Thursday, April 18, 2024

Diabetes मधुमेह केसरी महायोग रसायन

“स्वर्ण भस्म -भाग -10 

“मधुमेह केसरी महायोग” 
“रसायन”

मधुमेह और मधुमेह के कारण कमजोरी, मर्दाना कमजोरी के लिए स्पैशल योग 

घटक:- 
स्वर्ण भस्म, मोती पिष्टी, चांदी भस्म, मकरध्वज
5-5 ग्राम ,
स्वर्ण बंग, लौह भस्म, अभ्रक भस्म ,त्रिबंग भस्म 
10-10ग्राम, 
स्वर्ण माक्षिक भस्म, शुद्ध शिलाजीत, शुद्ध कारसकर,त्रिकुटा
15-15 ग्राम,
गुड़मार बूटी extract,
विजयसार extract,
मामेजवा extract, 
निबोली
20-20ग्राम 

सब को खरल में डालकर 
गोखरु, दालचीनी, छोटी इलायची क्वाथ,घृतकुमारी के रस में 3-3 दिन ( कुल 12 दिन, रोज आठ घंटे , कुल 96 घंटे ) घोंटकर गोलियां बना, सुखा कर रख लेते हैं।  

गुण और उपयोग- यह रसायन प्रमेह, मधुमेह, मूत्रकृच्छ, अश्मरी और दाह आदि को नष्ट करता है।

 शुक्रस्राव को केवल 3 दिन में ही रोक देता है। इसके सेवन से मधुमेह में शर्करा की मात्रा कम होती है। इसके द्वारा अग्न्याशय की विकृतिजन्य पाचन-- क्रिया की न्यूनता से शारीरिक धातु-उपधातुओं की विकृति दूर हो जाती है और अग्न्याशय सबल होने पर शर्करा की अधिक उत्पत्ति नहीं होती है।

मधुमेह में होने वाले अधिक पेशाब, प्यास, मुँह सूखना, भूख अधिक न लगना, आँखों के सामने अंधेरा छा जाना, भ्रम होना, कानों में आवाज होना, बेचैनी, सिर-दर्द आदि लक्षण होने पर यह बहुत फायदा करता है। 

मधुमेह में वात प्रकोप के कारण सर्वांग में दर्द, रक्तवाहिनी नाड़ियों में वात-प्रकोप होना, कलाय खंज (लंगड़ापन), चलने में पाँव काँपना, शरीर में सन्धियों की शिथिलता तथा उनमें अधिक दर्द होना, इन लक्षणों में इस दवा के उपयोग से बहुत फायदा होता है।

पुराने मुककृच्छ रोग में इसका उपयोग किया जाता है। इसमें मूत्र का वेग तो मालूम पड़ता है, किन्तु मूत्राशय से लेकर मूत्रनली के बीच किसी चीज की रुकावट हो जाने से पेशाब खुलकर न होकर कठिनता से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में होता है। कठिनता से पेशाब होने के कारण ही इस रोग का नाम "मूतकृच्छ्र" पड़ा है। 

 प्रमेह अथवा मधुमेह में  विशेष गुणकारी है, इसके सेवन से इन्शुलीन जैसा प्रभाव होता है।

यह दवा 5 मरीजों का कोर्स है। यह नुस्खा में 10महीने की मात्रा के हिसाब से बताया गया है। हम जरुरत अनुसार ज्यादा भी तैयार करते हैं। 
दो महीने का एक मरीज के लिए । 
1 महीने का 15995/- खर्च , 2 महीने का 30595/-
रुपए खर्च है। इस नुस्खे में स्वर्ण भस्म 1 लाख की 5 ग्राम है। मोती , मकरध्वज, चांदी भस्म, अभ्रक भस्म सहस्त्र भी महंगे योग हैं। इसे बनाने की labour अलग है। पाठक इस बात का विशेष ध्यान रखें।‌

जरुरतमंद हमसे देश विदेश में मंगवाकर लाभ ले सकते हैं। 

मिलता हुं अगले लेख में ... तब तक आप सभी को 🙏🏻

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“सदैव आपका अपना शुभचिंतक” 
•वैद्य अमनदीप सिंह चीमा, 
अमन आयुर्वेद, 144205, पंजाब 
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Wednesday, April 10, 2024

