के समान है, क्योंकि इससे याददाश्त अच्छी हो जाती है। इस योग का सेवन 2 चम्मच सारस्वतारिष्ट के साथ लाभ न होने तक सुबह-शाम करना चाहिए।

इस प्रकार, इतने विवरण से यह सिद्ध हो जाता है कि वृहत् वात चिंतामणि रस एक उत्तम और शरीर को कई प्रकार से शक्ति देने वाला और वात प्रकोप को शांत कर समस्त वातजन्य विकारों को नष्ट कर शरीर और स्वास्थ्य की रक्षा व वृद्धि करने वाला श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग है। यह योग इसी नाम से बना-बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता की दुकान पर मिलता है। 

नोट:- उपरोक्त बताएं गए लाभ के लिए आप वैद्य द्वारा तैयार वृहत वात चिंतामणि रस ही इस्तेमाल करें। 
कोई भी आयुर्वेद दवा लेने से पहले आयुर्वेद चिकित्सक की सलाह जरूरी है। हमने यहां आपकी जानकारी के लिए लेख ( article ) लिखा है। 

मिलते हैं ऐसे ही किसी अगले लेख में...... 

आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमन चीमा,
अमन आयुर्वेद,144205,PB. 
Call & WhatsApp 09915136138 

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Monday, January 29, 2024

Premature ejaculation

शीघ्रपतन, Premature Ejaculation 

मेरा अनूभूत , एक अनुपम अतिउत्तम श्रेठ योग 

जो कि बंधेज में बहुत लाभकारी है । जो लाभकारी है कई रोगों में । पूरी जानकारी के लिए आप पूरी पोस्ट को पढ़े । 

आयुर्वेद के आठ प्रधान अंगों मे से एक अतिउत्तम अंग बाजीकरण को माना जाता है । आचार्य चरक जी ने कहा है कि बाजीकरण के अधीन ही धर्म ,अर्थ ,काम, यश तथा श्रेष्ठ पुत्र की प्राप्ति होती है । बाजीकरण से बल एवं कांति प्राप्त होती है । आयुर्वेद में अनेक बाजीकरण योग बताएं गए है उनमें से एक है - यह Time Plus Yog With Gold 

इसमें स्वर्ण भस्म, मोती , रजत आदि जैसे बहुमूल्य रस रसायन होते हैं जिसके कारण यह महंगा तो बनता ही है। इसी कारण इसका असर ज्यादा , लंबे समय तक रहता है। 

इसे आप स्वयं निम्नलिखित विधि से तैयार कर लाभ प्राप्त कर सकते है । 

आओ जानते हैं कैसे तैयार होता है #Time_plus_yog_with_gold के बारे में 

सामग्री -
( 1 ) रस रसायन 

रस सिन्दूर षडगुण 5 ग्राम ,
अभ्रक भस्म सहस्त्र - 6 ग्राम ,
लौह भस्म सतपुट बाजीकरण 6 ग्राम ,
बंग भस्म 5 ग्राम
मकरध्वज सिद्ध 5 ग्राम
रजत और मोती भस्म 2-2ग्राम 
स्वर्ण भस्म 600 मिलीग्राम 

( 2 ) जड़ी-बूटियां

सैंधव लवण ,
जटामासी ,
आँवला,
छोटीइलाची,
सौंठ ,
पीपल,
मिर्च,
तेजपत्र ,
लौंग,
जायफल ,
जावित्री,
श्वेत जीरा,
काला जीरा,
मुलठी ,
वचा,
कुठ,
भारंगी,
शुद्घ टंकण ,
नागकेशर,
मुन्नका,
धनिया,
विदारी कंद,
शतावरी प्रत्येक 10 ग्राम ।
कौंच ,
गौखरू बीज,
भांग बीज 10-10 ग्राम 

