Saturday, October 28, 2023

OCD Brain problems Depression anxiety

OCD मानसिक रोग ? 

कई लोग जब घर से बाहर जाते हैं, तो मन में तरह-तरह की शंकाएं पनपने लगती हैं। मसलन, 'मैंने दरवाजा ठीक से बंद किया या नहीं?', 'लाइट के स्विच बंद किए या नहीं?' आदि। इसी प्रकार बड़ी रकम गिनते समय हम एक से अधिक बार गिनते हैं, ताकि गलत रकम गिनने में न आ जाए। अगर हमने किसी गंदी चीज को छुआ है, तो हम अच्छी तरह साबुन मलकर हाथ धोएंगे... और फिर सामान्य हो जाएंगे।मगर कुछ लोग यूं सामान्य नहीं हो पाते। वे बार-बार इन प्रक्रियाओं से गुजरते हैं और ऐसी शंकाएं उन्हें लंबे समय तक परेशान करती रहती हैं। इस प्रकार बार-बार विचारों या क्रियाओं की पुनरावृत्ति से वे विचलित हो जाते हैं। इस परेशानी, इस बेचैनी के कारण वे अपने रोजमर्रा के कार्यों पर एकाग्र नहीं हो पाते और सामान्य जीवन नहीं जी पाते। इस मनःस्थिति कोऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर या ओसीडी कहा जाता है।ललिता एक गृहिणी है। अपने पति व दो बच्चों के परिवार को बखूबी संभालती है, लेकिन पिछले तीन महीनों से वह काफी परेशान है। उसे बार-बार यह विचार आता है कि उसका शरीर व हाथ गंदे हैं, पति व बच्चे भी गंदे हैं, जबकि वह भी जानती है कि यह सच नहीं है, घर में सभी रोज नहाते हैं और बाहर से आने पर तुरंत हाथ-मुंह धोते हैं। फिर भी वह इन विचारों से मुक्त नहीं हो पाती। वह बार-बार साबुन से रगड़-रगड़कर हाथ-पैर धोती है। एक बार धोकर उसे आश्वस्त होती है कि अब वह साफ है, लेकिन कुछ ही देर में फिर शक हो उठता है कि कहीं हाथ-पैर पूरी तरह साफ होने से रह तो नहीं गए और वह फिर हाथ-पैर धोने के उपक्रम में लग जाती है। कई बार घर की झाड़ू लगाती है, कपड़े-परदे वगैरह भी बार-बार धोती है। कोई मना करे तो विचलित हो जाती है।पैंतीस वर्षीय रहमान सेल्समैन हैं। उसकी पत्नी उसे अस्पताल लेकर आई। रहमान ने काम करना बंद कर दिया था और घर से बाहर निकलना भी। पूछने पर बताया कि वह बाहर जाने से डरता है, लेकिन किस चीज के डर से वह बाहर नहीं निकलता, यह उसने नहीं बताया। वह रसोईघर में जाने से भी मना करता है और ब्लेड, कैंची, स्क्रूड्राइवर आदि छूने से भी। डॉक्टर द्वारा विस्तार से बात करने पर उसने कहा कि उसे लगातार किसी को मारने या धक्का देने के विचार आते हैं। उसे डर लगता है कि कहीं वह इन विचारों पर अमल न कर बैठे और इसीलिए घर से नहीं निकलना चाहता।ये दोनों ही उदाहरण ओसीडी के हैं। ऐसे कई अन्य प्रकार के विचारों व क्रियाओं के वशीभूत होकर व्यक्ति ओसीडी का शिकार हो जाता है।ओसीडी के सामान्य लक्षण-कोई ऐसा अनचाहा आवेश या अंतःप्रेरणा जो बगैर आपकी इच्छा के आपके दिमाग से शुरू होती है और आप ही यह भी समझते हैं कि यह व्यर्थ है।-इस प्रकार के किसी व्यर्थ विचार के कारण आप चिंतातुर महसूस करते हैं। आपके द्वारा किया जाने वाला व्यर्थ कार्य अनैच्छिक, अनियंत्रित और अस्वीकार्य है।-आप भी जानते हैं कि यह कार्य अतार्किक और यहाँ तक कि मूर्खतापूर्ण है।-आप इस स्थिति से छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर पाते।

विभिन्न विचार व बाध्यताएं आक्रामकता से जुड़े :
किसी को नुकसान पहुंचाने व मारने के विचार। आग लगाने, लूटपाट करने संबंधी विचार।गंदगी से जुड़े :अपशिष्ट पदार्थों संबंधी विचार आना, धूल, बैक्टीरिया, वायरस संबंधी बीमारियों के बारे में अत्यधिक चिंतित रहना।