Asthma

“स्वर्ण भस्म” भाग-8

‘श्वास-कास चिन्तामणि रस’ ( गोली ) स्वर्ण युक्त 

यह रसायन हृदय को बल देने वाला, हितकर और शक्ति बढ़ाने वाला है। फेफड़े पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। संचित विकारों को निकालना और फेफड़े को सबल बनाना इसका प्रधान कार्य है। नये-पुराने सभी प्रकार के श्वास रोग में इससे बहुत लाभ होता है। दमे के जिन रोगियों को रात-दिन परे- शानी रहती है, उन्हें इसका सेवन अवश्य करना चाहिए ।

•घटक•
शुद्ध पारा 1तोला, शुद्ध गन्धक 2तोला, लौहभस्म 4तोला, अभ्रक भस्म 2तोला, स्वर्णमाक्षिक भस्म 1 तोला, मोती भस्म 3 माशे, सुवर्ण भस्म 1तोला, इन सबको एकत्र खरल कर, कटेरी के रस, अदरक के रस और बकरी के दूध तथा मुलेठी के क्वाथ और पान के रस से क्रमशः 7-7 भावना देकर 2-2 रत्ती की गोलियाँ बना, सुखा कर रख लें।

( -भैषज्य रत्नावली ग्रंथ में से)

मात्रा और अनुपान--1-1 गोली सुबह-शाम । 
श्वास रोग में बहेड़े की मींगी चूर्ण और मधु के साथ, कास-श्वास रोग में पीपल-चूर्ण और मधु के साथ, कास (खाँसी) में अदरक का रस और मधु के साथ, बलवृद्धि के लिये मलाई के साथ सेवन करें ।

गुण और उपयोग--यह रसायन हृदय को बल देने वाला, हितकर और शक्ति बढ़ाने वाला है। फेफड़े पर इसका बहुत अच्छा प्रभाव होता है। संचित विकारों को निकालना और फेफड़े को सबल बनाना इसका प्रधान कार्य है। नये-पुराने सभी प्रकार के श्वास रोग में इससे बहुत लाभ होता है। दमे के जिन रोगियों को रात-दिन परे- शानी रहती है, उन्हें इसका सेवन अवश्य करना चाहिए । कठिन और पुराने कास (खांसी) में इसका प्रयोग होता है। यह आँत, यकृत्, मूत्राशय तथा हृदय की क्रिया को ठीक करता एवं वीर्य को पुष्ट करता है। इसका अधिक प्रयोग श्वास रोग में ही किया जाता है और इससे उचित लाभ भी होता है। इन्जेक्शन आदि से हताश रोगी भी इससे शीघ्र अच्छे हो जाते हैं। बच्चों की कुकुर खाँसी और शोथ-रोग भी इससे ठीक हो जाते हैं। क्षय, पाण्डु, कामला, हलीमक, यकृत्, प्लीहा, मन्दाग्नि आदि रोगों में भी इसके सेवन से अत्युत्तम लाभ होता है। रस-रक्तादि धातुओं की पुष्टि करके शरीर को बलवान बनाता है।

स्वर्ण भस्म के सभी भाग भी पढ़िए, जो पहले लिख चुके हैं।‌Scrool करके आसानी से मिल जाएंगे , जरूर पढ़ें। 

मिलते है स्वर्ण भस्म युक्त किसी और ख़ास नुस्खे के साथ , अगले लेख में 🙏🏻

✍🏻 सदैव आपका अपना शुभचिंतक 
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा, 
अमन आयुर्वेद, 144205 , पंजाब 
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Monday, April 8, 2024

Swarn Bhasma - Part -6

“स्वर्ण भस्म” -भाग -6

•कामिनी-विद्रावण रस स्पेशल•
( स्वर्ण भस्म, मोती , रजत युक्त )

शीघ्रपतन का काल है यह गोली~
मार्केट से आपको सिर्फ साधारण वाला कामिनी विंद्रावन रस ही मिलेगा, जो कि हमारे कामिनी विंद्रावन रस के मुकाबले न्यून गुण है।
 कामिनी विंद्रावन रस स्पेशल में हमने अपने अनुभव से मोती पिष्टी, प्रवाल पिष्टी, रजत भस्म ( चांदी भस्म) मिलाई है , जो कि पित्त को ठीक करती है। फार्मूले की तासीर को बेलेंस रखती है।
 इसे सभी तासीर वाले लें सकते हैं। हर मौसम में ले सकते हैं। इसमें चंदन भी डाला गया है जो कि बहुत ठंडी तासीर का होता है। बाकी चीजें गर्म तासीर की हैं । 
कुल मिलाकर यह नुस्खा न गर्मी करता है , न ठंड। हर कोई, गर्म ठंडी तासीर वाला बिना डर हर मौसम में इसे ले सकता है ‌। 
इसकी ताकत बढ़ाने के लिए हमने इसमें स्वर्ण भस्म भी मिलाया है। 

