Wednesday, September 14, 2022

Psoriasis eczema skin Problems

~सोरायसिस,दाद,खुजली,चर्म रोगों की कामयाब औष्धि~

*समर्पित =पूरी कायनात को , आज मेरे जन्म दिन 14September मेरे जन्मदिन पर विशेष पोस्ट*
2016 को पहली बार पोस्ट किया था सोशल मीडिया पर 

~ मेरा अनुभूत “चर्मरोग नाशन महायोग"~

*नुस्खा इस प्रकार है*
*गंधक रसायन 100ग्राम*
*खदिर घनसत् 100ग्राम*
*मजिष्ठ घनसत् 100ग्राम*
*बाकुची चूर्ण 75ग्राम*
*चोबचीनी चूर्ण 50ग्राम*
*प्रवाल पिष्टी 25ग्राम* 
*व्याधिहर्ण रसायन 25ग्राम*
*स्वर्णमाक्षिक भस्म 25ग्राम*
*अरोग्यावर्धनी वटी 50ग्राम* 
*ताम्र भस्म 10ग्राम*

बनाने की विधि :- 
सबसे पहले व्याधिहर्ण रसायन को अच्छी तरह रगड़कर सुरमे की तरह बारीक कर लें , फिर ताम्र भस्म को मिला कर घोटें । फिर उसमें स्वर्णमाक्षिक भस्म, प्रवाल पिष्टी मिला कर घोटे , उसके बाद बाकी बची हुई दवा डालकर खूब घुटाई करें या मिक्सी में मिक्स कर लें । उसके बाद नीम के पत्तों का रस निकालकर उसमें घोटकर सुखाकर , फिर घीग्वार यानि ग्वारपाठा (Aloe vera ) रस में घुटाई करके जब गोली बनने योग हो जाए तो 500-500मिलीग्राम की गोलियाँ बना लें या सुखाकर 500-500मिलीग्राम के खाली कैपशूलों में भर लें । 

*खाने की विधि*
सुबह-दोपहर-शाम दो-दो कैपसूल या दो-दो गोलियाँ लें । 
रात को स्वादिष्ट विरेचन चूरन ½चम्मच गुनगुने पानी से लें । 
चाय ,गर्म मसाले , तेज मिर्च ,तली ,खट्टी चीजों का परहेज । मंगवाने हेतु संपर्क करे। ं

*सदैव आपका अपना*
*डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ,पंजाब*
*मोबाइल एण्ड वटसऐप 9915136138*

Sunday, September 4, 2022

देशी अनुभूत नुस्खे

मेरे अनुभूत आयुर्वेदिक नुस्खे 


|||| सर्व चर्म रोगहर्ता महायोग ||||
 || नुस्खा ||
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घटक द्रव्य : पंचनिम्ब चूर्ण, गंधक रसायन 100-100 ग्राम, व्याधिहरण रसायन 25 ग्राम, प्रवालपिष्टी और आरोग्यवर्द्धिनी वटी 50-50 ग्राम, रजत भस्म 10 ग्राम। यह आप बढ़िया विस्वाशयोग फार्मेसी की ही लें । 

 || भावना द्रव ||
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 सारिवा, मंजिष्ठा और चोपचीनी तीनों द्रव्य 100-100 ग्राम, वायविडंग, भृंगराज, खैर और कचनार- 50-50 ग्राम।
यह आप पंसारी ,जड़ी-बूटी विक्रेता से ही प्राप्त करें । 

|| निर्माण विधि ||
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 सब भावना द्रव्यों को जौकुट करके दो लीटर पानी में उबालें। जब 250 ग्राम पानी बचे तब उतारकर छान लें। ऊपर लिखे द्रव्यों में भावना द्रव्यों का पानी मिलाकर खरल में खूब घुटाई करें और सब द्रव्यों को एक जान करके मटर के आकार की गोलियाँ बनाकर सुखा लें। या कैपसूलों मे भर लें । 
  || मात्रा ||
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 सुबह-शाम पानी के साथ 2-2 गोली या कैपसूल लें।