परिपूर्णता की चाह :
हर कार्य बिलकुल 'परफेक्ट' तरीके से करने का जुनून। वस्तुओं को एक खास अंदाज में, बिलकुल 'सलीके' से जमाने की जिद।

साफ-सफाई संबंधी :
बार-बार हाथ धोना, फर्श की सफाई करना।गिनना, निरीक्षण करना :चलते समय सड़क पर बिजली के खंभों को गिनने की तीव्र इच्छा, हर पेड़ को छूते हुए निकलना, रुपयों को कई-कई बार गिनना, लाइट के स्विच, ताले आदि बार-बार चेक करना।

अन्य :
परेशान कर देने वाले चित्र बार-बार देखना, लगातार एक प्रश्न पूछना, वास्तविक या काल्पनिक गलती के लिए बार-बार पश्चाताप करना।कारणइस बीमारी का कोई निश्चित कारण ज्ञात नहीं है। इस विषय पर अनुसंधान जारी है। अभी तक के अनुसंधानों से यह पता चला है कि यह जैविक तथा सायकोडायनेमिक कारकों की अंतःक्रिया के कारण होती है। यह भी पाया गया है कि ओसीडी मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक रसायन की कमी के कारण होता है। इसका कारण आनुवंशिक भी हो सकता है।

उपचार दवाइयां :ऐसी प्रभावशाली दवाइयां हैं जो मस्तिष्क की कोशिकाओं में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ाती हैं। डॉक्टर के बताए अनुसार लंबे समय तक दवाइयां लेना होती हैं। कभी-कभी चिंताओं को दूर करने वाली दवाइयां भी इसमें शामिल की जाती हैं।

बिहेवियर थैरेपी :
रोगी को रिलेक्स होने के व्यायाम सिखाए जाते हैं। उसे इन विचारों से मुक्त होने के लिए कुछ तकनीकें सिखाई जाती हैं। रोगी को संगीत, पेंटिंग आदि हॉबीज़ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।आदी होने की प्रक्रिया द्वारा :गंदगी संबंधी विचारों के मामले में इलाज के तौर पर रोगी को कुछ समय तक गंदगी से रूबरू कराया जाता है। उससे कहा जाता है कि वह ज्यादा से ज्यादा समय तक हाथ धोने से बचे। धीरे-धीरे वह इन विचारों से मुक्ति पाना सीख जाता है।

अगले भाग में मैं अपनी कई वर्षों  की खोज पर आधारित अनुभूत चिकित्सा लिखूंगा जो कि आपको सदा सदा के लिए इस दलदल से बाहर निकाल देगी । 

हम इसकी दवा करते हैं जो कि गोली/कैप्सूल में उपलब्ध रहती है। Result 100% 

सदैव आपका अपना शुभचिंतक 
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
अमन आयुर्वेद 144205, पंजाब 
Call & WhatsApp 9915136138

चलता हूं.....रब्ब राखा
#VaidAmanCheema #AmanAyurved

Thursday, October 26, 2023

Depression OCD Brain Power

Depression, fear , phobia, Anxiety, Brain Power Pills || Dimag e sikandar Pills || 

कुछ घरेलू नुस्खे जो आपकी तकलीफ को कम कर सकते हैं। Permanent इलाज के लिए आप निम्नलिखित दिमाग एक सिकंदर गोलियां का इस्तेमाल करें। 

: घरेलु उपाय : देशी नुस्खें :

1. काली मिर्च और बादाम की सात- सात लेकर पानी में भिगों दे और कुछ समय बाद उसे थोड़ा पानी में पीस ले | इसे  रोजाना पियें | इसे पीने से दिमागी ताकत बढ़ती है |

2. शक्कर और रूमी मस्तगी बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस लें और सुबह – शाम दो-दो माशे इस्तेमाल करें | इससे याददाश्त बहुत बढ़ती है |

3. बासी मुह सुबह उठकर शाम का रखा हुआ पानी पियें | यह दिमाग की तरावट के लिए बहुत ही अच्छा इलाज है और लगातार पीने से याददाश्त बढ़ती है |

:आयुर्वेदिक इलाज : मेरा अनुभूत नुस्खा :

★“दिमाग-ए-सिकंदर”★ गोलियाँ 
    मेरा अनुभूत नुस्खा”

