Wednesday, February 22, 2017

Sinusitis साइनस

Sinusitis साइनोसाइटिस एक बेहद कष्टदायक रोग

इस रोग से बहुत लोग दु:खी है । ऐलोपैथ में लोग भागकर चला जाता है । जो कि दवाईयाँ खाता रहता है लेकिन कोई सही इलाज नही मिल पाता । अाप घबराएं नही , आयुर्वेद में इसकी सफल चिकित्सा है । मैं आपको अच्छी , सही चिकित्सा लिखूंगा जो आपको एलोपेथ दवाओं से बचाएगी और जो साथ में गिफ्ट में रोग मिलते है उनसे भी बचाव होगा ।  यह एक तरह का cold है जो साइनस के affect होने से होता है। साइनस (Sinus) हवा से भरी खोखली छोटी-छोटी गुहा रूपी structures हैं, जो nose के आसपास चेहरे  व सिर की bones के inside होते हैं तथा nose के inside खुलते है।
जैसे both side face की bones में maxileri साइनस,
nose के ऊपर head में frontal साइनस,
eyes के पास ethmoid साइनस तथा
inside part में बीचोबीच mind से सटा sfenoid साइनस।
Sinusitis साइनस व आइटिस से मिलकर बना शब्द है, जिसका मतलब है साइनस के inside swelling आना। बहुत लोगों को इस problem में साइनस के साथ nose भी affect होती है इसलिए इसके लिए rainosities word का use भी किया जाता है। Related साइनस से nose के inside खुलने वाला austriyo छिद्र close हो जाता है। इसके अंदर बने mucusके मार्ग में बाधा start होने से कई समस्याएं पनपने लगती हैं। सब से ज्यादा maxileri साइनस (Sinus), फिर ethmoid साइनस, फिर frontal व सबसे कम sfenoid साइनस affect होते हैं। सभी साइनस एक साथ affect होने पर इस stage को pain sinusitis कहा जाता है। यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करने वाली एक साधारण समस्या है। हर साल प्रत्येक दस में तीन लोग इस रोग से पीड़ित हो जाते हैं। लगभग 15% में साइनस की समस्या पुरानी रहती है। 4 हफ्तों से कम समस्या रहने पर नई व 3 माह से अधिक रहने पर chronic Sinusitis कहलाती है।

कारण: – इस रोग के मुख्य कारण में नाक व साइनस में सूजन तथा एलर्जी बने रहना है। नाक के अंदर कई समस्याएं इसका कारण बन सकती हैं। जैसे हड्डी का टेढ़ापन। deviated nasal septum, terminates का बढ़ना, adenoids tissue बढ़ना, pollips का बनना आदि। 20% में maxileri साइनसाइटिस का कारण दांतो की समस्या होती है। बढ़ता प्रदूषण, गंदे पानी में swimming करना भी इसका कारण बन सकता है। लम्बे समय तक allergy रहने पर साइनस के inside की mucosa झिल्ली फूलकर रसोली (गांठ) जैसा आकार ले लेती है। इनको pollips कहते हैं। virus, bacteria के अलावा fungus भी साइनस infection का कारण होते हैं।

लक्षण: –सिर दर्द, भारीपन व संबंधित साइनस की जगह पर stress महसूस होता है। साइनस का दर्द आगे झुकने पर प्राय: बढ़ जाता है। बुखार, कमजोरी, सूंघने की शक्ति में कमी, सांस में बदबू आना। जैसे लक्षण हो सकते हैं। इंफेक्शन रिसाव के नाक के पीछे से throught में post nasal drip के रूप में टपकने से गला damage रहता है। खांसी बनी रह सकती है। nose से ear को जाने वाली Eustachian tube के प्रभावित होने पर ear में infection, भारीपन व hearing में problem हो सकती हैं। इलाज न होने पर आँखें और दिमाग की नजदीकी के कारण इन हिस्सों के प्रभावित होने की आशंका रहती है। इससे ओर vital cellulite, मेनिन्जाइटिस, cavernous साइनस thrombosis जैसी जटिल situation हो सकती है।