विधि:- प्रथम भस्मों ( रस रसायन )को मिलाकर उनको शतावरी क्वाथ के रस में घोटकर सुखा दीजिए । फिर समस्त चूर्ण में दूध डालकर पाक कीजिए। फिर कौंच और गोखरू चूर्ण डालकर गाढ़ा कीजिएं । फिर नागकेशर तेजपत्र आदि शेष बचे को  डालकर अंत में घी और मधु डालें । या मिश्री डाल लें। यथा आवश्यक 100 ग्राम । 

ठंडा होने पर 2-2 ग्राम के लड्डू बना लें । या पाउडर ही रखें। हम पाउडर ही रखते हैं। खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है। 

लेने की विधि :- एक लड्डू या एक चम्मच रोज रात्रि गोघृत और गोदुग्ध से लें । इस योग को दो माह से तीन माह तक लेने से शरीर में बल शक्ति एवं कामशक्ति में वृद्धि होती है ।यह एक श्रेष्ठ बाजीकर योग है ।

इसका एक महीने का खर्च 7999/- रु है। 
दो माह का 15499/-रु है। 

5 किलो हमने तैयार किया है। जिसे जरुरत हो Google pay phonepe 9915136138 करके अपने पते पर मंगवा सकते हैं। 

 सदैव आपका अपना शुभचिंतक 
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद,144205,, पंजाब
Call & WhatsApp 09915136138

कोई सवाल है तो comment करें। 

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Tuesday, January 23, 2024

अतुल बल वर्धक महायोग

★अतुल बल वर्धक महायोग★

यह योग सिर्फ वैद्य भाईयों को समर्पित है। 

जो वैद्य आयुर्वेद का प्रसिद्ध योग अतुल शक्ति दाता योग बनाने में असमर्थ हैं। उनके लिए मेरी तरफ से बेशकीमती तोहफा है। इसे इस्तेमाल करें। जब तक जिंदगी भर practice करेंगे, मुझे याद करेंगे। 

कंपनी कोई भी हो , इतनी मेहनत न तो करती है , न ही ग्रंथ अनुसार, रिजल्ट ही देती है , कंपनी का लोहा भस्म ही होता है बस। जो वैद्य खुद मेहनत करने में सक्षम है , वो तो अतुल शक्ति दाता बनाते ही है , हम 2003 से बनाते आ रहे हैं। लाभ भी हु-ब-हु ग्रंथ अनुसार ही आता है। लेकिन कंपनी 2-4 पुट लौह भस्म को संखिया के लगाकर पैक कर देती है।

 वैद्यों और खरीदने वालों की आंखों में मिट्टी नहीं लाल मिर्च डालने जैसा ही है कंपनियों की तरफ से।  रिजल्ट के इंतजार में अकुशल वैद्य और बेचारे मरीज दोनों परेशान हो जाते हैं। 

अतुल शक्ति दाता के झंझट का हल मैंने इस नुस्खे को निकाल कर किया। यह महंगा तो बेशक है, लेकिन रिजल्ट ग्रंथ अनुसार बताये अतुल शक्ति दाता से भी बढ़कर मिलते हैं । आज आपके सामने दिल का छुपा हुआ राज बताया है। 

तो आपकी परेशानी का हल इस “अतुल बल वर्धक महायोग” में है। 

घटक:-
 15 ग्राम लौह भस्म 1000पुट्टी, 
 जौहर संखिया -1.5 ग्राम,
 कत्था - 10ग्राम 
केसर कश्मीरी -2 ग्राम, 
स्वर्ण भस्म - 1ग्राम,
मोती पिष्टी -2 ग्राम 
 शिलाजीत सूर्यतापी 15ग्राम

बनाने का विधि:-  सभी को गुलाब के फूलों के रस में तीन दिन खूब खरल करें। गोली बनाने योग होने पर आप गोली बना लें। 