घटक -
अकरकरा, 
सोंठ, 
लौंग, 
केशर, 
पीपल, 
जायफल, 
जावित्री, 
प्रवाल पिष्टी,
चन्दन प्रत्येक 1-1ग्राम, 

शुद्ध सिंगरफ ¼ग्राम,
शुद्ध गन्धक ¼ग्राम,
रजत भस्म -¼ग्राम,
मोती पिष्टी -¼ग्राम,
स्वर्ण भस्म -¼ग्राम,
और शुद्ध अफीम “अकरकरा से चंदन” तक जितने घटक है , उनके बराबर मात्रा में लें।

1ग्राम = 1000mg 
¼ ग्राम = 250mg 

 प्रथम सिंगरफ, गन्धक और अफीम को एकत्र घोंट कर रखें। फिर शेष दवा को कूट, कपड़छन चूर्ण कर शीतल जल से घोंट कर मटर बराबर ( 250mg ) गोली बना, छाया में सुखा कर रख लें।

मात्रा और अनुपान-
1-1 गोली रात को सोने से एक घण्टा पूर्व दूध के साथ लें। 

गुण और उपयोग-
यह वीर्य को गाढ़ा कर स्तम्भन करता है एवं शुक्रवहा नाड़ियों को बलवान बनाता है। 

शीघ्रपतन वालों के लिये बहुत लाभदायक है, क्योंकि यह उत्तम वीर्य स्तम्भक है। 

अप्राकृतिक मैथुन अथवा हस्तमैथुन या स्वप्नदोष आदि के कारण उत्पन्न शीघ्रपतन की शिकायत तथा वीर्य के पतलेपन को मिटाने में यह रसायन बहुत श्रेष्ठ लाभदायक है ।

कामिनी विद्रावन रस शक्तिशाली जड़ी-बूटियों और खनिजों से तैयार किया गया है, जिनके बारे में पारंपरिक रूप से माना जाता है कि यह स्वस्थ शुक्राणु उत्पादन का समर्थन करते हैं और शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। यह उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपनी प्रजनन क्षमता को बढ़ाना चाहते हैं।

मिलते हैं अगले लेख में.... 

✍🏻सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद - दसुआ -पंजाब 
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Sunday, April 7, 2024

स्वर्ण भस्म -5 ( बसंत कुसुमाकर रस )

“स्वर्ण भस्म” भाग -5

बसंत कुसुमाकर रस ( स्वर्ण भस्म युक्त )

★Special For Diabetes ★
मधुमेह रोगियों के लिए तोहफा 
 सिद्ध योग संग्रह ग्रंथ से ....

बहुत समय से मेरे पाठको की मांग थी कि वैद्य अमनदीप सिंह चीमा जी , शूगर के लिए भी अच्छी दवा बताएं , बहुत प्रसन्नता महसूस कर रहा हुँ , आपसे यह दवा शेयर करते हुए ......

यूँ तो यह बसंत कुसुमाकर रस,  बना बनाया बाजार से मिल जाता है लेकिन 50% तक भी रिज्लट नही दे पाता ।‌

अगर आप आयुर्वेद जानते है या किसी आयुर्वेद वैद्य के संपर्क में है तो उनसे ही बसंत कुसुमाकर रस बनवा कर  प्रयोग करें , इसमें पड़ने वाली भस्मे उत्तम कवालिटी की होनी चाहिए ....
 बसंत कुसुमाकर रस कई सालों से मैं निर्माण खुद कर रहा 101% प्रभावी है | 

नुस्खा - 
प्रवाल भस्म ( मैं पिष्टी डालता हुं ) , 
रस सिन्दूर ( मैं सिद्ध मकरध्वज डालता हुं ) 
मोती पिष्टी या भस्म ( मैं पिष्टी डालता हुं ) , 
अभ्रक भस्म  सहस्त्र , प्रत्येक 40-40 ग्राम  , 
रोप्य ( चांदी ) भस्म , 
स्वर्ण भस्म 20-20 ग्राम,  
लौह भस्म , नाग भस्म , बंग भस्म
 30-30 ग्राम लेकर सबको पत्थर के खरल में डालकर 
अडूसे के पत्तों का रस , 
हल्दी का रस , 
गन्ने का रस , 
कमल के फूलों का रस , 
मालती के फूलों का रस , 
शतावरी का रस , 
केले के कन्द का रस , 
और चन्दन भिगोया हुआ जल या क्वाथ 
प्रत्येक की सात - सात भावना दें मतलब रस में घोट लें।

