Wednesday, February 22, 2017

Osteoporosis ( Bone TB )

Osteoporosis ( Bone TB )
अस्थिक्षय और भंगुरता ( हड्डियों की कमजोरी )

“सत् श्री अकाल”
आप मित्रों की बहुत समय से मांग थी कि मैं इस विषय पर अपना अनुभव लिखूं , जिससे रोगियों को आ रही समस्या से निजात मिल सकें । आपकी सेवा में मैं एक अपना अनुभूत नुस्खा लिख रहा हुँ , जो कि इस रोग को जड़ - मूल से नष्ट कर देगा । अकसर 40साल के बाद की उम्र में ज्यादातर लोगों को यह रोग होता है । महिलायों को जब माहवारी आना बंद  ( मोनोपोज ) हो जाती है तो यह समस्या अकसर हो जाया करती है । यह रोग औरत और मर्द दोनों को होता है । बच्चों में भी यह रोग देखने को मिलता है । आजकल का खान-पान का भी इस रोग की उत्पत्ति में बहुत बढ़ा रोल है ।

*लक्षण*
इस रोग में हड्डियों में कमजोरी आ जाती है । बुखार बना रहता है । भूख की कमी हो जाती है ।हड्डियो में कैलशीयम की कमी आ जाने पर यह रोग होता है । जिससे Vacilus Tuberculosis नामक  कीटाणु अस्थि में प्रवेश कर उस अस्थि को अपना आश्रय बना लेती है। जिसके कारण यह रोग पैदा होता है । थोड़ी सी चोट से हड्डी टूट जाती है । अगर आप में यह लक्षण दिखाई दें तो सावधान हो जाएं । अाप मेरा नीचे दिया गया नुस्खा किसी अनुभवी वैद्य से तैयार करवा लें या कोरियर द्वारा मेरे से मंगवा लें । यह बहुत ही आशुकारी दवा लिख रहा हुँ । जादू जैसा असर दिखाती है । एक महीने में रोगी को अपने में आई तबदीली और ताकत देख हैरानी होती है । शर्त यह है कि दवा शुद्ध और असली हो , जैसा बताया गया वैसे ही बनाई जाएं ,और जैसे बताया गया वैसे ही खाया जाएं । इस  बात का मेरे द्वारा बताएं गए , हर नुस्खें पर जरूर गौर करें । “विशवास और श्रद्धा के बगैर सब मिट्टी है ।”
अत: नुस्खा नीचे लिखे अनुसार है ।

* अस्थिक्षय osteoporosis  नाशक मेरा अनुभूत नुस्खा *

शुद्ध शिलाजीत ५ग्राम
मधुयष्ठी - ५ग्राम
त्रिकुटा -१५ग्राम
सिद्ध मकरध्वज स्पैशल-७ग्राम
कांतलौह भस्म- ५ग्राम
स्वर्णमाक्षिक भस्म-५ग्राम
प्रवाल पंचामृत रस-५ग्राम
त्रिबंग भस्म- ३ग्राम
मृगश्रृंग भस्म -६ग्राम
अभ्रक भस्म सहस्त्रपुटी-३ग्राम
रूदंतीफल - ३०ग्राम
सितोपलादि चूर्ण-३०ग्राम
शुद्ध कौंच बीज चूर्ण- १५ग्राम
अशवगंधा घनसत्व-३०ग्राम

*नुस्खा बनाने का तरीका*
सबसे पहले सिद्ध मकरध्वज स्पैशल-७ग्राम को न घिसने वाले खरल में डालकर रगड़े, फिर प्रवाल पंचामृत रस डालकर पीस लें , उसके बाद क्रमाणुसार शुद्ध शिलाजीत,मधुयष्ठी,त्रिकुटा,कांतलौह भस्म,स्वर्णमाक्षिक भस्म,त्रिबंग भस्म , मृगश्रृंग भस्म,अभ्रक भस्म सहस्त्रपुटी को मिलाकर कसकर २ घंटे रगड़ाई करें , उसके बाद रूदंतीफल चूर्ण , सितोपलादि चूर्ण,शुद्ध कौंच बीज चूर्ण,अशवगंधा घनसत्व को बारी-बारी डालकर अच्छी तरह ६ घंटे रगड़कर एक जान कर लें । इसके बाद आप इस बने हुए मिश्रण की बराबर मात्रा में 90पुड़िया बना लें । यह एक माह की दवा है ।

*अनुपान*
द्राक्षासव,अशवगंधारिष्ट,बलारिष्ट,अरविंदासव
सबको बराबर मात्रा लेकर एक बोतल में डाल लें ।

*दवा खाने का तरीका*
द्राक्षासव,अशवगंधारिष्ट,बलारिष्ट,अरविंदासव को मिलाकर बनाया मिश्रण २०ml को १००ml जल में मिलाकर ,उसके साथ सुबह-दोपहर-शाम १-१-१ पुड़िया खाने के बाद लें ।

*विशेष नोट*
दूध ,दही, केला ,पनीर, संतरा,गोघृत का प्रयोग करें।

*सावधानी*
आचार,खट्टा,तेज नमक , तेज मिर्च मसाले,मेदा,बेसन,गुड़,तैल ,मिठाई,व्यसन का खास़ परहेज रखें ।

यह मैंने जो नुस्खा आपको बताया है बहुत ही अच्छा नुस्खा है , कभी निराशा नही मिलती । प्रयोग करें और लाभ लें । पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें, आपको नही तो किसी और को इसकी जरूरत हो सकती है। चलता हुँ....रब्ब राखा

~~~लेखक~~~
```सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ,पंजाब
संस्थापक कोहिनूर आयुर्वेदिक दवाख़ाना
WhatsApp 9915136138```

No comments:

Post a Comment