लाभ:- liver weakness, खून की कमी , बल , जोश की कमी , श्वास चढ़ना, पट्ठे कमजोर होना यह दवा बहुत लाभदायक है। साधारण कमजोरी, मर्दाना कमजोरी में यह दवा अतिअंत लाभकारी है। जिम वाले लड़के, खिलाड़ी इस दवा का आर्डर एक महीना पहले ही दें देते हैं। 

नोट:- साधारण लोग इसे खुद न बनाकर अपने वैद्य की सलाह अनुसार ही उनसे बनवाकर इस्तेमाल करें। वैद्य की सलाह अतिजरुरी समझें। एक कुशल वैद्य ही आपकी तासीर, शरीर के दोष आदि देखकर ऐसी दवा का इस्तेमाल करवा सकता है। 

सेवन विधि:- सुबह- शाम एक गोली दूध से। 
घी, मक्खन, मलाई, दूध को देखकर ही नाक चढ़ाने वाले इस दवा से दो किलोमीटर दूर रहें और इस दवा का सेवन करने के लिए अगले जन्म में भी न सोचें। 
।यह दवा खुराक मांगती है।

विशेष बात नुस्खे के बारे में:- 
 पहली गोली ही शरीर में करंट पैदा कर देती है। 
यह दवा की मांग अब तक वो लोग करते हैं। जो दस साल पहले मेरे से यह नुस्खा लेकर इस्तेमाल कर चुके हैं। हर बार नया ही मरीज मेरे पास इस नुस्खे की तारीफ करके भेजते हैं। हर वर्ष 15-20 दिन इस दवा का इस्तेमाल कर लेते हैं। पूरा वर्ष कमजोरी पास में न खटकती। तोते को मोर्चे के लिए हर दम तैयार बर तैयार रखती है। इससे ज्यादा इसकी तारीफ नहीं करुंगा ।

बस यह कहूंगा हर शादीशुदा को इसका इस्तेमाल 15-20 दिन करना ही चाहिए, चाहे शौक ही खा लें। जीवन साथी को भी 10 दिन खिला दिया करें, जो आपकी ताकत से तंग है तो वह भी आपकी रातों की खुशी में आपका जरुरत से ज्यादा साथ देने लगी जाएगी। 

यह दवा #अतुल_बल_वर्धक_महायोग मैं गोली/कैप्सूल/पाउडर में तैयार रखता हूं। जिसको जरूरत हो मुझे call या WhatsApp पर अपनी समस्या या जरुरत अनुसार सलाह करके कोरियर द्वारा देश विदेश में मंगवा सकते हैं। जितनी जल्दी हो सके अपना आर्डर कर दें। बाद में दवा तैयार होने तक इंतजार भी करना पड़ सकता है। 

सदैव आपका अपना शुभचिंतक 🙏
✍️ वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
🏥 अमन आयुर्वेद, 144205,  पंजाब
📦📞 Call & WhatsApp 
+91-99151-36138 

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मालकंगनी रसासन स्वर्ण युक्त

★ताकत जौश जवानी पैदा करने वाला ★

“मालकंगणी रसायन” स्वर्ण युक्त 
गोली , कैप्सूल और Drops 

“कायाकल्प का एक छुपा हुआ राज” जो आज बताने जा रहा हुँ.....
           जो जड़ से बाल काले करें, दुबारा जवान बना दें। 

कौन कहता है जवानी वापिस नही आती । आती है बस ,जो इस रसायन #मालकंगनी_रसायन_स्वर्ण_युक्त को विधी पूर्वक बना लें। इस रसायन के सेवन से आएं हुए प्रभाव आप खुद तो महसूस करेंगें ही , लोग भी आपसे पूछेंगे कि  आपने ऐसा क्या खाया है?