 प्रत्येक भावना में छे - सात घण्टे घोट लें ।अन्त की भावना में उसमें दो तोला अच्छी कस्तूरी और अम्बर दो तोला मिलाकर 3 घण्टा मर्दन करना चाहिए । फिर जब गोली बनाने लायक हो जाए तो 125mg की गोलियां बना लें ।‌ गोली लाल रंग में बनती है। 

{{ अंबर हमें मिल जाता है , लेकिन कस्तूरी आजकल न मिलने की वजह से हम नहीं डाल रहे।जब मिलने लगेगी तो डालेंगे । Ban होने की वजह से व्यापारी महंगी भी बेचते हैं। यह सबसे बड़ा कारण है। कस्तूरी की जगह हम अन्य घटक डाल रहे हैं। लता कस्तूरी नहीं। इसके स्थान अन्य द्रव्य भी डाले जा सकते हैं।‌ 
आयुर्वेद में बहुत ऐसी दवाएं हैं , जो किसी कारण Ban  🚫 हैं, जैसे हाथी दांत , कस्तूरी, बारहसिंगा .... }}

 गोली बनाकर छाया में सुखाकर रख लो । यही है “बसंत कुसुमाकर रस” 

अब आप खुद अंदाजा लगा लो, कि इतनी मेहनत कोन कंपनी करती है। जो वैद्य इतनी मेहनत से तैयार कर सकते हैं। रिजल्ट भी तो उन्हीं को मिलते हैं। 

मात्रा - 1-2 गोली ।‌ विशेष अनुपान से। 

अब आप लोगों को खुद ही अंदाजा हो गया होगा कि इसमें पड़ने वाली हर चीज लाजवाब और असरकारक है | गुण देखकर लगाए पैसे भूल जाते है | मैंने इसके साथ अन्य औष्धियों का मिश्रण करके बहुत से रोग जैसे बुढ़ापे की कमजोरी , बाल काले , दिमाग के रोग , हार्ट कमजोरी , नपुंसकता , जोड़ो का दर्द , पक्षाघात , बे-औलाद पन आदि रोगों में अन्य दवायों के मिश्रण करके लाभ पहुंचाया है | 

‘बसंत कुसुमाकर रस’ रसायन गुणों से भरपूर और मधूमेह की महोष्धि है । 

नीचे एक नुस्खा आपसे साझा कर रहा हुं, जो मधुमेह और मधुमेह की वजह से आई कमजोरी, मर्दाना कमजोरी के लिए बहुत लाभदायक है। 

★मधुमेह,डायबिटीज़ Diabetes★

“गागर में सागर" जैसा है  “मेरा अनुभूत नुस्खा"

4-5 महीने के प्रयोग करने से,  मधुमेह कैसी भी,कितनी भी पुरानी हो ठीक हो जाएगी । इससे इंसुलिन भी छूट जाएगा। 

*नुस्खा इस प्रकार है 

•जामुन बीज 10 ग्राम,
•एलुवा -5 ग्राम,
•त्रिकुटा 5 ग्राम,
•बूटी गुडमार 10 ग्राम,
•शु शिलाजीत 5 ग्राम,
•बसंत कुसमाकर रस 7.5 ग्राम,
•तूफानी ताकत महायोग 60 गोली 

एक गोली सुबह, एक गोली शाम को 
उस हिसाब से बसंत कुसुमाकर रस ( गोली ) 60 नुस्खे में जाएगा , जिसका वजन 125mg ×60 गोली  = 7.5gm है। 

*बनाने की विधि*
इन सबको पीसकर ग्वारपाठा रस में घोटकर 60 गोली बनाकर सुखाकर रख लें । सुबह-शाम एक गोली दूध से लें ।
साथ में तूफानी ताकत महायोग एक गोली ‌।