 ||लाभ ||
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 यह वटी रक्त विकार दूर करके चर्म रोगों को नष्ट करने की एक अत्यंत विश्वसनीय, सफल सिद्ध और श्रेष्ठ औषधि है। त्वचा में खुजली पैदा करने वाले कीटाणुओं को पोषण मिलना बन्द करने में इस वटी का जवाब नहीं। पोषण मिलना बंद होने पर इन कीटाणुओं का बल घटते-घटते समाप्त हो जाता है और व्याधि का शमन हो जाता है। एक्जीमा सूखा हो या गीला, इसके लगातार सेवन से ठीक हो जाता है। 

दूषित विष के उपद्रव स्वरूप उत्पन्न होने वाले कुष्ठ, पाचन विकार से या फिरंग रोग से उत्पन्न होने वाले कुष्ठ के अलावा भंगदर, श्लीपद, वातरक्त, नाड़ी व्रण, प्रमेह, रक्त विकार, सिर दर्द, मेदवृद्धि (मोटापा) आदि अनेक ऐसी व्याधियों को यह वटी ठीक करने में सफल सिद्ध हुई है, जिनके नाम भी आम व्यक्ति ने सुने न होंगे।

 किसी भी प्रकार से हुई शीतपित्ती या अन्य प्रकार की एलर्जी इस वटी के सेवन से ठीक हो जाती है। 
यह वटी रक्त विकार दूर करके चर्म रोगों को नष्ट करने की एक अत्यंत विश्वसनीय, सफल सिद्ध और श्रेष्ठ औषधि है। त्वचा में खुजली पैदा करने वाले कीटाणुओं को पोषण मिलना बन्द करने में इस वटी का जवाब नहीं। कुछ रोगों और कुछ रोगियों की अवस्था के अनुसार, अन्य औषधियों को भी इस वटी के साथ सेवन कराया जाता है। यह इस वटी का चमत्कार ही है कि अन्य औषधियों के साथ प्रमुख औषधि के रूप में इस वटी का सेवन कराने पर सोरायसिस जैसे कठिन साध्य और कई मामलों में असाध्य सिद्ध होने वाले रोग से ग्रस्त रोगियों को इस दुष्ट रोग से मुक्त किया जा सका है।

  || कुष्ठ रोग ||
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 त्वचा पर जगह-जगह सफेद दाग होना, लाल-लाल चकत्ते होना और ठीक ही न होना, पामा, दाद और कुष्ठ रोग का प्रभाव होना आदि शिकायतों को दूर करने के लिए।
 2-2 गोली सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करना चाहिए।

  || परहेज ||
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 मांसाहार, शराब, तेज मिर्च-मसाले, कच्चा दूध और भारी चिकने पदार्थों का सेवन बन्द रखना चाहिए। परहेज का पालन करते हुए यह प्रयोग करने पर धीरे-धीरे ये व्याधियाँ ठीक हो जाती हैं।

 रोगी को शक्कर, चावल, गाय का घी, केला, सेन्धा नमक, हलके सुपाच्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। नमक, खट्टे पदार्थ, अरहर की दाल, अधिक चाय-कॉफी, तेज मिर्च-मसाले, बीड़ी-सिगरेट और सूर्य की तेज धूप इन सबका सेवन नहीं करना चाहिए या कम से कम करना चाहिए।


|| बहरापन दूर करने का तैल ||

|| आपका अपना ||
|| डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ,पंजाब ||
|| मोबाइल एण्ड वटसऐप 9915136138 ||

|| घटक ||
१.शहद 
२.अदरख का रस
३.सहिजन की जड़ की छाल का रस 
४. केले की जड़ का रस 
प्रत्येक १-१ सेर , तिल तैल १ सेर लेकर सबकी एकत्र मिलाकर पकावें । तैलमात्र शेष रहने पर उतार कर छान कर रख लें । 

