OCD मानसिक रोग ?
कई लोग जब घर से बाहर जाते हैं, तो मन में तरह-तरह की शंकाएं पनपने लगती हैं। मसलन, 'मैंने दरवाजा ठीक से बंद किया या नहीं?', 'लाइट के स्विच बंद किए या नहीं?' आदि। इसी प्रकार बड़ी रकम गिनते समय हम एक से अधिक बार गिनते हैं, ताकि गलत रकम गिनने में न आ जाए। अगर हमने किसी गंदी चीज को छुआ है, तो हम अच्छी तरह साबुन मलकर हाथ धोएंगे... और फिर सामान्य हो जाएंगे।मगर कुछ लोग यूं सामान्य नहीं हो पाते। वे बार-बार इन प्रक्रियाओं से गुजरते हैं और ऐसी शंकाएं उन्हें लंबे समय तक परेशान करती रहती हैं। इस प्रकार बार-बार विचारों या क्रियाओं की पुनरावृत्ति से वे विचलित हो जाते हैं। इस परेशानी, इस बेचैनी के कारण वे अपने रोजमर्रा के कार्यों पर एकाग्र नहीं हो पाते और सामान्य जीवन नहीं जी पाते। इस मनःस्थिति कोऑब्सेसिव कम्पलसिव डिसऑर्डर या ओसीडी कहा जाता है।ललिता एक गृहिणी है। अपने पति व दो बच्चों के परिवार को बखूबी संभालती है, लेकिन पिछले तीन महीनों से वह काफी परेशान है। उसे बार-बार यह विचार आता है कि उसका शरीर व हाथ गंदे हैं, पति व बच्चे भी गंदे हैं, जबकि वह भी जानती है कि यह सच नहीं है, घर में सभी रोज नहाते हैं और बाहर से आने पर तुरंत हाथ-मुंह धोते हैं। फिर भी वह इन विचारों से मुक्त नहीं हो पाती। वह बार-बार साबुन से रगड़-रगड़कर हाथ-पैर धोती है। एक बार धोकर उसे आश्वस्त होती है कि अब वह साफ है, लेकिन कुछ ही देर में फिर शक हो उठता है कि कहीं हाथ-पैर पूरी तरह साफ होने से रह तो नहीं गए और वह फिर हाथ-पैर धोने के उपक्रम में लग जाती है। कई बार घर की झाड़ू लगाती है, कपड़े-परदे वगैरह भी बार-बार धोती है। कोई मना करे तो विचलित हो जाती है।पैंतीस वर्षीय रहमान सेल्समैन हैं। उसकी पत्नी उसे अस्पताल लेकर आई। रहमान ने काम करना बंद कर दिया था और घर से बाहर निकलना भी। पूछने पर बताया कि वह बाहर जाने से डरता है, लेकिन किस चीज के डर से वह बाहर नहीं निकलता, यह उसने नहीं बताया। वह रसोईघर में जाने से भी मना करता है और ब्लेड, कैंची, स्क्रूड्राइवर आदि छूने से भी। डॉक्टर द्वारा विस्तार से बात करने पर उसने कहा कि उसे लगातार किसी को मारने या धक्का देने के विचार आते हैं। उसे डर लगता है कि कहीं वह इन विचारों पर अमल न कर बैठे और इसीलिए घर से नहीं निकलना चाहता।ये दोनों ही उदाहरण ओसीडी के हैं। ऐसे कई अन्य प्रकार के विचारों व क्रियाओं के वशीभूत होकर व्यक्ति ओसीडी का शिकार हो जाता है।ओसीडी के सामान्य लक्षण-कोई ऐसा अनचाहा आवेश या अंतःप्रेरणा जो बगैर आपकी इच्छा के आपके दिमाग से शुरू होती है और आप ही यह भी समझते हैं कि यह व्यर्थ है।-इस प्रकार के किसी व्यर्थ विचार के कारण आप चिंतातुर महसूस करते हैं। आपके द्वारा किया जाने वाला व्यर्थ कार्य अनैच्छिक, अनियंत्रित और अस्वीकार्य है।-आप भी जानते हैं कि यह कार्य अतार्किक और यहाँ तक कि मूर्खतापूर्ण है।-आप इस स्थिति से छुटकारा पाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा नहीं कर पाते।
विभिन्न विचार व बाध्यताएं आक्रामकता से जुड़े :
किसी को नुकसान पहुंचाने व मारने के विचार। आग लगाने, लूटपाट करने संबंधी विचार।गंदगी से जुड़े :अपशिष्ट पदार्थों संबंधी विचार आना, धूल, बैक्टीरिया, वायरस संबंधी बीमारियों के बारे में अत्यधिक चिंतित रहना।
परिपूर्णता की चाह :
हर कार्य बिलकुल 'परफेक्ट' तरीके से करने का जुनून। वस्तुओं को एक खास अंदाज में, बिलकुल 'सलीके' से जमाने की जिद।
साफ-सफाई संबंधी :
बार-बार हाथ धोना, फर्श की सफाई करना।गिनना, निरीक्षण करना :चलते समय सड़क पर बिजली के खंभों को गिनने की तीव्र इच्छा, हर पेड़ को छूते हुए निकलना, रुपयों को कई-कई बार गिनना, लाइट के स्विच, ताले आदि बार-बार चेक करना।
अन्य :
परेशान कर देने वाले चित्र बार-बार देखना, लगातार एक प्रश्न पूछना, वास्तविक या काल्पनिक गलती के लिए बार-बार पश्चाताप करना।कारणइस बीमारी का कोई निश्चित कारण ज्ञात नहीं है। इस विषय पर अनुसंधान जारी है। अभी तक के अनुसंधानों से यह पता चला है कि यह जैविक तथा सायकोडायनेमिक कारकों की अंतःक्रिया के कारण होती है। यह भी पाया गया है कि ओसीडी मस्तिष्क में सेरोटोनिन नामक रसायन की कमी के कारण होता है। इसका कारण आनुवंशिक भी हो सकता है।
उपचार दवाइयां :ऐसी प्रभावशाली दवाइयां हैं जो मस्तिष्क की कोशिकाओं में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ाती हैं। डॉक्टर के बताए अनुसार लंबे समय तक दवाइयां लेना होती हैं। कभी-कभी चिंताओं को दूर करने वाली दवाइयां भी इसमें शामिल की जाती हैं।
बिहेवियर थैरेपी :
रोगी को रिलेक्स होने के व्यायाम सिखाए जाते हैं। उसे इन विचारों से मुक्त होने के लिए कुछ तकनीकें सिखाई जाती हैं। रोगी को संगीत, पेंटिंग आदि हॉबीज़ पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।आदी होने की प्रक्रिया द्वारा :गंदगी संबंधी विचारों के मामले में इलाज के तौर पर रोगी को कुछ समय तक गंदगी से रूबरू कराया जाता है। उससे कहा जाता है कि वह ज्यादा से ज्यादा समय तक हाथ धोने से बचे। धीरे-धीरे वह इन विचारों से मुक्ति पाना सीख जाता है।
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वैद्य अमनदीप सिंह चीमा
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