Wednesday, February 22, 2017

Fistula भगंदर

*Fistula भगंदर ( अति पीढ़ादायक रोग )*

~~~मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा~~~

इस रोग से बहुत लोग प्रेशान है। परेशानी में डाकटर के पास जाते है । जो आप्रेशन ही बताते है । लेकिन आप्रेशन  पक्का इलाज नही । मेरे पास कई रोगी आप्रेशन के बाद भी इस रोग से पीढ़ित होकर आते है । आयुर्वेदिक चिकित्सा से ठीक होते है ।  भगंदर गुदा क्षेत्र का एक रोग है जिसमें रोगी के गुदा द्वार के करीब फोड़ा या फुंसी निकल आती है, ये फुंसी पाइप की तरह मार्ग बनाती है और मलाशय तक जाती है। अगर चिकित्सा की भाषा में कहें तो बवासीर रोग के अधिक पुराना होने पर वो ही भगंदर का रूप ले लेता है, इसलिए बवासीर का समय पर इलाज करवा लें। वही अगर आपने भगंदर को भी नजरअंदाज कर दिया तो ये कैंसर ( रिक्टम कैंसर ) तक का रूप ले लेता है। भगंदर रोग जानलेवा भी सिद्ध हो सकता है।प्राचीन शल्य चिकित्सा ने भगंदर को उन 8 रोगों में शामिल किया है जो बहुत मुश्किल से ठीक होते है, इन रोगों को अष्ट महागद कहा जाता है।

भगंदर नाडी रोग है और इस रोग को आधुनिक युग की जीवनशैली की देन माना जाता है और सोचने वाली बात ये है कि इसकी जानकारी होते हुए भी कोई अपनी जीवनशैली बदलना ही नहीं चाहता। इस रोग में गुदा के पास दाने निकल जाते है, फिर वे फुट जाते है। अगर भगंदर रोग अपने घातक रूप में आ जाएँ तो वे हड्डियों में भी सुराख कर देता है, जिसके बाद उसमें से पीव निकलने लगती है और फिर रोगी के लिए मुशकिलें खड़ी हो जाती है । कई रोगियो के पखाने बैठते समय पस की पिचकारियाँ निकलती है । दर्द बना रहता है । उठना बैठना अति मुशकिल हो जाता है । असह दर्द से रोगी का जीना मुशकिल हो जाता है । सही इलाज न मिलने पर रोगी का जीवन खतरे में पढ़ जाता है ।
मैं आपको यहाँ अपनी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा बता रहा हुँ , जिससे आज तक सैकड़ों रोगी ठीक हुए । दिए जा रहे नुस्खें से रोग दुबारा नही हुआ । फ्री का ज्ञान समझ अनदेखा न करें , जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाकर पुन्य का काम करें ।

*भगंदर नाशक मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा*
~~~नुस्खा इस प्रकार है~~~
रस माणिक - 10ग्राम
कचनार गुगल - 50ग्राम
पुनर्नवादि मंडूर- 15ग्राम
अरोग्यावर्धनी वटी - 15ग्राम
सप्तविशती गुगल- 30ग्राम
प्रवाल पिष्टी - 5ग्राम
व्याधिहर्ण रसायन-5ग्राम
स्वर्णमाक्षिक भस्म-10ग्राम
स्वर्ण भस्म - ½ग्राम
चोबचीनीयादि चूर्ण-100ग्राम
रस कपूर - 5ग्राम

*बनाने का तरीका*
१. सबसे पहले रस माणिक को न घिसने वाले खरल में डालकर इतना रगडें कि चमक रहत होकर मैदा जैसे बारीक हो जाएं । फिर निकाल कर अलग रख लें ।
२.रस कपूर को अच्छी तरह कसकर घुटाई करके बारीक कर लें । इसे निकाल कर अलग रख लें।
३. फिप व्याधिहर्ण रसायन को अच्छी तरह खरल करके बारीक कर लें । इसे भी निकाल कर अलग कर लें ।
४. फिर कचनार गुग्गुल,पुनर्नवादि मंडूर,अरोग्यावर्धनी वटी, सप्तविशती गुग्गुल बारी-२ रगड़कर बारीक कर लें , इसे आप  Grinder में भी Grind कर सकते है । थोड़ा - थोड़ा रूककर Grind करें ताकि Jug गर्म न हो। फिर जब पूरी तरह मैंदे की तरह बारीक हो जाएं तो इसमें १ नंबर ,२ नंबर, ३ नंबर ( १. रस माणिक, २.रस कपूर , व्याधिहर्ण रसायन मिला दें । ) फिर स्वर्ण भस्म ,प्रवाल पिष्टी, स्वर्णमाक्षिक भस्म मिला दें । उसके बाद चोबचीनीयादि चूर्ण मिलाकर । सबको मिलाकर अच्छी तरह मिलाकर , रगड़कर एक जान कर लें ।
५.जब सभी दवाएं एकजान हो जाएं तो इसकी आप 90पुड़िया बना लें । किसी साफ हवाबंद डिब्बे में संभालकर रख लें।

*खाने का तरीका*
सुबह-दोपहर-शाम खाने के आधे घंटे बाद , 1-1-1पुड़िया शहद से चाटकर ,
खदिरारिष्ट + महामजिष्ठारिष्ट 20-20ml को दोगुना जल में मिलाकर पी लें ।
रात को त्रिफला चूर्ण 1चम्मच या एरण्ड तैल 20ml गर्म जल से लें ।

  *लगाने के लिए*
सुबह-शाम नीम के पत्तों के उबालें हुए पानी से गुदा को धोकर “जात्यादि तैल”  100ml + नीम का तैल 50mk को मिलाकर बना मिश्रण से रूई को गीला करके गुदा में प्रविष्ट करें ।   रूई पर धागा लपेट लें । प्रविष्ट करते समय थोड़ा धागा बाहर रखें ताकि रूई को आसानी से निकाला जा सके । सुबह वाला शाम को निकाल दें , शाम वाला सुबह को ।

*परहेज*
मेदा,बेसन,गुड़,तैल,खटाई,मिठाई,आचार,चाय,काफी,मीट,अंडा,शराब,बासी भोजन। हल्का सुपाचय भोजन ही लें ।

*जरूरी नोट*
जो नुस्खा आपको बताया है , यह मेरा 100% सफल नुस्खा है । आप अगर आयुर्वेद के जानकर है तो ही यह खुद तैयार करें । इसमें कुछ दवाए ऐसी है जिसके कारण इसको बहुत सावधानी से बनाया जाता है । अगर आपको दवा की पूरी जानकारी नही है तो आप किसी नजदीकी अनुभवी विशवास योग वैद्य जी से यह नुस्खा तैयार करवाकर प्रयोग करें । मुझसे बना बनाया भी मंगवा सकते है। आपको लाभ मिलेगा । फ्री का ज्ञान समझ अनदेखा न करें । बहुत ऐसे लोग है जो  पूरा ज्ञान नही देते , कुछ न कुछ नुस्खें की हाथ पैर रख लेते है । मैं पूरी इमानदारी से बता रहा हुँ ।  WhatsApp & Facebook पर आप भी  शेयर करके लोगों का भला करें।  मुझे दुआ में जरूर याद रखना। चलता हुँ ...... रब्ब राखा .....

```लेखक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ वैद्य,पंजाब
संस्थापक कोहिनूर आयुर्वेदिक दवाख़ाना
WhatsApp 9915136138```

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