||||| गुण और उपयोग |||||

कान में ज्यादा मैल जम जाने अथवा कान के छेद किसी कारण बन्द हो जाने अथवा सुनने की शक्ति कम हो जाने या सुनाई कम देने पर यह तैल बहुत उपयोगी है । कान की हर तरह की बिमारी में रामबाण की तरह कार्य करता है । रोगियों को बहुत लाभकारी सिद्ध होता है । यह तैल आप घर पर ही बनावें और बनाकर रख लेंवें बनें । 


       ° Night fall स्वप्नदोष एक गंभीर समस्या °
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स्वप्न में मनी खलास हो जाना ।। होता क्या है कि गंदा स्वप्न आता है ,और अनमोल चीज शरीर से बाहर निकल जाती है , जिसे स्वप्नदोष कहा जाता है । महीने में एक - दो बार होने वाले स्वप्नदोष को रोग नही कहा जा सकता , इससे ज्यादा बार यह समस्या आएं तो इसका इलाज जरूर करना चाहिए। 

||कारण ||
ज्यादा गर्म ,खट्टे ,तली हुई चीजों का सेवन , कब्ज , Internet ,पोर्न फिल्में , गंदा साहित्य,गंदी संगत, अमलपित्त,वीर्य में गर्मी,पतलापन,हस्तमैथुन आदि मुख्य कारण है जिनकी वजह से रोग उत्पत्ति होती है ||

स्वप्नदोष नाशक एक अनुभूत योग लिख रहा हुँ जो कि आप लोग आसानी से आयुर्वेद सटोर से ले सकते है । 

||•स्वप्नदोष नाशक मेरा अनुभूत योग•||

गिलोय सत् 15ग्राम , 
जामुन बीज गिरी चूर्ण 150ग्राम,
प्रवाल पिष्टी 15 ग्राम ,
कुकतांडत्वक भस्म 15ग्राम ,
त्रिबंग भस्म 5ग्राम ,
मोती पिष्टी 3ग्राम ,
रजत भस्म 3ग्राम 

||•बनाने की विधि•||
यह सब दवा आप खरल में डालकर , घुटाई करके एक जान करलें ।फिर किसी शीशी में डाल कर सुरक्षित रख लेवें । 

||•मात्रा और सेवन विधि •||
जितनी दवा है । इसकी आप 60 पुडियाँ बनाकर रख लें । सुबह-शाम एक-एक पुडियाँ ताजे जल से खाने के 1घंटे बाद लें । 

||•लाभ•||
इसके सेवन से स्वप्नदोष मिट जाता है । वीर्य गाढ़ा होता है । हस्तमैथुन के कारण वीर्य ग्रंथियों में पढ़ी हुई गर्मी निकल जाती है । इसमें प्रवाल पिष्टी ,मोती,रजत भस्म,त्रिबंग आदि जैसी बहुमुल्य औष्धियाँ दिल-दिमाग को ताकत देकर शरीर की बढ़ी हुई गर्मी को कम करके दिल को ठंडक ,ताकत ,मन को शांति देती है । वीर्य की गर्मी को कम करके ,वीर्य को गाढ़ा और ताकतवर बनाती है । इसके 2माह सेवन से सिर्फ स्वप्नदोष ही ठीक नही होगा , शरीर के और भी विकार जो आपने अपनी ही गल्तियों से उत्पन्न किए हुए थे ,ठीक हो जाएगें । शरीर में ताकत आएगी ,मन में प्रसन्नता पैदा होगी । जीवन में नई उमंग ,उत्साह पैदा होगा । चेहरे पर आए तेज को देखकर आपको लोग पूछे बिना नही रहेगे कि आपकी सेहत का राज क्या है । 


||• मधुमेह नाशक काढ़ा •|| 

एक चमत्कारी,संन्यासी नुस्खा,अनुभूत,परीक्षित,सफल नुस्खा 
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इस फारमूले को बनाने की सावधानी यही है कि सारी दवा ताजा ही लेनी है ।

