Wednesday, February 22, 2017

बिना दर्द प्रसव

सुखपुर्वक प्रसव हेतू आयुर्वेदिक देशी घरेलु उपचार

यहाँ जो उपचार दिए जा रहे है बहुत ही आसान ,पुरातन , कई पीढियों से कई वैद्यों द्वारा आजमाएं हुए है , अत: आप विशवास करके प्रयोग कर सकते है ।

हर कोई चाहता कि बिना आप्रेशन ,चीर-फाड़ के सुखपुर्वक प्रसव हो जाए, लेकिन आजकल बहुत कम ऐसे केस होते है जो कि बिना आप्रेशन होते है , किसी को छोटा आप्रेशन तो किसी को बढ़े आप्रेशन से डिलिवरी करवाई जाती है । आपको यहाँ बहुत प्राचीन नुस्खें बताने जा रहा हुं जो कि सर्वसुलभ तो है ही ,साथ में चमत्कारी भी है । तो लीजिएं ,पढिए और शेयर करें ताकि किसी के काम आ सके ।

१. ½ तोला चित्रकमूल का चूर्ण करके गर्भनि को शहद से चटवा देवें , इससे प्रसव सुखपुर्वक होगा + डिलिवरी के बाद प्लेसेन्टा भी आसानी से बाहर निकल जाता है । चित्रकमूल गर्भाशय पर बहुत तीव्र संकोचक प्रभाव दिखाता है । इसलिए नवें माह में ही इसका प्रयोग करना चाहिए, २ ग्राम की मात्रा में खिलाने से या गर्भाशय में प्रविष्ट करवाने से गर्भपात हो जाता है , लेकिन गर्भपात के बाद अधिक रक्तस्त्राव होने का खतरा होता है ।

२. सौंठ १ तोला गर्म दूध से पिलाने से बिना दर्द आसानी से प्रसव हो जाता है ।

३. अगर आप चाहते है कि प्रसवकाल में कष्ट कम हो सके ,इसके लिए आप पाँचवे माह के बाद  एरण्ड तैल Castor  oil के नाम से हर मेडिकल सटोर पर मिल जाता है । 2-2चम्मच रात को गर्म दूध से हफ्ते में एक बार जरूर देना चाहिए , प्रसव के समय २-४ तोला चाय या दूध में डालकर पिला देने से प्रसव सुखपुर्वक हो जाता है।

४. अपामार्ग , चिरचिटा, पुठकंडा नाम का पोधा होता है , उसकी जड़ को पीसकर गर्भवती स्त्री की नाभि, नलों और योनि पर लेप कर देने से तथा जड़ को कमर से बाँध देने से प्रसव सुखपुर्वक हो जाता है। प्रसव पीड़ा शुरू होते ही जड़ को कमर से और लेप जहाँ-जहाँ लगाया है , तुरंत उतार दें।

५. तुलसी पत्तों के स्वरस  ½ तोला में पुराना गुड़ ½ तोला मिलाकर खिलाने से प्रसव उपरांत होने वाले दर्द में लाभ होता है ।

बेऔलाद जोड़े संपर्क कर सकते है ।
चलता हुँ , रब्ब राखा........

सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ नाड़ी वैद्य,पंजाब
WhatsApp 9915136138

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