*लकवा ,फालिज -पक्षाघात Paralysis कष्टकारी रोग*
लकवा को फालिज या पक्षाघात Paralysis कहते है।
बहुत लोग इस रोग से प्रेशान है । इस रोग से रोगी अपने घर वालों के लिए बोझ बनकर रह जाता है । अपने काम खुद करने की बहुत दिक्कत हो जाती है ।जिनके बच्चे छोटे , कमाई का कोई साधन नही , उनके लिए तो दु:खों का पहाड़ टूट पढ़ता है । यह पोस्ट आपके लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होने वाली है । इस पोस्ट में मैं कुछ घरेलु उपाय और मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा लिखूंगा ।
ध्यान से पढ़े ।
मस्तिष्क की धमनी में किसी रुकावट के कारण उसके जिस भाग को खून नहीं मिल पाता है मस्तिष्क का वह भाग निष्क्रिय हो जाता है अर्थात मस्तिष्क का वह भाग शरीर के जिन अंगों को अपना आदेश नहीं भेज पाता वे अंग हिलडुल नहीं सकते और मस्तिष्क (दिमाग) का बायां भाग शरीर के दाएं अंगों पर तथा मस्तिष्क का दायां भाग शरीर के बाएं अंगों पर नियंत्रण रखता है। यह स्नायुविक रोग है तथा इसका संबध रीढ़ की हड्डी से भी है।लकवा रोग से पीड़ित रोगी के शरीर का एक या अनेकों अंग अपना कार्य करना बंद कर देते हैं। लकवा बांये अंग में ज्यादा खतरनाक है ।
लकवा आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम, अति आहार ,ज्यादातर प्रौढ़ आयु में ,युवावस्था में की गई गलतियाँ-भोग-विलास में अति करना, मादक द्रव्यों का सेवन करना, आलसी रहना आदि कारणों से शरीर का स्नायविक संस्थान धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है।
पक्षाघात तब होता है , जब अचानक मस्तिष्क के किसी हिस्से मे रक्त आपूर्ति रुक जाती है या मस्तिष्क की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं के आस-पास की जगह में खून भर जाता है। जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या मस्तिष्क में अचानक रक्तस्राव होने लगता है तो कहा जाता है कि आदमी को मस्तिष्क का दौरा पड़ गया है।
*लकवा के पाँच प्रकार है ,जो निम्नलिखित अनुसार है।*
अर्दित,एकांगवात,सर्वागवात,अर्धांगवात,बाल पक्षाघात
१)अर्दित - सिर्फ चेहरे पर लकवे का असर होने को अर्दित (फेशियल पेरेलिसिस) कहते हैं। अर्थात सिर, नाक, होठ, ढोड़ी, माथा तथा नेत्र सन्धियों में कुपित वायु स्थिर होकर मुख को पीड़ित कर अर्दित रोग पैदा करती है।
२)एकांगघात - इसे एकांगवात भी कहते हैं। इस रोग में मस्तिष्क के बाह्यभाग में विकृति होने से एक हाथ या एक पैर कड़ा हो जाता है और उसमें लकवा हो जाता है। यह विकृति सुषुम्ना नाड़ी में भी हो सकती है। इस रोग को एकांगघात (मोनोप्लेजिया) कहते हैं।
३)सर्वांगवात - इसे सर्वांगवात रोग भी कहते हैं। इस रोग में लकवे का असर शरीर के दोनों भागों पर यानी दोनों हाथ व पैरों, चेहरे और पूरे शरीर पर होता है, इसलिए इसे सर्वांगघात (डायप्लेजिया) कहते हैं।
४)अर्धांगवात - इस रोग में कमर से नीचे का भाग यानी दोनों पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं। यह रोग सुषुम्ना नाड़ी में विकृति आ जाने से होता है। यदि यह विकृति सुषुम्ना के ग्रीवा खंड में होती है, तो दोनों हाथों को भी लकवा हो सकता है। जब लकवा 'अपर मोटर न्यूरॉन' प्रकार का होता है, तब शरीर के दोनों भाग में लकवा होता है।