•विशेष •
इस दवा की जितनी तारीफ की जाए कम है । एक महीने में आपके शरीर में नई जान डाल देगी ।  जिन लोगों की शूगर के कारण मर्दाना ताकत खत्म हो चुकी है , इससे खोई हुई दुबारा वापस लौट आएगी। इस दवा में शिलाजीत, बसंत कुसमाकर रस,मकरध्वज , अंबर, स्वर्ण भस्म जैसी अति बहुमूल्य औष्धियों को मिलाकर बनाया गया है । जो कि बहुत गुणकारी है। आयुर्वेद की थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाले इनके गुणों से भलीभांति जानते है। आप इनके गुणों को जानने के लिए आयुर्वेद का अध्यन कर सकते है । शूगर जैसी नामुराद बिमारी को जड़ से उखाड़ने के लिए यह मेरा खुद का फार्मूला  है,और कई रोगियों पर सफलता से आजमाया हुआ है।यह नुस्खा आपको किसी किताब में नही मिलेगा । यह सब औष्धियों के गुणों को देखते हुए मेरी स्वयं की ही खोज है । आज तक आप जितने भी (  मेरे अनुभूत नुस्खे ) पढ़ चुके है सब मेरी अपनी ही वर्षों की खोज से निकले है । 
सिर्फ मर्दाना ताकत के लिए आप बसंत कुसुमाकर रस को तूफानी ताकत महायोग के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं। 

*सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा ,
अमन आयुर्वेद, Dasuya,पंजाब
Call & WhatsApp 09915136138

मुझे पता है आप पूछेंगे, यह तूफानी ताकत महायोग गोली क्या है। यह भी स्वर्ण भस्म युक्त है। इसलिए इसका लेख अगले भाग में आपसे शेयर करुंगा। 

मिलता हुं अगले लेख में...... 

#VaidAmanCheema #AmanAyurved #diabeteskidawa_ #ayurved #ayurvedic

Thursday, April 4, 2024

स्वर्ण भस्म -भाग 4

“स्वर्ण भस्म” भाग -4

स्वर्ण भस्म का आज हम 4th भाग आपसे शेयर करने जा रहे हैं। यह रसायन स्वर्ण भस्म युक्त है। जिसका नाम है। 

“चतुर्मुख रस”

गुण और उपयोग:- 
 स्वर्ण, अभ्रक, कज्जली आदि के योग से बनने वाली यह दवा वातज रोगों के लिये बहुत फायदेमन्द है। 
मूर्च्छा, हिस्टीरिया, मृगी और उन्माद रोग पर इस दवा का अच्छा असर होता है। 
हृदय की बीमारियों को दूर करके हृदय को मजबूत करना इस रसायन का खास गुण है। 
क्षय, खाँसी, अम्लपित्त, पाण्डु और प्रसूत-ज्वर या प्रसूत के बाद होने वाली कमजोरी में इस दवा का प्रयोग करके लाभ उठाना चाहिए। 
यह पौष्टिक और रसायन भी है। इसलिये किसी बीमारी के बाद की कमजोरी या साधारणतया होने वाली कमजोरी में इस दवा से अच्छा लाभ होता है।
क्षय रोग के लिए इस दवा का सेवन आप कर सकते हैं।‌
इस रसायन का प्रमुख कार्य शारीरिक निर्बलता दूर करके सप्तधातुओं को पुष्ट करके शरीर को हष्ट-पुष्ट बनाना है। 
पाचन , पेट की गड़बड़ी,भूख न लगना, पाचन हमेशा खराब रहना , ज्वर बने रहना ऐसी समस्याएं इस रसायन के सेवन से ठीक होती है। 
बिमारी रहने के कारण रोगी कांतिहीन हो जाता है। उठने बैठने बोलने की शक्ति कम हो जाती है , ऐसे रोगियों के लिए भी यह रसायन वरदान साबित होता है। 
मानसिकत रोग, दिमाग़ी कमजोरी, bipolar disorder, पागलपन आदि के लिए यह रसायन बहुत लाभदायक है। 

घटक:- 
शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, लौह भस्म और अभ्रक भस्म 4-4 तोला तथा स्वर्ण भस्म 1 तोला ( 10ग्राम) लें। प्रथम पारा-गन्धक की कज्जली बना उसमें अन्य भस्में मिला, घृतकुमारी- रस में घोंटकर गोला बना, धूप में सुखा, एरण्ड-पत्र में लपेट, सूत से बाँध कर, धान की कोठी में तीन दिन तक रहने दें। चौथे दिन उसमें से निकाल कर महीन पीस कर 1-1रत्ती ( 125mg ) की गोली बनाकर सुखाकर रख लें।

