Wednesday, February 22, 2017

Peptic ulcer

Peptic Ulcer पेप्टिक अल्सर ( आंतों में जख्म )

मनुष्य की  छोटी आंतों में होने वाले अल्सर को पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) के नाम पुकारा जाता है। इसको गैस्ट्रिक अल्सर भी कहते हैं।

*कारण*
गलत आहार, तनाव  और पेट में अम्ल (acid) की अतिरिक्त मात्रा जमा होने से  यह होता है। पेप्टिक अल्सर आमाशय और पेट के बीच की पतली सुरक्षा दीवार में घाव के बाद छेद हो जाने से होता है। लंबे समय तक एंटीबायोटिक्स, दर्द और स्टेरॉयड की दवा ,शराब के सेवन से , अम्लपित्त का रोग पुराना होने पर पेट और आमाशय का अल्सर होता है। पेट में अम्लता बढ़ जाने से आंतडियों में जख्म हो जाते है , जिसे पैप्टिक अल्सर की संज्ञा दी जाती है। अधिकांशतः यह  (helicobacter pylori) नाम के एक जीवाणु के संक्रमण से होता है।

गंभीर अल्सर के लक्षण होने पर रोगी को खून की उल्टी , आंत्रिक रक्तस्त्राव,पेट में  तीव्र जलन और दर्द हो सकता है । दूध पीते ही दही जैसा बनकर उल्टी हो जाती है । खट्टी तली ,भारी चीजें खाने से समस्या बढ़ जाती है ।

इसके लिए मैं आपको  मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा बता रहा हुँ ,आशा है आप प्रयोग करके लाभ लेंगे।
नुस्खा निम्नलिखित अनुसार है ।

~~~पैप्टिक अल्सर ( आंतडियों के जख्मों ) के लिए मेरी अनुभूत आयुर्वेदिक चिकित्सा ~~~

*पैप्टिक अल्सर नाशक महायोग*
सत् अमृत-१५ग्राम
सूतशेखर रस गोल्ड-५ग्राम
प्रवाल पिष्टी शाख-६ग्राम
रजत भस्म-२ग्राम
मुक्ता पिष्टी-५ग्राम
अविपित्तकर चूर्ण-६०ग्राम
मधुयष्ठी-३०ग्राम

*बनाने की विधि*
सबसे पहले सूतशेखर रस गोल्ड को अच्छी तरह से पीस लें , फिर रजत भस्म , सत् अमृता , प्रवाल पिष्टी शाख,मुक्ता पिष्टी सबको कसकर घुटाई करके एकजान कर लें । फिर इसमें अविपित्तकर चूर्ण,मधुयष्ठी चूर्ण मिलाकर खूब अच्छी तरह कसकर घुटाई करके बराबर मात्रा में ४५पुड़िया बना लें । यह १५ दिन की आपकी दवा तैयार है । सुबह-दोपहर-शाम १-१-१ पुड़िया ,यानि रोज की तीन पुड़िया खानी है ।

*खाने का तरीका*
खाने से पहले ( १ घंटा पहले ) दूध की लस्सी से १ पुडियाँ खाएं । सुबह-दोपहर-शाम १-१-१ पुड़िया  दूध की लस्सी से ,खाने के पहले ही लें । नारियल के पानी से भी पुडियाँ ले सकते है ।

*परहेज और खान-पान*
खट्टी-तली चीजें,आचार,चटनी,गुड़,तैल,खटाई,मिठाई,चाय,काफी,तेज मिर्च मसाले,शराब,बीड़ी,सिगरेट,तम्बाकू आदि न लें ।
हल्का सुपाचय भोजन ही लें। दूध ठंडा करके पीएं । इसबगोल की भुसी दूध में डालकर ले सकते है ।

~~~विशेष~~~
प्यारे दोस्तों यह नुस्खा  दर्जुनों रोगियो पर आजमाया हुआ मेरा अनुभूत नुस्खा है । आपकी सेवा में आज हाजिर किया है । यह पहली खुराक में रामबाण की तरह कार्य करता है । तीसरी खुराक में अपने शरीर पर इस दवा का जादुई असर देखकर रोगी दंग रह जाता है । हर वक्त आधुनिक विज्ञान की बीन बजाने वाले , आयुर्वेद के इस चमत्कारी योग से हुए लाभ से हैरान होकर मुंह में ऊँगली चबाने को मजबूर हो जाते है । दोस्तों मेरे बताएं नुस्खें महंगे तो होते है , लेकिन असर देखकर , लगाए पैसे भी भूल जाते है ।  लाखों खर्च करने से बचाव भी हो जाता है । पैसा बर्बाद भी नही जाएगा । रोग दुबारा भी नही होगा । इस बार इतना ही । चलता हुँ...... रब्ब राखा । पोस्ट अच्छी लगे तो शेयर जरूर किया करें । फ्री का ज्ञान समझकर अनदेखा न करें । कोई अनुभूत चीजें ऐसे ही नही देता , लोग साथ में ही उस मालिक का दिया ज्ञान लेकर मर जाते है ,जोकि बहुत गलत बात है । बहुत-बहुत धन्यवाद।

~~~लेखक~~~
```सदैव आपका अपना शुभचिन्तक
डाँ०अमनदीप सिंह चीमाँ,पंजाब
संस्थापक कोहिनूर आयुर्वेदिक दवाख़ाना
WhatsApp 9915136138```

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