५)बाल पक्षाघात - बच्चे को होने वाला पक्षाघात एक तीव्र संक्रामक रोग है। जब एक प्रकार का विशेष कृमि सुषुम्ना नाड़ी में प्रविष्ट होकर वहाँ खाने लगता है, तब सूक्ष्म नाड़ियाँ और माँसपेशियां आघात पाती हैं, जिसके कारण उनके अधीनस्थ शाखा क्रियाहीन हो जाती है। इस रोग का आक्रमण अचानक होता है और प्रायः 6-7 माह की आयु से ले कर 3-4 वर्ष की आयु के बीच बच्चों को होता है।
* पक्षाघात की घरेलु चिकित्सा*
•लहसुन की कली 8-10 लेकर पीसकर ,शहद से चाटें ।
•लहसुन का आचार या चटनी भी ले सकते है ।
•आक के पत्तों का आचार बनाकर भी प्रयोग कर सकते है । इसकी मैंने पहले स्पैशल पोस्ट भी की थी ।
•सरसों के तैल 100ml में लहसुन 20gmऔर अजवायन 20gm को जला कर छानकर , मालिश के लिए प्रयोग करें ।
•एरण्ड पत्र, धतूरा पत्र, मदार पत्र, नागफनी का रस 50-50ml निकालकर कपड़े से निचोड़ लें । फिर 200ml सरसों के तैल में डालकर धीमी आग पर चढ़ाकर जब तक तैल मात्र न रह जाएं , तब तक पकाएं । फिर ठंडा होने पर छानकर प्रयोग में लें । इस तैल की सुबह-शाम मालिश करें । यह जोड़ो का दर्द , लकवा में बहुत उपयोगी है । आँखों से बचाएं ।
*पक्षाघात पर मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा*
*पक्षाघात नाशक मेरा सिद्ध योग*
PARALYSIS GO -WITH GOLD
वृहत वात चिंतामणि रस -3ग्राम
योगेंद्र रस - 3ग्राम
खंजनकारी रस -15गोली
एकांगवीर रस-6ग्राम
प्रवाल पंचामृत रस-6ग्राम
मुक्ता पिष्टी-6ग्राम
ब्राह्मी वटी- 6ग्राम
बच - 6ग्राम
अकरकरा ईरानी-6ग्राम
स्वर्ण भस्म -500mg
•दवा बनाने का तरीका•
सब दवा वैद्यनाथ,डाबर,या धूतपापेश्वर कंपनी की ही लें ।
सबसे पहले आप वृहत वात चिंतामणि रस,योगेंद्र रस को पीसे , फिर खंजनकारी रस, एकांगवीर रस,प्रवाल पंचामृत रस को पीस लें । फिर ब्राह्मी वटी को पीसकर मिला लें । उसके बाद मुक्ता पिष्टी मिला लें। फिर बच और अकरकरा का महीन पिसा चूर्ण मिला कर ।
90 पुड़िया बराबर मात्रा में मिला लें । बस आपकी लकवा की दवा तैयार है । यह मेरी अनुभूत दवा है ।
असमर्थ लोग स्वर्ण भस्म न डालें, इससे योग बहुत महंगा बनता है, लेकिन रिजल्ट साधारण योग से बहुत ज्यादा आते हैं।
```लेखक```
~सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
अमन आयुर्वेद,पंजाब
Call & WhatsApp 9915136138~
• विशेष•
यह मेरा अनुभूत नुस्खा है । जो कि किसी भी तरह के लकवा में बहुत ही प्रभावकारी सिद्ध हुई है । महंगी तो जरूर है । रोगी को सारी उम्र के लिए नकारा ,बेसहारा , बोझ जैसी जिंदगी के जीना न पड़े , उस हिसाब से तो बहुत सस्ती है । रिजल्ट देखकर पैसे भूल जाते है । अगर आप इसे बनाने में असमर्थ है तो मेरे से अडवांस बैंक पेमैंट करके भी कोरियर द्वारा मंगवा सकते है ।
•खाने की विधि•
सुबह-दोपहर-शाम एक-एक पुडियाँ
महारास्नादि काढा,बलारिष्ट,अशवगंधारिष्ट 15-15ml लेकर जल में मिलाकर खाने के बाद लें ।
*परहेज*
खट्टी तली चीजें,नमकीन,मेदा,बेसन,केला,अरबी,घी,तैल,मीट,शराब न लें ।
जो मांसाहारी है वह कबूतर सेवन किसी भी रूप में कर सकते है । जो शाकाहारी है वे मूंग की दाल लें । हल्का सुपाचय भोजन ही लें। पेट साफ होना जरूरी है । कब्ज न रहने दें ।
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