मात्रा और अनुपान-1-2  गोली सुबह-शाम त्रिफला घृत 3ग्राम के साथ सेवन करें। ऊपर से दूध पी सकते हैं। 

इस रसायन को दूध , घी, मक्खन, मलाई,अन्य दवाओं के साथ मिलाकर, रोगी और रोग की अवस्था अनुसार वैद्य की सलाह अनुसार ही सेवन करना चाहिए। 

हम यहां आपको आयुर्वेद का ज्ञान वर्धन के लिए लेख लिख रहे हैं। कोई भी दवा चिकित्सक की सलाह से ही इस्तेमाल करें। 

इस रसायन में कज्जली योगवाही और रसायन है। 
लौह और अभ्रक शक्ति वर्धक, धातुओं को पुष्ट करने वाला, सुवर्ण राजयक्षमा, क्षय, टीबी , कमजोरी आदि के लिए सर्वश्रेष्ठ है।‌स्वर्ण जिस भी दवा में नुस्खे में हो उसके ताकत को बहुत बढ़ा देता है। 

किसी भी जटिल पुराने रोग के लिए आप मुफ्त सलाह लें सकते हैं। 
हम देश विदेश में दवा✈️📦 भेजते हैं। 

✍🏻 सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
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Wednesday, April 3, 2024

स्वर्ण भस्म -भाग 3

“स्वर्ण भस्म” भाग -3

स्वर्ण भस्म से संबंधित पिछले दो भाग हम लिख चुके हैं। आज तीसरे भाग में हम बात करेंगे, स्वर्ण भस्म से तैयार होने वाले “नवरत्न राज योग” के बारे में। 
पहले जानेंगे घटक , फिर मात्रा अनुपान , फिर गुण उपयोग

इस योग में स्वर्ण भस्म, हीरा भस्म, मोती भस्म, महंगे महंगे रत्न जैसे पन्ना, पुखराज ,नीलम आदि नवरत्न का का मिश्रण है। इसलिए इसका नाम नवरत्न राज योग है । जिसे रस या रसायन भी आप कह सकते हैं। आयुर्वेद में रस का मतलब तरल तो है ही। रस पारद को भी कहा गया है। जिस औषधि में पारद हो , उसके नाम के पीछे भी रस लग जाता है। रसायन औषधियों के नाम के अंत में भी रस लग जाता है। इस रस में भी शुद्ध पारद का इस्तेमाल हुआ है , इसलिए इसके नाम के पीछे रस लिखा है। हम यह दवा बनाते समय पारद के स्थान पर रस सिंदूर का इस्तेमाल करते हैं। 
इस रस में स्वर्ण भस्म, हीरा भस्म , नवरत्न आदि होने की वजह से बहुत महंगा पड़ता है। इसके लाभ देखकर खर्च किया हुआ पैसा भूल जाता है। 

★नवरत्न राज योग★
घटक-
शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म, खर्पर भस्म, वैक्रान्त भस्म, कान्त लौह भस्म, बंग भस्म, नाग भस्म, हीरा भस्म, प्रवाल भस्म, विमल भस्म, माणिक्य भस्म, पन्ना भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्म, रौप्यमाक्षिक भस्म, मोती भस्म, पुखराज भस्म, शंख भस्म, वैडूर्य भस्म, ताम्र भस्म, मुक्ताशुक्ति भस्म, शुद्ध हरिताल, अभ्रक भस्म, शुद्ध हिंगुल, शुद्ध मैनशिल, गोमेदर्माण भस्म या पिष्टी, नीलम भस्म- प्रत्येक १-१ भाग या 10-10 ग्राम लेकर प्रथम पारा-गन्धक की कज्जली बनावें, पश्चात् अन्य समस्त भस्मों को मिलाकर गोखरू, पान, कटेरी, गोरखमुण्डी, पीपल, चित्रकभूल छाल, ईख की जड़, गिलोय, हुरहुर, अरणी, मुनका, शतावर, कंकोल, मिर्च, कस्तूरी, नागकेशर - इन सबके क्वाथ से पृथक् पृथक् सात-सात बार भावना देकर दृढ़ मर्दन करें। फिर एक पात्त्र में सेन्धा नमक का चूर्ण भर कर उसमें मृगांक के समान कम-से-कम एक दिन की अग्नि देकर पाक करें, फिर स्वांग- शीतल होने पर औषधि को निकाल कर पूर्वोक्त द्रव्यों के रस या क्वाथ की भावना देकर मर्दन करें। सबसे अंत में इसी के समान शीतल जल के साथ कस्तूरी की भावना देकर मर्दन करें और गोली बनने योग्य होने पर 1-1रत्ती ( 125mg ) की गोली बना, छाया में सुखा कर रख लें।