जांच व उपचार: Nasal endoscopy द्वारा nose व साइनस को दूरबीन की मदद से पर्दे पर देखा जाता है। C.T.scan से सभी साइनस की real situation व अन्य important structure के बारे में जानकारी मिल जाती है। antibiotics, anti allergic anti clock spray के प्रयोग से ज़्यादातर लोगों में इस समस्या को ठीक किया जा सकता है। Steam का परयोग भी लाभकारी होता है। बार-बार लंबे समय तक साइनस infection का कारण यदि हड्डी का टेढ़ापन, pollip या बढ़े हुए adenoids हैं तो इन्हे ठीक करना भी जरूरी होता है।  Allopathic डाकटर जब रोग पकड़ में न आए तो surgery के लिए बोल देते है। इसे fuctional endoscopic साइनस surgery कहते हैं। इसमें बिना बाहरी चीर-फाड़ के दूरबीन की मदद से नाक के अन्दर साइनसेज के Austina को खोल दिया जाता है, जिससे mucus का रास्ता सुचारु हो जाता है अन्य technique balloon sinoplasty है, जिसमें पतले लचीले balloon को फूलकर साइनस के खोल को चौड़ा किया जाता है। मेरे पास बहुत मरीज अाप्रेशन करवा कर भी जब ठीक नही होते तो इलाज के लिए आते है । आयुर्वेद चिकित्सा करवाने के बाद उन्हे कभी किसी तरह की समस्या नही आती । अपना जीवन साधारण मनुष्य की तरह बिताते है ।
कुछ उपाय बता रहा हुँ .... परयोग करें ।

Sinusitis साइनोसाइटिस का मेरा आयुर्वेदिक अनुभूत इलाज:-

नुस्खा नं:१
100ग्राम देशी हल्दी को देशी घी में भूनकर ठंडा होने के बाद ,उसमें 200ग्राम त्रिफला , 50ग्राम सफेद मिर्च , दालचीनी 50ग्राम , छोटी इलाची बीज 5ग्राम कूट पीसकर,छानकर सबको मिलाकर रख लें ।
सुबह-शाम 1-1चम्मच चूर्ण गर्म पानी या दूध से लें ।

नुस्खा नं:२
महालक्षमी विलास रस 1गोली ,
पुनर्नवादि मंडूर 2गोली ,
अरोग्यावर्धनी वटी 1गोली
चयवनप्राश 20ग्राम
सुबह खाली पेट चाटकर, थोड़ा गर्म पानी या चाय पी लें ।

नुस्खा नं:३
नवजीवन रस 5ग्राम
टंकण भस्म 10ग्राम
महालक्षमी विलास रस 6ग्राम
पुनर्नवादि मंडूर 15ग्राम
गोदंती भस्म 10ग्राम
ताप्यादि लोह नं१ - 5ग्राम
मधुयष्ठी चूर्ण 20ग्राम

सबको मिलाकर 60पुडिया बना लें । सुबह-शाम शहद से एक-एक पुडियाँ चाटकर ऊपर से कनकासव 2-2चम्मच गर्म पानी में मिलाकर खाने के  १ घंटे बाद लें ।

नुस्खा नं:४
मेरा बेसन वाला नुस्खा , जो पहले लिख चुका हुँ । रात का खाना छोड़कर , बनाकर खाएं । साथ में नाक में किसी भी कंपनी ( वैद्यनाथ,डाबर , पतंजली ) का रात को सोते समय सिर टेढ़ा करके नाक में चार-चार बूंद डालें । 10-15मिन्ट पूरा सिर टेढ़ा करके रखें । उसके बाद 1घंटे तक पहले और बाद में कोई भी तरल चीज न लें ।
आप यह दवाओ का परयोग करके सदा के लिए इस रोग के लिए छुटकारा पा सकते है । 

जरूरी सूचना :- नुस्खा नं:२और नुस्खा नं:३ में से कोई एक ही परयोग करें । बाकी सारे परयोग करने है । यानि Total तीन नुस्खें परयोग करने है ।    चलता हुँ ....

लेखक
सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ,पंजाब
संस्थापक कोहिनूर आयुर्वेदिक दवाख़ाना
WHATSAPP 9915136138

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