यह जो नुस्खा लिख रहा हुं , इसे बनाना मुश्किल नही , बस थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, कोई भस्म बनाने का झंझट नही । दवा तैयार करके रख लेनी है । बस निकाल कर डिब्बे में से सेवन कर लेनी है। थोड़ी मेहनत खाना बनाने & आटा गूथने की भी तो लगती है। लेकिन जवान होने के लिए कोई महाआलसी ही होगा ,जो यह नुस्खा न बनाना चाहे। यह जो नुस्खा है यह मेरे दिल का छुपा हुआ राज है। जोकि मैं यहां आप से सांझा किए बगैर नही रहूंगा। मैंने अपने फेसबुक के सफर में आज तक सैकड़ों नुस्खे जो मैंने सैकडों रोगियों पर आजमाएं ,100% सफल नुस्खे दिल खोलकर आपको बताएं, लेकिन यह नुस्खा मेरे दिल में छुपा का छुपा ही रह जाता , कारण : जब तक भगवान की इच्छा न हो ,जुबान,कलम,हाथ सब रुक जाते हैं। दोस्तों मैं औरों की तरह अपने दिल के राज साथ में लेकर नही मरना चाहता। आज तक जितने नुस्खे मैंने पोस्ट किए, बहुत लोगों ने इस्तेमाल किए, कई  लोगों ने बनाकर साथी रोगियों को यह मालकांगनी रसायन स्वर्ण युक्त मेरे द्वारा मंगवाकर लाभान्वित भी किया ।

आज मैं बुद्धि/जवानी/ दुबारा काले बाल करने वाला नुस्खा भी आपके सामने शेयर कर रहा हूं। कृप्या अपनी डायरी में नोट कर लेना। आप की पीड़ियों तक काम आने वाला राज बता रहा हुँ। 

मालकंगनी रसायन बनाने की विधि:- 
मालकंगनी के मगज , मगज यानि बीज । छिलका उतार कर साफ कर लें। या हाथ से मसल कर छिलका उतार लें। फिर किसी खुले मुंह वाली शीशी में डाल लेवें । उसके बाद आप भृंगराज के स्वरस में पूरा डूबो दें। शाम को रस डालें। सुबह फेंक दें । अगले दिन फिर भृंगराज का ताजा रस निकालें और पूरे बीज रस में डूबो दें। अगले दिन पुराना रस निकाल फेंक दें। तीसरे दिन फिर वही विधी अपनाएं। ऐसे तीन बार रस डालने के बाद मगज मालकंगनी निकाल कर धूप में सुखाकर कांच की शीशी में डाल लें।

नोट:- मालकांगनी का “पाताल यंत्र विधि”  ( यह “पाताल यंत्र विधि”आयुर्वेदिक पद्धति में तैल बीजों से तैल निकालने की खास विधि है)  से तैल भी निकाला जा सकता है। मैं‌ तैल भी इस्तेमाल करता हुं।‌ कंपनी का इस्तेमाल न करें , उसमें मिलावट होती है। वो सिर्फ लगाने के लिए ही इस्तेमाल हो सकता है , तिला और जोड़ दर्दों, पट्ठों के लिए 

तैल वाला नुस्खा :- तैल 10ml , बादाम रोगन 85ml , स्वर्ण भस्म या वर्क 2ग्राम , केसर 3ग्राम 

इस्तेमाल करने का तरीका :- सुबह दिनचर्या ( दंत मंजन, पेट सफाई ,नहाधोकर ) सुबह खाली , रात को सोते समय 10-10 बूंद चाटकर दूध पी सकते है। 

गोली का नुस्खा:- मालकांगनी रसायन 45ग्राम , शिलाजीत सूर्यतापी 5ग्राम , केसर 5 ग्राम, मोती पिष्टी 3ग्राम , स्वर्ण भस्म 1ग्राम, हीरा भस्म 1ग्राम , गोलियां या कैप्शूल भर कर रख लें। 

सुबह शाम दूध से इस्तेमाल करें। 

सावधानी/अपथ्य:- दूध घी का अधिक प्रयोग करें।

दवा शुरू करने से पहले कोई हल्का जुलाब लेकर पेट की शुद्धि कर लेना अति जरुरी है। जुलाब में एरण्ड तैल जो कि कैस्टर ऑयल के नाम से आसानी से मिल जाता है। या डाबर/वैद्यनाथ/व्यास कंपनी का इच्छा भेदी रस , पंचसकार चूर्ण, त्रिफला चूर्ण, स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण आदि ले सकते है। सेवन विधि लेवल के ऊपर लिखी रहती है।