स्मृतिसागर रस 6ग्राम
अशवगंधा घनसत्व 15ग्राम , 
मालकंगनी 15 ग्राम,
जटामांसी घनसत्व 10ग्राम,
त्रिबंग भस्म 5 ग्राम ,
अभ्रक भस्म 3ग्राम 1000पुट्टी,
मुक्ता पिष्टी 5ग्राम , 
रजत भस्म 3 ग्राम, 
स्वर्ण भस्म 300 मिलीग्राम 
ब्राह्मी के ताजा पत्तों के रस में घुटाई करके 60 गोली बनाकर रख लें। 

स्वर्ण रजत मोती अभ्रक बहुमूल्य योग है , इसलिए बहुत महंगा बनता है। लेकिन रिजल्ट देखकर पैसे भूल जाएंगे। 

हमसे आप तैयार लें सकते हैं। 

 सुबह-शाम 1-1गोली  मलाई,शहद से चाटकर ऊपर से दूध पीएं। यह आप खाने के 1घंटे पहले ले सकते है । आशा है ,आप लोग मेरे द्वारा दिए गए कीमती अनुभूत नुस्खे से लाभ उठाएंगे, और अपने मित्रों को भी लाभपात्र बनाएंगे । इसका सेवन विद्यार्थियों , अध्यापकों , दिमागी काम करने वालों के लिए भी बहुत उपयोगी है।
ऐसे लोगों के लिए सिर्फ 60 गोली ही काफी है। 

इन गोलियां को मंदबुद्धि भी ले सकते है। 
यह गोलियां OCD , depression, Anxiety,fear , phobia etc.all Brain problems के लिए बहुत लाभदायक है। ऐसे रोगियों के लिए दवा की मात्रा,कितना  समय खानी पड़ेगी यह हम diagnose के बाद रोग और रोगी की स्थिति अनुसार ही सैट करते हैं।

 दिमागी रोगों के लिए यह गोलियां मेरे दवाखाने पर बहुत प्रयोग होती है। एक बार जरूर लाभ उठाएं। 

आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार के लिए आप अपने मित्रों को हमारे साथ जोड़े । खुद ही लाभ न लेकर लोगों को भी लाभ मिलें , पोस्टें शेयर जरूर करें । 
 
ऐसे नुस्खों के लिए आप जुड़े रहे और पोस्टें पढ़ते रहे । 
अलविदा , रब्ब राखा । रब्ब खैर करे.....

✍️लेखक 
आपका अपना शुभचिंतक
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
अमन आयुर्वेद 144205 पंजाब
Call & WhatsApp 09915136138

Share करना ना भूलें।
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Wednesday, October 25, 2023

Asthma दमा

•दमा नाशक नुस्खा( मेरा अनुभूत)•

दमा, फेफड़ों से उत्पन्न श्वसन अव्यवस्था की वजह से होता है । दमा सामान्य श्वास को प्रभावित करता है; दमा के रोगी के लिए नियमित शारीरिक गतिविधियाँ कठिन या असंभव हो जाती हैं। अगर सही इलाज में देरी हो जाए तो दमा जानलेवा हो सकता है।

 बढ़ते प्रदूषण जैसे कारकों के कारण,दमा जैसे श्वसन रोग चिंताजनक रूप से फैलते जा रहें हैं ।

 विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि भारत में लगभग 20 मिलियन दमा रोगी हैं।

 दमा का प्रहार आम तौर पर 5 से 11 साल के बीच के बच्चों में भी होता है।श्वसन के दौरान, जिस हवा में हम सांस लेते हैं वह नाक, गले और फेफड़ों में जाती है। दमा तब होता है जब वायुपथ  फेफड़ों तक बढ़ जाता है और आसपास की मांसपेशियों को आसपास की मांसपेशियों को कसने लगता है। इससे बलगम बनता है जिससे वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है जो आगे फेफड़ों में ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकता है। इसके फलस्वरूप दमा दौरा से खांसी आदि होती  है।

★मेरा अनुभूत देशी नुस्खा:-
हल्दी 100 ग्राम लेकर तुम्बा,( तुम्मा , इन्द्रायण फल) 
( जो पकी न हो रसदार हो) तुन्बे को थोडा ऊपर से काट कर उस में हल्दी की गांठे भर दें।

उसके बाद तुम्बी का काटा भाग ऊपर जोडकर धागे से लपेटकर धूप में सूखने के लिए छोड़ दे , जब सूख जाए , हिलाने पर खड़खड़ की आवाज आने लगे समझो सूख गया , उसमें सें हल्दी निकालकर कूटकर छान लें कपड़े से , फिर इस हल्दी में 10 ग्राम फिटकरी भस्म (धतूरे और आक के दूध में बनाई हुई) 10 ग्राम टंकण भस्म मिला कर काँच की शीशी में भरकर रख लें।

