सभी को धन्वंतरि त्रयोदशी की हार्दिक शुभकामनाएं
श्री गणेशाय नम: श्री महालक्ष्मै नम: श्री धन्वन्तयै नम:
आप सब मित्रों को ( धन्वन्तरि त्रयोदशी )धनतेरस की बहुत- बहुत शुभकामनाएं ।
★धन्वन्तरि त्रयोदशी दीवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है ।जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है कि इसे कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है । इस दिन को भगवान धन्वन्तरि ,जो कि आयुर्वेद के गुरू और पिता है,उनके जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है । इसदिन धन्वन्तरि का जन्म हुआ था । भगवान धन्वन्तरि देवताओ के चिकित्सक है और भगवान विष्णु जी के अवतारों में से एक माने जाते है । धन्वन्तरि त्रयोदशी के दिन को धन्वन्तरि दिवस के नाम से भी जाना जाता है ।
★भगवान धन्वन्तरि जी को हिन्दु धर्म में देवताओ का वैद्य कहा गया है ।ये एक महान चिकित्सक थे ।जिन्हे देव पद प्राप्त हुआ ।
★पुराणों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वन्तरि इसी दिन अमृत पात्र के साथ प्रकट हुए थे ।
शरद पुर्णिमा को चंद्रमा ,कार्तिक द्वादशी को कामधेन् गाय,त्रयोदशी को धन्वन्तरि ,चतुर्दशी को काली माता ,और अमावस्या को भगवती लक्ष्मी जी का पार्दुर्भाव हुआ था,इसलिए दीपावली के दो दिन पहले यह पर्व मनाया जाता है । इसी दिन इन्होने आयुर्वेद का पार्दुर्भाव किया था ।
★इसीलिए जो लोग आयुर्वेद दवाओ का अभ्यास करते है । उनके लिए यह दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है ।इस दिन लोग भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते है और उनसे अच्छे स्वास्थ की प्रार्थना करते है ।
★इन्हे भगवान विष्णु का रूप माना जाता है ।जिनकी चार भुजाएं है । ऊपर की दोनों भुजाओ में शंख और चक्र धारण किए हुए है । जबकि अन्य दोनों भुजाओ में से एक में जलूका और औष्धि ओर दूसरे में कलश है । इनका प्रिय धातु पीतल माना जाता है ।इसलिए धनतेरस को पीपल आदि के बर्तन खरीदने की परंपरा भी है ।
★आयुर्वेदिक चिकित्सक इन्हे आरोग्य का देवता कहते है । इन्होने ही अमृतमय औष्धियों की खोज की थी ।इनके वंश में दिवोदास हुए,जिन्होने “शल्य चिकित्सा" का विश्व का पहला विद्यालय काशी में स्थापित किया जिसके प्राधानाचार्य सुश्रुत बनाए गए ।उन्होने ही सुश्रुत संहिता लिखी थी ।सुश्रुत विशव के पहले सर्जन थे ।
★इसी दिन धनत्रयोदशी या धनतेरस का पर्व भी मनाया जाता है । धनत्रयोदशी के संदर्भ मे यह दिन धन और समृद्धि से सम्बंधित है । लक्ष्मी-कुबेर पूजा के लिए यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है । इसदिन लोग धन - संपत्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के साथ- साथ भगवान कुबेर की भी पूजा की जाती है । भगवान कुबेर जिन्हे धन- संपत्ति का कोषाध्यक्ष माना जाता है और लक्ष्मी जिन्हे धन- संपत्ति की देवी माना जाता है ,की पूजा साथ में की जाती है । परंतु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए अच्छी सेहत चाहिए जो कि भगवान धनवंतरि उन्हे देते है ।
🙏श्री धन्वन्तरि जी की आरती🙏
ॐ जय धन्वन्तरि देवा , प्रभु जय धन्वन्तरि देवा ।
जरा रोग से पीड़ित , जन जन सुख देवा ।।
तुम समुद्र से निकले , अमृत कलश लिए , प्रभु अमृत कलश लिए । आदिवासुर के संकट आकर दूर किये । ॐ जय ......
आयुर्वेद बनाया , जग में फैलाया , प्रभु जग में फैलाया ।
सदा स्वस्थ रहने का साधन बतलाया , ॐ जय धन्वन्तरि
भुजा चारि अति सुन्दर शंख सुधा धारी । प्रभु शंख ........
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी , ॐ जय धन्वन्तरि देवा ...
तुमको जो नित ध्यावे , रोग नहीं आवे , प्रभु रोग ........
असाध्य रोग भी उसका निश्चय मिट जावे । ॐ जय ......
हाथ जोड़ कर प्रभु जी दास खड़ा तेरा । प्रभु जी दास ..
वैद्य समाज तुम्हारे चरणों का चेरा । ॐ जय .....
धन्वन्तरि जी की आरती जो कोई गावे । प्रभु प्रेम सहित गावे ।
रोग शोक नहीं आवे , सुख समृद्धि पावे । ॐ जय धन्वन्तरि देवा ,
प्रभु जय धन्वंतरि देवा ,जरा रोग से पीड़ित जन जन को सुख देवा
🙏 जै आयुर्वेद जै धनवंतरी 🙏
आपका अपना शुभचिंतक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ नाड़ी वैद्य,पंजाब
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