 इसके प्रयोग काल में तेज मिर्च,चाय ,काफी ,शराब, तंबाकू आदि किसी भी प्रकार का नशा वर्जित है। 
 
पथ्य :- जो लोग मांसाहारी है वह तीतर,बटेरे,देशी मुर्गा खा सकते है।  बेसन,गेहुं की रोटी ,मूंग ,चने/मोठ की दाल का सेवन करें।  शाकाहारी लोग जलेबी,घी का हल्वा खा सकते है। घी देशी का सेवन ज्यादा से ज्यादा करें। 

लाभ :-इसके सेवन के 2 माह सेवन करने से सफेद बाल दुबारा काले होना शुरू हो जाते है, शरीर में ताकत /बल वीर्य अधिक बढ़ जाता है।  स्मरण शक्ति बहुत बढ़ने लग जाती है। किताबें याद होने लग जाती है। पुरानी भूली बातें याद आ जाती है। चेहरे पर तेज बहुत आ जाता है। आँखों में चमक नूर बढ़ जाता है। रंग लाल सुर्ख हो जाता है। विद्यार्थी अव्ल आने लगते है। 

नोट :- इस वर्ष में मैंने इसका तैल यानि liquid तैयार करके देना शुरू किया है , इसे आप शहद और दूध से आसानी से ले सकते है । 

कीमत भी कोई ज्यादा नही है। एक महीने का खर्च सिर्फ 8000 रु है। कम से कम दो महीने जरूर खाएं। गोली कैप्सूल या drops आप कोई भी मंगवा सकते हैं। तीनों में से कोई एक ही इस्तेमाल करनी है। 

कामशक्ति बढ़ाने, स्टेमिना , ताकत , बल , वीर्य वृद्धि के लिए रोगियों को बहुत ही अच्छे लाभ मिल रहे है।आपको एक बार जरूर इस्तेमाल करना चाहिए । 

यह नुस्खा 2014 को पहली बार फेसबुक पर मैंने पोस्ट किया था। 

लेखक
 वैद्य अमन चीमा, 
अमन आयुर्वेद, 144205, पंजाब
Whatsapp & Call  9915136138 

जै आयुर्वेद जै धन्वंतरि

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Thursday, January 18, 2024

अतुल बल वर्धक महायोग

★अतुल बल वर्धक महायोग★

यह योग सिर्फ वैद्य भाईयों को समर्पित है। 

जो वैद्य आयुर्वेद का प्रसिद्ध योग अतुल शक्ति दाता योग बनाने में असमर्थ हैं। उनके लिए मेरी तरफ से बेशकीमती तोहफा है। इसे इस्तेमाल करें। जब तक जिंदगी भर practice करेंगे, मुझे याद करेंगे। 

कंपनी कोई भी हो , इतनी मेहनत न तो करती है , न ही ग्रंथ अनुसार, रिजल्ट ही देती है , कंपनी का लोहा भस्म ही होता है बस। जो वैद्य खुद मेहनत करने में सक्षम है , वो तो अतुल शक्ति दाता बनाते ही है , हम 2003 से बनाते आ रहे हैं। लाभ भी हु-ब-हु ग्रंथ अनुसार ही आता है। लेकिन कंपनी 2-4 पुट लौह भस्म को संखिया के लगाकर पैक कर देती है।

 वैद्यों और खरीदने वालों की आंखों में मिट्टी नहीं लाल मिर्च डालने जैसा ही है कंपनियों की तरफ से।  रिजल्ट के इंतजार में अकुशल वैद्य और बेचारे मरीज दोनों परेशान हो जाते हैं। 