यह नुस्खा रस रत्नसमुच्य ग्रंथ में है। 

मात्रा और अनुपान:- 
आधी गोली से एक गोली ( 65mg to 125mg ) ,
दूध,मलाई,शहद से , या अन्य औषधि के साथ रोगी और रोग की अवस्था अनुसार, मौसम आदि का विचार करके यह दवा का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

गुण और उपयोग:- 
अनेक बहुमूल्य रत्नों और उपादानों से निर्मित इस रसायन का प्रयोग करने से समस्त प्रकार के शोथ,पाण्डू, बल्ड कैंसर, ल्यूकेमिया, बार बार रक्त चढ़ाने की समस्या, पुराने बुखार, वात व्याधि, मधुमेह, मधुमेह से आई नामर्दी,सभी प्रमेह ठीक होते हैं। 
मृगी, दमा ,फेफड़ों का कैंसर, दिल की कमजोरी में , मानसिक रोग , डर, तनाव , डिप्रेशन आदि , ओज बढ़ाने, शुक्राणु , शीघ्रपतन, बांझपन, सर्व कैंसर , एड्स रोगियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर बोझिल जिंदगी से ऊर्जा भरी जिंदगी प्रदान करके नई खुशियां देती है। 

इस दवा को आप 1वर्ष में 20-30 दिन सेहत तंदरुस्त रखने के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं। जो लोग अच्छी सेहत चाहते है‌। उनके लिए यह महंगा टानिक ताकतवर साबित तो होता ही है, सभी रोगों से बचाव भी करता है। 

हम इसे गोली नहीं बनाते । पाउडर ही बनाकर रखते हैं। क्योंकि हर मरीज के रोग अनुसार दूसरी दवाओं के साथ मिलाकर दिया जा सके। 

कीमती नवरत्नों हीरे , मोती से स्वर्ण भस्म के मिश्रण से बनी
यह दवा हर बड़ेसे बड़े रोग को ठीक करने की ताकत रखती है। 
रोग और रोगी की समस्या अनुसार, अनुपात, अनुपान हम बदलकर देते हैं। तो आशातीत लाभ मिलता है।

सदैव आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा,
अमन आयुर्वेद,144205, पंजाब
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#AmanAyurved #VaidAmanCheema #vaidamancheemapunjabi #NavrattanRajYog

Saturday, March 30, 2024

सत्यानाशी Argemone Mexicana

सत्यानाशी , स्वर्णक्षीरी ARGEMONE MEXICANA 

•Satyanashi Plant / आयुर्वेद में सत्यानाशी पौंधा एक बहु-उपयोगी औषधि रूप है। 
सत्यानाशी यानि कि सभी प्रकार के रोगों का नाश करने वाली वनस्पति। 
सत्यानाशी पौधा बंजर, नदी किनारे, जगलों, खाली जगहों में पाये जाते हैं। सत्यानाशी पौधा लगभग 3 फीट तक लम्बा होता है। फूल पीले और पत्ते हरे तेज नुकीले होते हैं।  बीज सरसों दानों की तरह होते हैं। कोमल पत्ते -तने तोड़़ने पर दूध जैसा तरल निकलता है। 

सत्यनाशी पौधा भारत में लगभग सभी राज्यों में पाया जाता है।

 जिसे अलग-अलग नामों 
 स्वर्णक्षीरी, कटुपर्णी, पीला धतूरा, स्याकांटा, फिरंगी धूतरा, भड़भांड़, काटे धोत्रा, मिल धात्रा, दारूड़ी, चोक, कटसी, भटकटैया पौधा, सोना खिरनी, कुश्मक, शियालकांटा, कुडियोटिट, और अंग्रेजी में Argemone mexicana, Prickly Poppy, Mexican Poppy, Satyanashi से पुकारा जाता है।

 सत्यनाशी औषधि और तेल रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

सत्यनाशी के फूल, पत्ते, दूध, जड़ें,तना, बीज औषधि के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। 

•पुराने घाव :-
चोट घाव ठीक करने में सत्यानाशी फूल, पत्तियों का रस या तैल अचूक औषधि मानी जाती है। सत्यानाशी फूल पत्तियों का रस घाव जल्दी भरने में सहायक और घाव को संक्रमित होने से बचाने में सहायक है। 

