★ गर्भपात रोकने के आयुर्वेदिक नुस्खे ★
क्या होता है गर्भपात या गर्भस्त्राव ?
20वें सप्ताह के पहले महिला के गर्भ का अचानक गिर जाना,
शारीरिक और भावनात्मक
दोनों ही रूपों में कष्टदायी हो सकता है।
अधिकांश गर्भ हानि, गर्भपात, भ्रूण के सामान्य रूप से विकसित न होने के कारण होते हैं।
निम्नलिखित घरेलु उपाय लिख रहा हुं। सुविधा अनुसार कोई एक नुस्खा लें।
•पीपल जटा, बड़ी कंटकारी की जड़ पीस कर 2-2 ग्राम गाय/भैंस के दूध के साथ कुछ दिनों तक लें।
•हरी दूब के पंचांग 10 ग्राम (जड़, तना, पत्ती, फूल, फल) को पीसकर उसमें समभाग मिश्री मिलाकर दूध से सुबह शाम पिएं।
•मूली के बीजों का महीन चूर्ण 2ग्राम और भीमसेनी कपूर आधा ग्राम को गुलाब के अर्क में घोटकर गर्भ ठहरने के बाद योनि में कुछ दिनों तक मलने से बहुत लाभ होता है। अगर किसी महिला को बार बार गर्भस्राव होता है, तो उसके लिए यह बहुत फायदेमंद नुस्खा है।
•गाय का उबालकर ठंडा किया हुआ दूध व जेठीमधु ( मुलेठी ) 5ग्राम का जक गिलास पानी में काढ़ा बनाकर पिलाएं साथ में इसी काढ़े को नाभि के नीचे भाग पर लगाएं। इससे गर्भस्राव की संभावना कम हो जाती है।
•वंशलोचन, नागकेसर, मिश्री समभाग को लेकर महीन चूर्ण बनाएं। फिर इसे 2 ग्राम की मात्रा में सुबह शाम गाय के दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
•एक पके केले को मथकर उसमें शहद मिलाकर गर्भवती स्त्री को खिलाएं।
•अशोक की छाल 5 ग्राम का क्वाथ एक गिलास पानी में बनाकर कुछ दिनों तक सुबह शाम पिलाने से गर्भवती स्त्री के गर्भस्राव की संभावना खत्म हो जाती है।
•अशोकारिष्ट , गर्भपाल रस , पुष्पधन्वा रस , पुष्यानुग चूर्ण , सुपारी पाक , गर्भरक्षक योग स्पैशल गोल्ड ( यह हम निर्माण करते है ,जो कि बांझपन , बंद टयूबों आदि महिला के गर्भ संबंधी रोगों में इस्तेमाल करते है। ) वैद्य की देखरेख में इस्तेमाल कर सकते है। आपको स्वस्थ , सुंदर , तंदरुसत , लंबी आयु वाली संतान पैदा होगी । ज्यादा जानकारी या सफल इलाज के लिए मेरे निम्नलिखित नंबर पर Call & Whatsapp कर सकते है। Call time 8pm to 10pm only.
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