योनि का शूल ( Vaginitis )
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योनि शूल बहुत कष्टकारी रोग है । लाज-शर्म की वजह से औरतें किसी को बताती नही है । किसी और रोग के कारण यह कष्ट हो तो और भी पीड़ा दायक होता है । अकसर कई महिलाए मूत्र त्याग के बाद साफ जल से सफाई नही करती जिसके कारण खुजली पैदा हो जाती है। ऐसे में जोर से खुजलाने पर नाखूनों से जख्म हो जाने पर शोथ पैदा हो जाया करती है जिसके कारण तीव्र शूल होने लगता है। अप्राकृतिक मैथुन से जख्म हो जाने पर शूल की उत्पत्ति हो सकती है।योनि के आस-पास आघात के कारण स्त्रियां बेचैन हो उठती है। फोडे़-फुंसी के पकने पर असहनीय शूल होता हैं कुछ नवयुवतियों में ऋतुस्त्राव में अवरोध होने से शूल की उत्पत्ति होती है। जबकि अल्प आयु में संभोग से भी शूल हो सकता है।शूल की अधिकता के कारण स्त्रिया बेचैन हो उठती है। योनि में शूल के कारण मूत्र त्याग के समय तीव्र जलन भी होती है। योनि शूल की विकृति गर्भाशय के कारण हो तो पूय व रक्त भी निकल सकता है। प्रसव के बाद सूतिका रोग के कारण शूल की उत्पत्ति के साथ रक्तमिश्रित पूयस्त्राव भी होता है। इलाज बता रहा हुँ गौर करें । जो कि हर तरह की योनिदर्द में लाभ देगा ।
•इलाज•
अपामार्ग की जड़ का लेप करने से दर्द ठीक हो जाता है ।
हींग को रूई के फाहे पर लगाकर रखने से दर्द शांत हो जाता है ।
• मेरी अनुभूत चिकित्सा•
• योनिशूलांतक योग•
चंद्रप्रभा वटी -15gm
चंद्राशु रस -5gm
पुनर्नवादि मंडूर -15gm
अरोग्यावर्धनी वटी -15gm
प्रवाल पिष्टी -5ग्राम
स्वर्ण बंग-5ग्राम
सबको पीसकर बराबर मात्रा में 40पुड़िया बना लें । सुबह-शाम १-१ पुडियाँ अशोकारिष्ट+ दशमूलारिष्ट २-२ चम्मच बराबर जल में मिलाकर खाने के बाद दें ।
•विशेष•
खट्टी -तली चीजें ,बेसन ,मेदा ,चाय ,काफी ,मीट,अंडा,आलू,अरबी ,कचालू ,भिंडी का परहेज रखें । पेट साफ जरूर रखें । चलता हुँ,रब्ब राखा ।
•लेखक•
सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ,पंजाब
WhatsApp 9915136138
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