सेवन कैसे करें ? 
1-3 ग्राम दवा सुबह - शाम 
100ml गरम पानी में 25ml कनकासव मिलाकर दवा लीजिए। 
( कनकासव पीने वाली दवा है। यह आयुर्वेद का शास्त्री योग है , बाजार में इसी नाम से बना बनाया मिलेगा)

चालीस दिन में दवा प्रयोग से पुराना जुकाम और 60-90 दिन में पुराना दमा ठीक हो जाता है। 

कोई भी दवा लेने से पहले , बनाने से पहले कुशल आयुर्वेदिक चिकित्सक का मार्गदर्शन जरुरी है। 

चलता हुँ ... रब्ब राखा 

✍️सदैव आपका अपना
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा, 
अमन आयुर्वेद 144205, पंजाब
Call & WhatsApp 9915136138

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किसी भी गंभीर और लाइलाज रोग के लिए मुझसे उपरोक्त नंबर पर संपर्क कर सकते है ।

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Tuesday, October 24, 2023

बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना

अपने बच्चों को एक बार यह नुस्खा इस्तेमाल करवा दीजिए , फिर कभी बिस्तर गीला नहीं करेगा 

जब बच्चा पांच साल से ऊपर हो जाता है तो फिर भी सोते समय बिस्तर पर पेशाब कर दें तो रोग कहलाता है। यह रोग ज्यादा तर 10-15 तक के बच्चों में ज्यादा देखा जाता है। कई बार तो ऐसे रोगियों की चिकित्सा का मौका भी मिलता है जो शादी के बाद भी इस समस्या से ग्रस्त पाएं जाते है। 5-10 साल तक के बच्चों के लिए जो पांच उपाय लिखे हैं , बहुत अच्छा रिजल्ट देते हैं। 10 से ऊपर उम्र वाले या पुराने रोगियों का इलाज आयुर्वेद दवा से करवाना चाहिए। 
असल में इस रोग का कारण मसाने की कमजोरी होती है। इस रोग की वजह से शादीशुदा लोग असली आनंद से वंचित रह जाते हैं। जब हमारे पास इलाज के लिए आते हैं तो हम समस्या का जड़ से इलाज कर देते हैं। मरीज पूरे आनंद से जीवन व्यतीत करने लग जाता है। 

*बच्चों का बिस्तर पर पेशाब करना*
पाँच नुस्खें - कोई एक नुस्खा ही इस्तेमाल करवाना है। 

|| पहला उपाय ||
*(१) काले तिल 50ग्राम ,
*(२) अजवायन 25 ग्राम,
*(३)गुड 100 ग्राम 
इन तीनों को मिलाकर 8-8 ग्राम के लड्डू बना लें |
सुबह - शाम 1-1 लड्डू खाने से बार-बार पेशाब और बिस्तर पर पेशाब की बीमारी ठीक होगी |यह नुस्खा बहुत बार अजमाया है। लाभकारी है। 

|| दूसरा उपाय ||
(१) अखरोट आधा नग 
(२) किशमिश 5 नग
यह दो - तीन हफ्ते रोज खिलाओ |

|| तीसरा उपाय || 
(१) सोते वक्त शहद चटवाएं , बहुत लाभ होगा |

|| चौथा उपाय || 
(१) 1 ग्राम आँवला चूर्ण 
(२) 1ग्राम पिसा जीरा 
(३) 2 ग्राम पीसी मिश्री 
यह तीनों मिलाकर ,4 खुराक बना लें। सुबह शाम एक एक खुराक की फंकी लें , उपर से ठंडा पानी पिला दें |

|| पाँचवा उपाय ||
1 छुहारा रोज दूध में उबालकर , चबाकर ऊपर से दूध पिला दें। 

अगर आप बहुत उपाय करके हार चुके हैं , या बहुत दवाएं खिला चुके हैं तो हमारे दवाखाने पर तैयार “बाल मूत्रांतक गोली“ सिर्फ 15 गोली का कोर्स करवा दें। दुबारा कभी समस्या नहीं आएगी। 5-10 साल के बच्चों के लिए यह इतनी गोलियां ही काफी है। कीमत सिर्फ 850 रु है। No extra charge. 

10 साल से ऊपर वालों के लिए दवा की मात्रा , इलाज की अवधि, खर्च ज्यादा हो सकता है। 

पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर कर दें , किसी जरूरतमंद के काम आ सकती है। 

✍️सदैव आपका अपना
वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
अमन आयुर्वेद 144205,पंजाब 
Call & WhatsApp 099151 36138 

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