अतुल शक्ति दाता के झंझट का हल मैंने इस नुस्खे को निकाल कर किया। यह महंगा तो बेशक है, लेकिन रिजल्ट ग्रंथ अनुसार बताये अतुल शक्ति दाता से भी बढ़कर मिलते हैं । आज आपके सामने दिल का छुपा हुआ राज बताया है। 

तो आपकी परेशानी का हल इस “अतुल बल वर्धक महायोग” में है। 

घटक:-
 15 ग्राम लौह भस्म 1000पुट्टी, 
 जौहर संखिया -1.5 ग्राम,
 कत्था - 10ग्राम 
केसर कश्मीरी -2 ग्राम, 
स्वर्ण भस्म - 1ग्राम,
मोती पिष्टी -2 ग्राम 
 शिलाजीत सूर्यतापी 15ग्राम

बनाने का विधि:-  सभी को गुलाब के फूलों के रस में तीन दिन खूब खरल करें। गोली बनाने योग होने पर आप गोली बना लें। 

लाभ:- liver weakness, खून की कमी , बल , जोश की कमी , श्वास चढ़ना, पट्ठे कमजोर होना यह दवा बहुत लाभदायक है। साधारण कमजोरी, मर्दाना कमजोरी में यह दवा अतिअंत लाभकारी है। जिम वाले लड़के, खिलाड़ी इस दवा का आर्डर एक महीना पहले ही दें देते हैं। 

नोट:- साधारण लोग इसे खुद न बनाकर अपने वैद्य की सलाह अनुसार ही उनसे बनवाकर इस्तेमाल करें। वैद्य की सलाह अतिजरुरी समझें। एक कुशल वैद्य ही आपकी तासीर, शरीर के दोष आदि देखकर ऐसी दवा का इस्तेमाल करवा सकता है। 

सेवन विधि:- सुबह- शाम एक गोली दूध से। 
घी, मक्खन, मलाई, दूध को देखकर ही नाक चढ़ाने वाले इस दवा से दो किलोमीटर दूर रहें और इस दवा का सेवन करने के लिए अगले जन्म में भी न सोचें। 
।यह दवा खुराक मांगती है।

विशेष बात नुस्खे के बारे में:- 
 पहली गोली ही शरीर में करंट पैदा कर देती है। 
यह दवा की मांग अब तक वो लोग करते हैं। जो दस साल पहले मेरे से यह नुस्खा लेकर इस्तेमाल कर चुके हैं। हर बार नया ही मरीज मेरे पास इस नुस्खे की तारीफ करके भेजते हैं। हर वर्ष 15-20 दिन इस दवा का इस्तेमाल कर लेते हैं। पूरा वर्ष कमजोरी पास में न खटकती। तोते को मोर्चे के लिए हर दम तैयार बर तैयार रखती है। इससे ज्यादा इसकी तारीफ नहीं करुंगा ।

बस यह कहूंगा हर शादीशुदा को इसका इस्तेमाल 15-20 दिन करना ही चाहिए, चाहे शौक ही खा लें। जीवन साथी को भी 10 दिन खिला दिया करें, जो आपकी ताकत से तंग है तो वह भी आपकी रातों की खुशी में आपका जरुरत से ज्यादा साथ देने लगी जाएगी। 

यह दवा #अतुल_बल_वर्धक_महायोग मैं गोली/कैप्सूल/पाउडर में तैयार रखता हूं। जिसको जरूरत हो मुझे call या WhatsApp पर अपनी समस्या या जरुरत अनुसार सलाह करके कोरियर द्वारा देश विदेश में मंगवा सकते हैं। जितनी जल्दी हो सके अपना आर्डर कर दें। बाद में दवा तैयार होने तक इंतजार भी करना पड़ सकता है। 

सदैव आपका अपना शुभचिंतक 🙏
✍️ वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
🏥 अमन आयुर्वेद, 144205,  पंजाब
📦📞 Call & WhatsApp 
+91-99151-36138 

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