•गठिया- जोड़ों के दर्द में 
सत्यनाशी तेल में लहसुन पकाकर अच्छे से मालिश करने से गठिया जोड़ों के दर्द में फायदा होता है।

•पुरुषों महिलाओं की अंदरूनी कमजोरी दूर करे सत्यानाशी :-
पुरूर्षों महिलाओं दोनों की अन्दुरूनी गुप्त बीमारी नपुंसकता, धातुरोग, वीर्य कमजोरी, शुक्राणुओं की गड़बड़ी और निसंतान कलंक दूर करने में सत्यानाशी पौधा एक अचूक प्राचीनकालीन औषधि है। महिलाओं पुरूर्षों के गुप्त रोगों में सत्यानाशी के फूल रस, पत्तियों का रस आधा चम्मच सुबह- शाम कच्चे दूध के साथ सेवन करना फायदेमंद है। सत्यानाशी बीज तेल से मालिश और 50 ग्राम सत्यनाशी जड़ों 1 लीटर पानी में हल्की आंच में उबाल कर काढ़ा तैयार करें और रोज सुबह शाम 2-2 चम्मच पीने से जल्दी फायदा होता है। निसंतान दंम्पतियों के लिए सत्यनाशी पौधा अचूक औषधि मानी जाती है। 

 ज्यादा लाभ के लिए आप मेरे क्लीनिक पर ‌तैयार होने वाले नुस्खे जैसे:-  तूफानी ताकत महायोग, जीवन जौश महायोग , बादशाही महायोग आदि कोई एक नुस्खा डाक/कोरियर द्वारा लें सकते है। 

•लिंग कमजोरी दूर करे सत्यानाशी तेल :- 
सत्यानाशी बीज तेल मालिश पुरूर्षों की लिंग स्थिलिता, कमजोरी दूर करने में कुछ सहायक है। सत्यानाशी तेल मालिश कमजोर नसों में रक्त संचार तीब्र और सुचारू बनाये रखने में और लिंगवर्धन में सक्षम है। 
ज्यादा लाभ हेतू मेरे क्लीनिक पर तैयार  तिला मंगवा सकते है। 

सावधानियां :-
सत्यानाशी का सेवन गर्भावस्था के दौरान मना है।
गम्भीर सर्जरी में सत्यानाशी सेवन मना है।
सत्यानाशी सेवन 2 साल से छोटे बच्चों के लिए मना है।

मेरा विशेष प्रयोग :- 
सत्यानाशी का पूरा पौधा उखाड़कर धो कर साफ़ कर लें। 
कूट कर आठ गुणा पानी में डाल दें। आठ घंटे बाद लोहे या मिट्टी के बर्तन में डालकर, लकड़ी या कंडों या कोयले की धीमी आंच पर पकाएं, जब पानी आधा रह जाए तो ठंडा होने पर पानी निचोड़ लें। निचोड़ा हुआ पानी उसी बर्तन को साफ करके उसमें डालकर धीमी आंच पर पूरे पानी को सुखा दें। पानी सूखने के बाद काले रंग की गोंद जैसी दवा आपको मिलेगी। फिर इसे धीरे-धीरे खुरपे की मदद से खुरचकर मटर बराबर गोलियां बना लें। इन गोलियों को “सत्यानाशी घन वटी” बोला जाएगा। 

यह गोलियां चर्म रोग , बवासीर, मुंह के छाले, गले सड़े ज़ख्मों में , फोड़ा, कील , मुंहासे, अलर्जी, दमा , चमड़ी का कैंसर में फायदा करती है। 
ताकत बढ़ाने के लिए सत्यानाशी जड़ के काढ़े के साथ यह गोलियां इस्तेमाल करें। मर्दाना ताकत के लिए इसे और ताकतवर बनाने के लिए बंग भस्म, लौह भस्म, अभ्रक भस्म, चांदी भस्म , सोना भस्म मिला सकते हैं। 

Skin problem के लिए सत्यानाशी के बीजों का तैल इस्तेमाल करने से बहुत फायदा होता है। 

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आपके क्षेत्र में इसे किस नाम से पुकारा जाता है। कभी आपने इसका इस्तेमाल किया है तो जरूर लिखें। 

सदैव आपका अपना शुभचिंतक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमा, 
संस्थापक अमन आयुर्वेद,
WhatsApp & Call 099151 36138 

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