*नुस्खा लिख रहा हुँ ,जो इस प्रकार है*
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•नीम पत्र ताजा
•जामुन पत्र ताजा
•अमरूद पत्र ताजा 
•बेल पत्र ताजा
•आम पत्र ताजा 
•गुडमार बूटी 
 (गुडमार बूटी पंसारी से लें, ओर पाउडर बनाकर ही डालें)

बनाने का तरीका :- 
सबको सामान भाग यानि समभाग लेकर , अच्छी तरह धोकर , कूटकर चटनी जैसा बनाकर,किसी साफ मिट्टी के बर्तन मे डालकर, १६ गुना जल को डालकर धीमी आँच पर रख दें, जब पानी चोथाई हिस्सा रह जाए तब उतारकर, ठंडा होने पर , हाथों से मसलकर ,छानकर , निथारकर रख ले, दवा तैयार है|

*खाने का तरीका*
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सुबह खाली पेट 20-50 ml तक लें| बराबर जल मिलाकर ।

*परहेज जो जरूरी है*
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चीनी , चाय, काफी , आलू , मेदा, डालडा घी बिल्कुल बंद कर दें|


•Diabities मधुमेह रोग को जड़ से खत्म कैसे करें? 

|| मधुमेह हर गोल्ड वटी ||

हमसे इसी नाम से मांगें। 

मधुमेह का जो नुस्खा आज इस लेख में लिख रहा हुं , 
यह योग मेरा अनुभूत है। हर समय तैयार रहता है। आयुर्वेद ग्रंथों का अध्ययन करने के बाद इस दवा को बहुत मेहनत से तैयार किया है । इस नुस्खे की हर एक जड़ी - बूटी , भस्मों में मधुमेह को जड़ से खत्म करने के गुण समाएं हुए है। इस दवा का पूरा कोर्स करके आप सदा के लिए मधुमेह रोग से छुटकारा पा सकते है। यह नुस्खा पैंक्रियाज की गड़बड़ी को ठीक करके उसको सही ढंग से काम करने के लिए तैयार करता है , जिससे रोगी के शरीर में इंसुलिन बनने लग जाती है। बाहर से इन्सुलिन नही लेना पढ़ता । insulin की गोली सदा के लिए छूट जाती है। रोगी पूर्ण स्वस्थ होकर पहले की तरह तंदरुस्त जीवन , सुखमय जीवन बिता सकता है। 

• नुस्खा इस प्रकार है:- 

पनीर डोडी घनसत्व
नीम निबोली 
विजयसार घनसत्व,
मकोय घनसत्व, 
गुडमार घनसत्व, 
कुटकी घनसत्व, 
चिरायता घनसत्व,
आमला घनसत्व, 
गिलोय घनसत्व, 
गोरक्षमुंडी घनसत्व 50-50 ग्राम घनसत्व , 
नाग भस्म 100 पुट्टी , 
अभ्रक भस्म 100 पुटी , 
मोती पिष्टी ,
रजत भस्म ,
सिद्ध मकरध्वज 10-10 ग्राम 
स्वर्ण भस्म 5 ग्राम 

सबको मिलाकर घीग्वार ( Aloe vera ) ताजा गुदा में घोटकर गोलियां बना लें ।‌ एक दिन छाया में रखें । फिर अच्छी तरह धूप में सुखाकर , हवा बंद डिब्बे में रख लें। सुबह- शाम गोली दूध या गुनगुना पानी से ले। 

|| जय आयुर्वेद जय धन्वंतरि ||

नोट:- कोई भी दवा लेने से पहले अच्छे अनुभवी वैद्य से सलाह जरूर लें। देश-विदेश दवा भेजने की सुविधा है।

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आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमाँ
कोहिनूर आयुर्वेदा
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